4 जून को किसका "चमत्कार" : बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर किसकी होगी बल्ले-बल्ले, किसकी राह है आसान और कहां फंसा है पेंच, यहां देखिए सटीक जानकारी

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 Who will contest on 40 Lok Sabha seats of Bihar?  Who will contest on 40 Lok Sabha seats of Bihar?

NEWS DESK :लोकसभा के चुनावी महासमर में वोटिंग की प्रक्रिया के बाद अब बारी मतगणना की है, जिसका देशभर की जनता को बेसब्री से इंतजार है। बिहार हमेश देश की सियासत के केन्द्र में रहा है। लोकसभा 2024 के चुनाव प्रचार के दौरान NDA और I.N.D.I.A. गठबंधन में काफी टशन देखने को मिला। दोनों गठबंधनों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया, जिसका असर वोटिंग के दौरान भी देखने को मिला।

फिलहाल वोटिंग के बाद अब EXIT POLL 2024 के अनुमान के बाद मुताबिक देश में एकबार फिर नरेन्द्र मोदी की सरकार बनती दिख रही है लेकिन बिहार में NDA को घाटा लगता दिख रहा है। बिहार की कुछ ऐसी भी सीटें हैं, जहां काफी टाइट फाइट देखने को मिला। वहीं, कुछ सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने विरोधियों की नींद उड़ा दी है। एग्जिट पोल के मुताबिक बिहार में NDA को 3-7 सीटों का नुकसान होता दिख रहा है तो आइए जानते हैं बिहार की सभी सीटों का लेखा-जोखा कि कौन-सी सीट पर किसकी है बल्ले-बल्ले और कहां किसे हो सकता है नुकसान।

नवादा लोकसभा सीट

सबसे पहले बात करते हैं नवादा लोकसभा सीट की, बीजेपी प्रत्याशी विवेक ठाकुर बढ़त बनाते हुए दिख रहे हैं। इस सीट पर हमेशा से भूमिहारों का दबदबा देखने को मिला है। परिसीमन के बाद पिछले तीन चुनाव से यहां भूमिहार जाति के कैंडिडेट ही जीतते आ रहे हैं। विवेक ठाकुर भी इसी जाति से आते हैं। पीएम मोदी के नाम पर यहां सभी जातियों ने बीजेपी को समर्थन दिया है।

हालांकि, आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने एक प्रयोग के तहत यादव और भूमिहार बहुल सीट पर श्रवण कुशवाहा को टिकट दिया था, जिसका नुकसान होता दिख रहा है कि उनके पुराने सिपाही राजबल्लभ यादव के भाई विनोद यादव निर्दलीय मैदान में उतर गए। इसके कारण यादव का वोट बंट गया। इसका खामियाजा भी विपक्षी गठबंधन को हो रहा है।

गौरतलब है कि नवादा लोकसभा सीट पर साल 2019 में लोक जनशक्ति पार्टी उम्मीदवार चंदन सिंह को 4 लाख 95 हजार 000 वोट मिले थे। 2009 के लोकसभा चुनाव में गिरिराज सिंह को 3 लाख 90 हजार वोट हासिल हुए थे। उन्होंने राजबल्लभ प्रसाद को 1 लाख 40 हजार मतों से हराया था।

औरंगाबाद लोकसभा सीट

औरंगाबाद एक राजपूत बाहुल्य सीट है। इस सीट पर करीब ढाई लाख राजपूत वोटर्स हैं लिहाजा बीजेपी ने इस सीट पर सीटिंग सांसद सुशील सिंह पर ही दांव लगाया है, जिसका लाभ मिलता हुआ भी दिख रहा है। चुनाव के दौरान लालू प्रसाद ने इस सीट पर दो बड़े प्रयोग किए हैं। पहला कि उन्होंने ये सीट कांग्रेस से झीन ली है तो दूसरा प्रयोग ये कि महागठबंधन में बगैर चर्चा के ही लालू प्रसाद ने अभय कुशवाहा को टिकट देकर सभी को चौंका दिया था। हालांकि, सियासी पंडितों का कहना है कि अगर इस सीट से आरजेडी ने राजपूत प्रत्याशी उतारा होता को NDA को बड़ी चुनौती मिल सकती थी। इकलौते राजपूत प्रत्याशी होने की वजह से सुशील कुमार सिंह को बड़ा फायदा मिल सकता है और उनकी जीत हो सकती है।

गया लोकसभा सीट

गया लोकसभा सीट पर भी NDA को फायदा मिलता दिख रहा है। इस सीट से NDA प्रत्याशी जीतन राम मांझी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। उनका मुकाबला आरजेडी के कुमार सर्वजीत से है। इस सीट पर जीतन राम मांझी को अपनी जाति के साथ-साथ पीएम मोदी के चेहरे का भी लाभ मिलता दिख रहा है। हालांकि, सियासी जानकारों की माने तो इस सीट पर जीतन राम मांझी को कुमार सर्वजीत से कड़ी टक्कर मिली है लिहाजा इस सीट पर काफी टाइट फाइट है।

आपको बता दें कि गया लोकसभा सीट पर पिछले 25 साल से मांझी जाति का कब्जा है। गया लोकसभा सीट मांझी आबादी के लिए भी जाना जाता है। ढाई लाख से अधिक मांझी वोटर गया लोकसभा क्षेत्र में है। इसके अलावा पासवान, धोबी और पासी की आबादी भी अच्छी खासी है। फिलहाल ऐसा कहा जा रहा है कि जीतन राम मांझी की नैया गया से पार लग सकती है।

