वाल्मीकि टाईगर रिजर्व : बिहार के इकलौते टाइगर रिजर्व में बाघिन की मौत, 2 महीने में दूसरी घटना

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बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाईगर रिजर्व में संदिग्ध परिस्थितियों मे फिर एक बाघिन की मौत हो गई हैं । दो माह के अन्दर दो बाघिन की मौत से वन विभाग सकते में हैं। लिहाजा अब वन विभाग के प्रबंधन पर भी सवाल खड़ा होने लगा हैं।

घटना मानपुर थाना क्षेत्र स्थित वीटीआर के जंगल में चक्रसन गांव के पास की हैं।देर शाम जंगल के पास ग्रामीणो ने बाघिन का शव देखा जिसकी सूचना वन विभाग को दी गई जिसके बाद टाईगर रिजर्व के निदेशक के साथ वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और शव को मंगुराहा रेंज ले जाया गया जहां आज बाघिन का पोस्टमार्टम किया गया हैं।

इस संबंध में वीटीआर के निदेशक हेमाकान्त राय ने बताया की बाघिन की मौत या तो जहरीले सांप के काटने से या फिर जहरीला पदार्थ खाने से हुआ हैं। क्योंकि बाघिन के शरीर पर किसी तरह का कोई जख्म के निशान नहीं हैं और उसके सारे पार्ट्स सुरक्षित हैं।

बता दें कि बाघिन की उम्र लगभग 9 से 10 साल के बीच हैं और बाघिन दो बार बच्चो को जन्म भी दे चुकी हैं।वीटीआर के निदेशक हेमकांत राय की मौजुदगी में बाघिन का पोस्टमार्टम कराया गया जिसके बाद बाघिन का बेसरा फोरेंसिग लैब देहरादुन भेजा जाएगा।साथ हीं कैमरा ट्रैप में भी बाघिन का फोटो आया हैं जिसके आधार पर छानबीन की जा रही हैं कि बाघिन की मौत कैसे हुइ हैं। वीटीआर के रघिया,मंगुराहा और गोवर्धना वन क्षेत्र में वनकर्मी और पदाधिकारी छानबीन कर रहें हैं ताकि पता चल सके कि बाघिन की मौत कैसे हुई हैं। साथ ही निदेशक हेमकांत राय ने यह भी बताया कि दो दिन पहले हीं बाघिन की मौत हुई हैं जिसके बारे में छानबीन की जा रही हैं कि वन विभाग के कर्मी लगातार पेट्रोलिंग करते हैं फिर भी दो दिनो तक बाघिन के मौत की जानकारी कैसे नहीं हुई हैं।

बता दें कि 13 अक्टुबर को इसी क्षेत्र में एक बाघिन की मौत हो गई थी जिसके शरीर पर जख्म के निशान थे और फरवरी महिने में भी एक बाघिन की मौत हो गई थी लिहाजा एक के बाद एक बाघिन की मौत होने से वन विभाग भी सकते हैं। बिहार के इकलौते वाल्मीकी टाईगर रिज़र्व को ख़ास गौरव प्राप्त है जहां बाघों के रख रखाव अधिवास और हैबिटेट के कारण कुशल प्रशासक और बेहतर प्रबन्धन में इनकी संख्या 50 पार किये जाने की संभावना है लेकिन एक बार फ़िर 9 से 10 वर्ष आयु वाले बाघिन की मौत के बाद वन विभाग के व्यवस्था और कुशल प्रबंधन के दावों पर सवाल खड़े होने लगे हैं ।

अजय पांडेय की रिपोर्ट


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