बिहार का अनोखा शिव मंदिर : सावन में नहीं होती है भोलेनाथ की पूजा, हैरान करनेवाला है रहस्य
मुजफ्फरपुर :बिहार में बरसात शुरू होने से पहले ही पुलों के गिरने के सिलसिला शुरू हो गया.बाढ़, बारिश और बरसात से पहले ही एक के बाद एक कई पुल-पुलिया ध्वस्त हो गये. जो चर्चा का विषय बना हुआ है. लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि बिहार में भगवान भोलेनाथ का एक ऐसा मंदिर है.जो बीच नदी में है. इसके बावजूद सैकड़ों वर्ष से अडिग और खड़ा है. मंदिर का भवन आज भी पूर्णत: सुरक्षित है उफनती नदी की धारा बाल भी बांका नहीं कर सका है. इसे चमत्कार कहें या मंदिर बनाने वाले कारीगरों की कारीगरी का कमाल.. लेकिन ये सच्चाई है.
बागमती की धार करती है बाबा धनेश्वर नाथ का जलाभिषेक
भगवान भोलेनाथ का सावन सबसे प्रिय मास है. इस महीने में बिहार में एक अलौकि दृष्य देखने को मिलती है. मुजफ्फरपुर में बाबा धनेश्वर नाथ का मंदिर है. स्वंय बागमती नदी बाबा धनेश्वर नाथ का जलाभिषेक करती है. सैकड़ों वर्ष से सावन में हर साल बागमती नदी का पानी मंदिर तक पहुंच जाता है. पूरा इलाका जलमग्न हो जाता है. मंदिर का कुछ हिस्सा पानी में डूब जाता है. ऐसे में गर्भगृह तक बागमती नदी का पानी पहुंच जाता है. इसके बावजूद नदी के पानी से मंदिर के भवन को कोई क्षति नही होता. लोग इसे भोलेनाथ का चमत्कार मानते हैं.
बाढ़ के कारण सावन में नदी तक नहीं पहुंच पाते हैं श्रद्धालु
बाबा धनेश्वर नाथ का मंदिर कटरा प्रखंड के धनौर गांव में बागमती नदी के तट पर है. इस मंदिर की खासियत ये है कि 6 महीने तक यहां के शिवलिंग पानी में डूबे रहते हैं. मानों शिवलिंग का जलाभिषेक हो रहा हो. बागमती नदी का जलस्तर बढ़ते ही नदी का पानी मंदिर तक पहुंच जाता है और शिवलिंग डूब जता है. उस समय चौबीसो घंटे भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक होता है. ये जलाभिषेक कोई शिवभक्त नहीं बल्कि उफनाती हुई दो नदियां करती हैं. बरसात आते बागमती का जलस्तर बढ़ जाता है. सावन में जलस्तर में तेजी से वृद्धि होता है. ऐसे में लोगों को मंदिर जाने पर रोक लगा दी जाती है. मंदिर तक पहुंचने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. यह मंदिर अपने आप में एक कौतुहल का विषय है.
रामायण काल से ही बागमती नदी के बीच धार में है मंदिर
बताया जा रहा है कि जनवरी माह से सावन के पहले तक मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. बिहार के अलावा नेपाल से लोग यहां पूजा अर्चना करने आते हैं. भक्त मानते हैं कि यहां सच्चे दिल से मांगी गई मुराद सदैव पूरी होती है. श्रद्धालुओं का कहना है कि बाबा धनेश्वर नाथ मंदिर में जो कोई भक्त भगवान के इस अदभुत रूप के दर्शन कर लेता है उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है. ग्रामीण बताते हैं रामायण काल से यह मंदिर बागमती नदी की बीच धारा के बीच अवस्थित है. यह इलाका बाढ़ग्रस्त है. सैकड़ों घर तहस-नहस हो जाते हैं. कई पुल ध्वस्त हो जाते हैं. लेकिन प्रलयकारी बाढ़ भी कभी इस मंदिर का बाल बांका नहीं कर पाया. वही मंदिर के पुजारी शंकर सिंह उर्फ दानी बताते हैं कि बचपन से ही महादेव मंदिर की पूजा अर्चना करते आ रहे हैं. महादेव मंदिर बागमती नदी के बीच धार में अवस्थित हैं. हम लोगों के द्वारा दूसरी जगह अवस्थित करने का निर्णय लिया लेकिन सब व्यर्थ रहा.