जमुई लोकसभा सीट

अब बात करते हैं जमुई लोकसभा सीट की, जहां राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने नया प्रयोग किया है और चिराग पासवान की जगह इस सीट पर उनके जीजा अरुण भारती को मौका दिया गया है। वे लोजपा (रामविलास) के टिकट पर ताल ठोक रहे हैं। इसका सबसे बड़ा लाभ ये हुआ कि चिराग पासवान के नाम पर जो एंटी इनकंबेंसी थी, एक हद तक कम हो गई।

वहीं, जमुई सीट पर आरजेडी ने अर्चना रविदास पर दांव लगाया है। आरजेडी की तरफ से यहां बेटी Vs बाहरी का मुद्दा बना कर लीड लेने की कोशिश की गई थी लेकिन मोदी के चेहरे और राम मंदिर के नाम पर अरुण भारती लीड लेते हुए दिखाई दे रहे हैं।

सियासी पंडितों की माने तो यहां लड़ाई टक्कर की है लेकिन फिर भी NDA उम्मीदवार अरुण भारती छोटी मार्जिन से ही सही लेकिन जीत जाएंगे। जमुई लोकसभा क्षेत्र में 3 लाख से अधिक यादव वोटर हैं। ढाई लाख से अधिक मुस्लिम वोटर हैं। दलित-महादलित की आबादी भी ढाई लाख के आसपास है। सवर्ण वोटरों की संख्या तकरीबन 2.5 लाख से ज्यादा है। अगड़ी जाति की आबादी में राजपूत सबसे अधिक हैं, जिनकी आबादी 2 लाख से अधिक बताई जाती है।

किशनगंज लोकसभा सीट

अब किशनगंज लोकसभा सीट की बात करें तो यहां से कांग्रेस के जावेद आलम ताल ठोक रहे हैं। 68 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले इस लोकसभा क्षेत्र में यहां कांग्रेस से सीटिंग सांसद जावेद आजाद है और उनका सीधा मुकाबला जेडीयू के मास्टर मुजाहिद और AIMIM के अख्तरुल इमाम से है। इसबार इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है या यूं कहें कि इस सीट पर पेंच फंसता हुआ दिख रहा है।

किशनगंज में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी चुनाव प्रचार किया था। वहीं, अख्तरुल इमाम के लिए असदुद्दीन ओवैसी ने कैंप किया था तो मास्टर मुजाहिद के लिए पूरा जेडीयू और बीजेपी का कुनबा लगा हुआ था। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो किशनगंज के नतीजे चौंका वाले आ सकते हैं।

कटिहार लोकसभा सीट

किशनगंज लोकसभा सीट के बाद अब बात करते हैं कटिहार लोकसभा सीट की तो यहां से मौजूदा सांसद दुलाल चंद गोस्वामी का कांग्रेस के तारिक अनवर से सीधा मुकाबला है। हालांकि, इसबार दुलाल चंद गोस्वामी का इस क्षेत्र में काफी विरोध होता दिखा था लेकिन बड़ी बात ये है कि दुलाल चंद गोस्वामी को पीएम मोदी के साथ-साथ सीएम नीतीश कुमार के चेहरे को बड़ा लाभ मिलता दिख रहा है।

वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस से ज्यादा चर्चा यहां तारिक अनवर की है। उनकी छवि कटिहार के दिग्गज नेता की है। इस बार उन्होंने अपनी हार का सुखाड़ खत्म करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। टफ फाइट में जीत का अंतर घट सकता है। कांग्रेस के बड़े नेता तारिक अनवर यहां मजबूत स्थिति में दिख रहे हैं। इस सीट पर भी नतीजें काफी चौंकाने वाले आ सकते हैं।

पूर्णिया लोकसभा सीट

पूर्णिया लोकसभा सीट इसबार चुनाव में काफी चर्चा में रहा। इसे सियासी पंडितों द्वारा हॉट सीट पर करार दिया गया। इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला। यहां जेडीयू से संतोष कुशवाहा, आरजेडी की बीमा भारती और पप्पू यादव के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। यहां आरजेडी के कोर वोट बैंक मुस्लिम-यादव में पप्पू यादव की मजबूत पैठ दिखाई दे रही है। कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने के कारण उन्हें कुछ भावनात्मक वोट भी मिला है, जिससे सीधा नुकसान आरजेडी कैंडिडेट बीमा भारती को होता दिख रहा है।

वहीं, पूर्णिया लोकसभा सीट पर सवर्ण और अन्य पिछड़ी जातियां जेडीयू के संतोष कुशवाहा के साथ एकजुट हो गए हैं। इनका लाभ उन्हें मिल रहा है। इसके अलावा मोदी के कारण वैश्य बिरादरी भी जेडीयू प्रत्याशी के साथ खड़ी दिखी लिहाजा इस सीट पर सभी की निगाहें टिकी हैं। सियासी पंडितों की माने तो इस सीट पर पप्पू यादव का दबदबा कायम हो सकता है।

बांका लोकसभा सीट

पूर्णिया के बाद अब बात बांका लोकसभा सीट की तो यहां से गिरिधारी यादव के सामने लालू प्रसाद के 'हनुमान' जयप्रकाश यादव चुनावी मैदान हैं। कहा जा रहा है कि यहां पुराना वाला समीकरण काम कर रहा है। जेडीयू को बीजेपी, लोजपा (रामविलास) के साथ-साथ 'हम' का पूरा सहयोग मिला है। इस सीट पर दोनों प्रत्याशियों के बीच काफी कांटे का मुकाबला देखने को मिल रहा है। गिरिधारी यादव के खिलाफ भारी एंटी इनकंबेंसी देखने को मिली। हालांकि, कई जगहों पर लोगों ने विकास और मोदी के नाम पर गिरिधारी यादव का भी समर्थन करते दिखे।

भागलपुर लोकसभा सीट

भागलपुर में दो ताकतवर जातियों के बीच मुकाबला है। जेडीयू ने जहां गंगोता जाति से आने वाले मौजूदा सांसद अजय मंडल पर विश्वास जताया है तो दूसरी तरफ कांग्रेस ने भागलपुर से विधायक और भूमिहार जाति से आने वाले अजित शर्मा पर दांव खेला है।

यहां अजय मंडल के नाम पर एंटी इनकंबैसी का कुछ लाभ कांग्रेस को जरूर मिला है लेकिन उनकी जाति गंगोता उनके साथ मजबूती से खड़ी दिख रही है। मोदी के नाम पर वैश्यों का भी फुल सपोर्ट मिला है। दो ताकतवर जाति के उम्मीदवार होने के कारण कांटे की टक्कर जरूर है लेकिन अजय मंडल की स्थिति अच्छी है।

झंझारपुर लोकसभा सीट

इस सीट पर जेडीयू के रामप्रीत मंडल और VIP के सुमन कुमार महासेठ से सीधा मुकाबला है। गुलाब बाग बसपा से लड़ रहे हैं। इसका सीधा नुकसान सुमन कुमार महासेठ को हो रहा है। महासेठ चुनाव के बीच में ही वीआईपी में शामिल हुए थे। इसका उन्हें बहुत ज्याादा लाभ होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है।

दूसरी तरफ रामप्रीत मंडल के साथ इलाके के दिग्गज नेता संजय झा और मंत्री नीतीश मिश्रा खड़े है। उनके खिलाफ एंटी इनकंबेंसी जरूर दिखा लेकिन नरेंद्र मोदी के नाम पर लोगों ने उन्हें सपोर्ट किया है। ये यहां से जीतते हुए दिखाई दे रहे हैं।

सुपौल लोकसभा सीट

सुपौल में जेडीयू के दिलेश्वर कामत बढ़त बनाने में कामयाब रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है एनडीए के पक्ष में जातीय गोलबंदी। लालू प्रसाद यादव ने पिछड़ा बहुल इस सीट पर दलित उम्मीदवार को उतारा था। इसका लाभ से ज्यादा उन्हें खामियाजा होते हुए दिखाई दे रहा है।

एनडीए कैंडिडेट को मोदी के चेहरे के साथ-साथ जेडीयू के दिग्गज नेता बिजेंद्र यादव के सपोर्ट का लाभ मिला है। इनके कारण यादव का कोर वोट बैंक यादव इस सीट पर छिटककर जेडीयू कैंडिडेट की साइड भी गया है। दिलेश्वर कामत से ज्यादा लोग यहां मोदी को सपोर्ट करते दिखे।

अररिया लोकसभा सीट

अररिया लोकसभा सीट की बात करें तो भाजपा के प्रदीप सिंह और राजद के प्रत्याशी मो. शाहनवाज आलम के बीच कड़ी टक्कर है। शाहनवाज के साथ यहां MY समीकरण पूरी ताकत से खड़ा है। उन्हें उनके दिवंगत पिता और इलाके के बड़े नेता रहे तस्लीमुद्दीन का भी फायदा मिलता दिख रहा है।

इसके ठीक उलट प्रदीप सिंह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राम मंदिर और हिंदुत्व का फायदा हो रहा है। यहां वोटों का ध्रुवीकरण कराने में बीजेपी सफल रही है। यही कारण है कि नाराजगी के बाद भी प्रदीप कुमार यहां से जीत की हैट्रिक लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं।

विदित है कि इस सीट पर 7.30 लाख मुस्लिम और 2 लाख यादव वोटर है। राष्ट्रीय जनता दल के बागी शत्रुघ्न मंडल निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं। वह I.N.D.I.A गठबंधन का खेल बिगाड़ रहे हैं।

मधेपुरा लोकसभा सीट

मधेपुरा में जेडीयू प्रत्याशी दिनेश चंद्र यादव लीड लेते हुए दिखाई दे रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण आरजेडी की तरफ से कमजोर कैंडिडेट को टिकट देना माना जा रहा है। आरजेडी की तरफ से प्रो. कुमार चंद्रदीप को उम्मीदवार बनाया गया था, जिन्हें इलाके में सही से लोग पहचानते तक नहीं है। इसका एक नुकसान ये हुआ कि लंबे समय तक मधेपुरा की राजनीति करने वाले स्व. शरद यादव के बेटे, जिन्होंने जमीन पर काम किया था, वे पूरी तरह खामोश हो गए। दूसरी तरफ दिनेश चंद्र यादव को नीतीश के साथ मोदी के चेहरे का भी लाभ मिला।

खगड़िया लोकसभा सीट

खगड़िया में एनडीए और I.N.D.I.A कैंडिडेट के बीच कांटे की टक्कर है। एनडीए से लोजपा के कैंडिडेट राजेश वर्मा भागलपुर से आते हैं जबकि महागठबंधन से सीपीआई (एम) के संजय कुमार स्थानीय हैं। चुनाव में लोकल बनाम बाहरी मुद्दा सबसे हावी रहा। जातीय गोलबंदी दोनों कैंडिडेट की तरफ से लगभग बराबरी का रहा लेकिन मोदी के चेहरे पर एनडीए के कैंडिडेट बाहरी होने के बाद भी चुनावी रण में बाजी मारते हुए नजर आ रहे हैं। यहां युवाओं ने कास्ट फैक्टर से ऊपर उठकर राजेश वर्मा को अपना सपोर्ट दिया है। इसका फायदा उन्हें मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। इस सीट पर मुकाबला टक्कर का है लेकिन एनडीए उम्मीदवार मजबूत स्थिति में हैं।

दरभंगा लोकसभा सीट

दरभंगा लोकसभा सीट की बात करें तो दरभंगा में चुनाव की घोषणा से पहले मौजूदा सांसदा और एनडीए कैंडिडेट गोपालजी ठाकुर के खिलाफ भारी एंटी इनकंबेंसी थी। ऐलान के बाद पहले राजनाथ सिंह इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक के बाद एक तूफानी दौरे ने माहौल को पूरी तरह से मोड़ दिया।

इस सीट पर गोपाल जी ठाकुर का मुकाबला दरभंगा ग्रामीण से 6 बार के विधायक और आरजेडी के ललित यादव से है। दोनों के बीच कड़ी टक्कर है। यहां MY समीकरण हावी जरूर दिखा लेकिन ब्राह्मण समेत सवर्ण वोटरों ने राम मंदिर और हिंदुत्व के नाम पर पीएम को सपोर्ट किया है। दरभंगा को ब्राह्मण सीट भी कहा जाता है लेकिन आरजेडी ने ललित यादव को लड़ाकर यादव-मुस्लिम कार्ड खेलने की कोशिश की है। इसके बावजूद अगड़ा और अतिपिछड़ों के सहारे एनडीए मजबूत है।

उजियारपुर लोकसभा सीट

उजियारपुर से केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ताल ठोक रहे हैं। हालांकि, इलाके में जबरदस्त विरोध का भी सामना करना पड़ा था लेकिन मतदान की तारीख़ आते-आते माहौल उनके पक्ष में होता दिखा। कहा जाता है कि बीजेपी के इंटरनल सर्वे में भी इस सीट पर फीडबैक काफी पॉजिटिव नहीं था। यादव वोटर्स में ही उनका काफी विरोध देखने को मिल रहा था लेकिन मतदान से पहले पटना में मोदी के रोड शो के बाद हवा बदल गई। महागठबंधन के कैंडिडेट आलोक मेहता से उनकी कांटे की टक्कर है। टफ फाइट में नित्यानंद राय यहां जीत की हैट्रिक लगा सकते हैं। चुनाव प्रचार के दौरान नित्यानंद राय को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपना जिगरी दोस्त बताया था। तीसरी बार चुनाव में उतरे नित्यानंद राय अगड़ा, अतिपिछड़ा और कुछ प्रतिशत यादव वोट की बदौतल जीत के करीब बताए जा रह हैं।

समस्तीपुर लोकसभा सीट

समस्तीपुर लोकसभा सीट बिहार की हॉट सीटों में से एक मानी जा रही है। इस सीट पर नीतीश कैबिनेट के दो मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी को लोजपा (आर) से तो मंत्री महेश्वर हजारी के बेटे सनी हजारी कांग्रेस के टिकट से मैदान में हैं। यहां शांभवी को पीएम नरेंद्र मोदी के साथ सीएम नीतीश कुमार के चेहरे का लाभ मिल रहा है।

जबकि सनी हजारी को कांग्रेस और आरजेडी के कोर वोट बैंक का समर्थन मिल रहा है। हालांकि, उनके पिता मंत्री महेश्वर हजारी अपने बेटे के पक्ष में खुलकर प्रचार करने तक नहीं निकल पाए जबकि दूसरी तरफ अशोक चौधरी ने अपनी रणनीति से दलितों को साधा है तो शांभवी के ससुर किशोर कुणाल के कारण उन्हें भूमिहार वोटों का भी सपोर्ट मिला है। इस आधार पर यहां शांभ‌‌वी लीड लेते हुए दिखाई दे रही हैं।

बेगूसराय लोकसभा सीट

बिहार के बेगूसराय सीट पर भी सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। बेगूसराय में बीजेपी ने फिर से गिरिराज सिंह को उतारा है। इस बार उनका मुकाबला यहां सीपीआई के अवधेश राय से है। गिरिराज सिंह को लेकर एंटी इंकम्बैंसी का माहौल जरूर दिख रहा है लेकिन नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रवाद के नाम पर एक बड़ी आबादी जाति से ऊपर उठकर उनके साथ मजबूती से खड़ी है। अवधेश राय को यादव और मुस्लिम का समर्थन जरूर मिल रहा है लेकिन वो मुकाबले में काफी पीछे दिखाई दे रहे हैं। फिलहाल बेगूसराय में गिरिराज सिंह की जीत तय मानी जा रही है।

मुंगेर लोकसभा सीट

मुंगेर की लड़ाई काफी दिलचस्प देखने को मिल रही है। यहां जेडीयू के ललन सिंह का सीधा मुकाबला बाहुबली अशोक महतो की पत्नी अनीता देवी से है। कहा जा रहा है कि अगड़ा-पिछड़ा का समीकरण यहां काफी हावी रहा। सवर्ण बहुल इस लोकसभा क्षेत्र में नाराज भूमिहारों को साधकर ललन सिंह लीड लेते हुए दिखाई दे रहे हैं।

सवर्णों के पास ललन सिंह के अलावा दूसरा कोई विकल्प भी नहीं था। ऐसे में ललन सिंह की जातीय गोलबंदी के साथ मोदी के चेहरे का भी यहां लाभ मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। इसके साथ ही कुर्मी की बड़ी आबादी भी ललन सिंह के पाले में आए, इसका लाभ भी उन्हें मिल रहा है। वहीं, अनंत सिंह पैरोल पर बाहर आए थे। इससे भी ललन सिंह को फायदा होने की बात कही जा रही है। ऐसे में ललन सिंह की स्थिति मजबूत दिख रही है।

सीतामढ़ी लोकसभा सीट

सीतामढ़ी में 22 साल से MLC रहे विधान परिषद सभापति देवेश चंद्र ठाकुर का मुकाबला आरजेडी के अर्जुन राय से है। वैश्य बहुल सीट से सुनील कुमार पिंटू का टिकट कटने से यहां एनडीए के कोर वोटबैंक रहे वैश्य में भारी नाराजगी दिखी।

जबकि दूसरी तरफ आरजेडी के कोर वोट बैंक उनके साथ इंटैक्ट हैं। हालांकि. देवेश चंद्र ठाकुर की साफ-सुथरी छवि का लाभ उन्हें मिल रहा है। इसके अलावा पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम नीतीश कुमार से दोस्ती का भी फायदा उन्हें मिलता हुआ दिख रहा है। वे यहां से लीड करते दिख रहे हैं। देवेश चंद ठाकुर ने अयोध्या के बाद मां सीता का भव्य मंदिर बनाने का वादा करके लोगों पर एक धार्मिक दाव खेला है. यहां देवेश चन्द्र ठाकुर मजबूत स्थिति में दिख रहे हैं।

मधुबनी लोकसभा सीट

मधुबनी सीट पर लालू प्रसाद के प्रयोग ने ही एनडीए को मजबूत कर दिया है। 2019 के चुनाव में सबसे ज्यादा साढ़े 4 लाख वोटों से जीत दर्ज कराने वाले भाजपा के अशोक यादव इस बार भी कमल खिला सकते हैं। महागठबंधन के कैंडिडेट अली अशरफ फातमी को उतार कर लालू ने सबको यहां चौकाया था।

अगर हिंदू-मुस्लिम होता तो अली अशरफ को इसका पूरा फायदा भी मिलता लेकिन अशोक यादव ने इसका ख्याल रखा। वे राष्ट्रवाद के मुद्दे को पकड़े रहे। यही कारण है मधुबनी से अशोक यादव फिर से सीट निकालते हुए दिख रहे हैं। मोदी और शाह ने मिथिलांचल पर फोकस किया, इसका भी उन्हें फायदा मिला है।

मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट

मुजफ्फरपुर में एक बार फिर से 2019 की तस्वीर सामने आ रही है। बस कैंडिडेट के झंडे बदल गए हैं। यहां बीजेपी के राजभूषण चौधरी और कांग्रेस के अजय निषाद के बीच मुकाबला है। अजय निषाद यहां से बीजेपी के सांसद रहे हैं। पिछली बार राजभूषण चौधरी यहां वीआईपी की टिकट पर उनके खिलाफ मैदान में थे।

भूमिहार बहुल इस इलाके में बीजेपी के राजभूषण चौधरी की स्थिति अच्छी दिख रही है। इन्हें भूमिहार के अलावा वैश्य और नॉन यादव पिछड़ा का भी वोट मिल रहा है। वहीं, अजय निषाद पूरी तरह निषाद वोट के सहारे ही हैं। यहां से बीजेपी लीड लेते हुई दिखाई दे रही है।

सारण लोकसभा सीट

सारण में बीजेपी और आरजेडी के बीच लड़ाई काफी दिलचस्प देखने को मिली। चुनाव प्रचार के दौरान दोनों तरफ से काफी आरोप-प्रत्यारोप हुए। सारण में भाजपा के राजीव प्रताफ रुडी और लालू प्रसाद यादव की दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य के बीच कांटे की टक्कर है। जाति के नाम पर यादव जहां रोहिणी के साथ लामबंद हो गए तो राजपूत रूढ़ी के साथ। इनके अलावा सवर्ण जातियां राष्ट्रवाद और दलित- महादलित मोदी की योजनाओं के नाम बीजेपी के साथ खड़े हो गए। इसका लाभ बीजेपी को मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। हालांकि, यहां निर्णायक भूमिका में नॉन यादव पिछड़ी जातियां होंगे, जो एक समय में नीतीश के कोर वोट बैंक माने जाते हैं। इस बार वे यहां पूरी तरह साइलेंट हैं।

हाजीपुर लोकसभा सीट

हाजीपुर में चिराग पासवान पिता की विरासत बचाने में कामयाब रह सकते हैं। चिराग पासवान को यहां पिता की विरासत के साथ पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे का भी सपोर्ट मिल रहा है। पिछले 47 वर्षों से पासवान परिवार का हाजीपुर से सीधा कनेक्शन रहा है। यहां चिराग पासवान का सीधा मुकाबला शिवचंद्र राम से है।

रामविलास पासवान को यहां के विकास पुरुष के रूप में जाना जाता है। ऐसे में उनके निधन के बाद पहली बार चिराग पासवान यहां से मैदान में है। इसका उन्हें लाभ मिल रहा है। दूसरी तरफ वे खुद को मोदी का हनुमान कहते रहे हैं तो ऐसे मोदी सपोर्टर भी उनके साथ मजबूती से खड़े दिखाई दे रहे हैं।

चिराग पासवान पिछली बार जमुई से चुनाव लड़े थे लेकिन इस बार अपने चाचा से विरोध करके उन्होंने इस सीट को हासिल किया है। अपने पिता की पुरानी विरासत वाली सीट हाजीपुर से चुनाव लड़े। उनके सामने आरजेडी से शिवचंद्र राम हैं। चूंकि चिराग पासवान के साथ सकारात्मक पहलू यह है कि उनके पिता यहां से आठ बार सांसद रह चुके हैं। ऐसे में उन्हें यहां एक बड़ी मार्जिन से जीत मिलती हुई दिख रही है।

वाल्मिकीनगर लोकसभा सीट

वाल्मीकि नगर में कांटे की टक्कर में जेडीयू के सुनील कुमार बढ़त बनाते दिख रहे हैं। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अपने प्रयोग से यहां के मुकाबले को दिलचस्प जरुर बना दिया है। कांग्रेस की सीट छीन आरजेडी के उम्मीदवार उतार लालू यादव ने जेडीयू की आसान जीत को कड़े मुकाबले में तब्दील कर दिया है। यहां जेडीयू का समीकरण बिगड़ा जरूर है लेकिन आखिर में ब्राह्मण बहुल इस सीट पर एनडीए ने अपने ब्राह्मण नेताओं को उतार कर स्थिति को डैमेज कंट्रोल किया है और वे इसमें कामयाब होते हुए दिखाई दे रहे हैं।

पश्चिम चंपारण लोकसभा सीट

पश्चिम चंपारण में मामला फिफ्टी-फिफ्टी का है। यहां से लगातार तीन चुनाव जीतते आ रहे मौजूदा सांसद और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल को काफी नाराजगी का सामना करना पड़ा है। लोगों में भारी नाराजगी देखने को मिली। खास बात ये है कि कभी भाजपा के कोर वोट बैंक रहे ब्राह्मण, भूमिहार और राजपूत में उनके खिलाफ नाराजगी हैं। इसका सीधा लाभ कांग्रेस प्रत्याशी मदन मोहन तिवारी को मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। हालांकि अंतिम वक्त में बीजेपी प्रत्याशी ने डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश जरूर की है, लेकिन किनका पलड़ा भारी रहा है ये तय कर पाना फिलहाल किसी के लिए संभव दिखाई नहीं दे रहा है। इस सीट पर दोनों दलों के बीच काफी टाइट फाइट देखने को मिल रहा है।

पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट

पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी राधामोहन सिंह ताल ठोक रहे हैं। बीजेपी ने इस सीट पर एकबार फिर अपने पुराने सिपाही पर भरोसा जताया है। वहीं, जवाब में लालू प्रसाद यादव ने यहां से डॉ. राजेश कुशवाहा को उतारकर कर यादव बहुल सीट पर कुशवाहा कार्ड चला है लेकिन यहां से छह बार के सांसद राधा मोहन के खिलाफ एंटी इन्कैम्बैंसी से ज्यादा उनका काम भारी रहा। बीजेपी के कोर वोट बैंक वैश्यों और सवर्णों के वोट की वजह से राधामोहन सिंह की स्थिति अच्छी है। वे एक बार फिर से यहां से निकलते हुए दिखाई दे रहे हैं।

शिवहर लोकसभा सीट

शिवहर में इस बार बाहुबली आनंद मोहन की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। जेल से निकलने के बाद ये उनका पहला चुनाव है। उनकी पत्नी लवली आनंद शिवहर से ताल ठोक रही हैं। उनके सामने आरजेडी ने अपनी महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष और चर्चित नाम रितु जायसवाल पर दांव लगाया है। दोनों के बीच जबरदस्त फाइट देखने को मिल रहा है।

सियासी पंडितों की माने तो शिवहर से रमा देवी और सीतामढ़ी से सुनील कुमार पिंटू का टिकट कटने से वैश्यों का बड़ा तबका जेडीयू और बीजेपी से यहां नाराज दिख रहा है। शिवहर में इसका एक बड़ा धड़ा रितु जायसवाल के साथ जाता हुआ दिखाई दे रहा है। इसका आनंद मोहन को नुकसान होता हुआ दिख रहा है। यहां रितु जायसवाल की स्थिति अच्छी दिख रही है। इस सीट पर सभी सियासी पंडितों की नजर टिकी है।

वैशाली लोकसभा सीट

वैशाली लोकसभा सीट पर भी पूरे बिहार की नजरें टिकी हैं। इस सीट पर आरजेडी के मुन्ना शुक्ला का सीधा मुकाबला मौजूदा सांसद और लोजपा (रामविलास) की प्रत्याशी वीणा देवी के बीच है। इस सीट पर राजपूत और भूमिहार का कब्जा रहा है। इस बार यहां मुकाबला भी इन्हीं दोनों के बीच है।

लोजपा (आर) के टिकट पर वीणा देवी दूसरी बार मैदान में हैं। इनका मुकाबला आरजेडी उम्मीदवार और बाहुबली विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला से है। वीणा देवी को यहां पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे का लाभ मिलता हुआ दिख रहा है। दूसरी तरफ मुन्ना शुक्ला के नाम पर भूमिहार यहां बंट गए हैं। वहीं, यादव के एकजुट होने से अन्य जातियां वीणा दे‌वी के साथ इंटैक्ट हो गए हैं। कहा जा रहा है कि यहां नेक-टू-नेक फाइट देखने को मिल सकता है।

गोपालगंज लोकसभा सीट

गोपालगंज लोकसभा सुरक्षित से एक बार फिर से जेडीयू ने अपने पुराने उम्मीदवार डॉ. आलोक कुमार सुमन को उतारा है। वह पार्टी के कोषाध्यक्ष भी हैं। इनके लिए पार्टी ने जमकर चुनाव प्रचार भी किया है। इनको बीजेपी का सहारा मिला है। उनका मुकाबला मुकेश साहनी की वीआईपी के प्रेमनाथ चंचल से है। काफी देरी से इस उम्मीदवार को उतारा गया है तो ऐसे में मुकाबला एक बार फिर से एक तरफा ही जाता दिख रहा है। गोपालगंज से जेडीयू उम्मीदवार डॉ. आलोक सुमन के जीतने के चांस सबसे अधिक है। इसकी सबसे बड़ी वजह है विपक्ष की तरफ से कमजोर उम्मीदवार को उतारना।

सीवान लोकसभा सीट

सीवान में निर्दलीय प्रत्याशी हिना शहाब ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। यहां सीधा मुकाबला जेडीयू प्रत्याशी विजय लक्ष्मी कुशवाहा और आरजेडी के अवध बिहारी चौधरी के साथ है। हिना शहाब दोनों प्रत्याशियों को काफी कड़ी टक्कर दे रही है। पीएम मोदी ने महाराजगंज में सभा के दौरान सीवान और महाराजगंज सीट को एक साथ साधने की कोशिश की है। इसके बाद टफ फाइट में जेडीयू की विजय लक्ष्मी की स्थिति मजबूत दिख रही है।

महाराजगंज लोकसभा सीट

महाराजगंज में जनार्दन सिंह सिग्रीवाल और बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे आकाश सिंह के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। हालांकि, पीएम मोदी की सभा के बाद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल की स्थिति बेहतर हुई है। पीएम का हिंदुत्व कार्ड यहां काम करते हुए दिख रहा है। सीएम नीतीश के चेहरे का भी लाभ मिल रहा है। टफ फाइट में यहां सिग्रीवाल जीत की हैट्रिक लगाते हुए दिख रहे हैं।

नालंदा लोकसभा सीट

नालंदा में जेडीयू के कौशलेंद्र कुमार जीत का चौका लगा सकते हैं। इसके दो कारण हैं। पहला - नालंदा सीएम नीतीश कुमार का गृह जिला है। हाई-वे और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिहाज से किसी जिले में सबसे ज्यादा विकास हुआ है तो वो नालंदा है। यहां नीतीश कुमार जाति से अलग विकास पुरुष के रूप में स्थापित हैं। दूसरा- लालू प्रसाद यादव ने भाकपा-माले को ये सीट देकर पहले ही जेडीयू प्रत्याशी कौशलेंद्र कुमार को वॉक ओवर दे दिया था।

जहानाबाद लोकसभा सीट

जहानाबाद के त्रिकोणीय मुकाबले में आरजेडी का पलड़ा भारी होता दिख रहा है। जहानाबाद में इस बार 2019 की तरह ही जेडीयू के चंदेश्वर चंद्रवंशी और आरजेडी के सुरेंद्र यादव के बीच मुख्य मुकाबला है लेकिन इस मुकाबले को बसपा के अरुण कुमार ने त्रिकोणीय बना दिया है।

यादव और भूमिहार बहुल इस सीट पर जिस भूमिहार के सपोर्ट से एनडीए कैंडिडेट जीतते रहे हैं, वो इस बार जदयू का साथ छोड़ बसपा के अरुण कुमार के साथ लामबंद हो गए हैं। इसका खामियाजा एनडीए को होता हुआ दिख रहा है। जबकि आरजेडी का कोर वोट बैंक मुस्लिम और यादव उनके साथ एकजुट है।

पटना साहिब लोकसभा सीट

पटना साहिब में रवि शंकर प्रसाद और कांग्रेस की तरफ से प्रयोग के तहत पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार के बेटे अंशुल अविजित कुशवाहा को मैदान में उतारा गया है। यहां कायस्थ मजबूती से बीजेपी के सपोर्ट में खड़े दिखाई दे रहे हैं। मोदी के चेहरे और विकास कार्यों की भी यहां खूब चर्चा सुनाई दे रही है। लोग रविशंकर प्रसाद से नाराज जरूर दिखाई देते हैं, लेकिन नरेन्द्र मोदी के जहाज पर रविशंकर पार उतरते दिख रहे हैं।

जातीय समीकरण की बात करें तो रविशंकर प्रसाद कायस्थ जाति से आते हैं। वहीं, अंशुल अविजित कोइरी जाति से आते हैं। माना जाता है कि पटना साहिब का डोमिनेटिंग वोट बैंक कायस्थ हैं तो ऐसे में रविशंकर प्रसाद यहां मजबूत स्थिति में दिख रहे हैं।

पाटलिपुत्र लोकसभा सीट

पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर भी सभी की निगाहें टिकी हैं। बीजेपी प्रत्याशी रामकृपाल यादव का सीधा मुकाबला आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद की बड़ी बेटी मीसा भारती से है। सीधे मुकाबले में बीजेपी के रामकृपाल यादव दो बार आरजेडी की मीसा भारती को हरा चुके हैं। यादव बहुल इलाके में दोनों यादव कैंडिडेट होने से कड़ा मुकाबला है।

यादव वोटर्स इस बार मीसा भारती के पक्ष में एग्रेसिव हैं लेकिन इसका नुकसान भी उन्हें हो रहा है। यादव के अग्रेसिव सपोर्ट के कारण बाकी जातियां उनके खिलाफ हो गई है। कांटे की टक्कर में तीसरी बार रामकृपाल यादव बढ़त बनाते हुए दिखाई दे रहे हैं।

माना जाता है कि रामकृपाल यादव जन-जन के नेता हैं। ऐसे में राम कृपाल यादव खुद की जाति यादव और अगड़ी, अतिपिछड़ी जातियों को मिलाकर जीतने की उम्मीद रखते हैं। वहीं, मीसा भारती के साथ-साथ मुसलमान के वोट बैंक पर नजर रखते हुए इस लड़ाई को जीतना चाहती हैं। यह सीट फंसी हुई दिखाई पड़ रही है।

आरा लोकसभा सीट

आरा में केंद्रीय मंत्री आरके सिंह और महागठबंधन से भाकपा-माले के कैंडिडेट सुदामा प्रसाद की सीधी टक्कर है। जातीय गोलबंदी में अत्यंत पिछड़ी और दलित जातियों का वोट चुनाव में निर्णायक साबित होगा। आरके सिंह इसे अपने पक्ष में कर पाने में काफी सफल रहे हैं।

आरा में कहा जाता है कि आरके सिंह कम बोलते हैं लेकिन उनका काम ज्यादा बोलता है। आरा में विकास के कामों के आधार पर एक बार फिर से आरके सिंह उम्मीदवारी कर रहे हैं। आरा में राजपूत वोट बैंक के साथ-साथ भूमिहार, ब्राह्मण, कायस्थ का भी वोट बैंक है। अति पिछड़ों का भी वोट बैंक है। ऐसी स्थिति में सुदामा प्रसाद के सामने आरके सिंह की स्थिति मजबूत दिख रही है और बड़ी मार्जिन से जीत मिलने की उम्मीद है।

बक्सर लोकसभा सीट

बक्सर लोकसभा सीट पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे का टिकट काटकर बीजेपी ने मिथिलेश तिवारी को कैंडिडेट बनाया है। महागठबंधन की तरफ से आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष के बेटे सुधाकर सिंह मैदान में हैं। यहां दो निर्दलीय कैंडिडेट्स ने पूरा खेल ही बिगाड़ दिया है। वोटों के ध्रुवीकरण और निर्दलीय कैंडिडेट के कारण जीत-हार का अनुमान लगा पाना काफी मुश्किल हो गया है। इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले की वजह से लड़ाई काफी दिलचस्प हो गयी है। हालांकि, आरजेडी के पुराने नेता ददन पहलवान ने भी चुनावी ताल ठोका है, ऐसे में आरजेडी को वे नुकसान पहुंचा सकते हैं।

सासाराम लोकसभा सीट

सासाराम में भाजपा और कांग्रेस के बीच लड़ाई है। शिवेश राम को भाजपा और मनोज कुमार को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है। स्थानीय मुद्दे होने के बाद भी यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राम मंदिर और हिंदुत्व हावी है। इस कारण भाजपा उम्मीदवार के जितने के चांस अधिक हैं।

शिवेश राम के पिता मुनीलाल राम यहां से तीन बार सांसद रह चुके हैं। उनके मुकाबले कांग्रेस ने मनोज कुमार को उतारा है। मनोज कुमार नए उम्मीदवार हैं। शिवेश राम इससे पहले अगिआंव से विधायक रह चुके हैं। वहां के समीकरण को देखते हुए भाजपा मजबूत स्थिति में दिख रही है।

काराकाट लोकसभा सीट

इस सीट पर भी काफी कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। NDA की तरफ से RLM सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा तो I.N.D.I.A. की तरफ से CPI(ML) के राजा राम सिंह के बीच सीधा मुकाबला है। दो कुशवाहा के बीच की लड़ाई को भोजपुरी स्टार पवन सिंह ने यहां निर्दलीय मैदान में उतरकर न केवल मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया है बल्कि रोचक भी बना दिया है। युवा और राजपूत जाति के लोग पवन सिंह की तरफ आकर्षित हो गए हैं। पीएम मोदी के नाम का लाभ उपेंद्र कुशवाहा को होता हुआ दिखाई दे रहा है।