बदहाल है स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर बना स्मारक : पलामू के स्वंत्रता सेनानी श्रीनिवास मिश्रा, 1972 में इंदिरा गांधी ने किया था सम्मानित

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The memorial built in the name of freedom fighters is in bad condition The memorial built in the name of freedom fighters is in bad condition

पलामू : देश आजादी का जश्न मना रहा है. 15 अगस्त 2024 को स्वतंत्रता दिवस के 78 वर्ष पूरे हो जायेंगे. भारतीय वीर सपूतों ने ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेंक कर 15 अगस्त 1947 को देश में भारतीय झंडा लहराया था. यह दिन हर भारतीयों को याद दिलाती है कि आजादी आसानी से नहीं मिली थी. इसके लिए कई वीर सपूतों ने अपनी जान की कुर्बानी दी थी. यह दिन उन वीरों को याद करने का है. उनमें से एक नाम पांकी के छोटे से गांव छापर निवासी श्रीनिवास मिश्रा का भी है. स्वतंत्रता संग्राम में इनका योगदान स्मरणीय रहा है. श्रीनिवास मिश्रा आज भले ही इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनकी यादें और उपलब्धियां आज भी लोगों को याद है।

पांकी प्रखंड के ताल पंचायत के छोटे से गांव छापर निवासी पंडित राम सुहाग मिश्रा के पुत्र श्रीनिवास मिश्रा को स्वतंत्रता संग्राम में स्मरणीय योगदान के लिये जाना जाता है. राष्ट्र की ओर से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आजादी की 25वीं वर्षगांठ पर 15 अगस्त 1972 को ताम्रपत्र भेंट कर सम्मानित किया था. भले ही स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में उन्हें बड़ी जगह नहीं मिली लेकिन पलामू जिला में यह नाम बेहद प्रतिष्ठित है. गरीबी में रहते हुए भी इन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी भूमिका निभाई थी.यह अपने निजी जीवन काल में घोड़े की सवारी करते थे. वह बड़े ही मृदुभाषी थे और अपने जीवन का अधिकांश समय डाल्टनगंज लाह फैक्ट्री में नौकरी करते हुए बिताए. श्रीनिवास मिश्रा की स्वतंत्रता आंदोलन में ऐसी हैसियत थी कि उनसे मिलने कई बड़े-बड़े नेता उनके अस्थाई निवास स्थान पोखराहा कला में पहुंचा करते थे जिनको यह मिठाई खिलाकर विदा करते थे।

पांकी प्रखंड सह अंचल कार्यालय परिसर में श्रीनिवास मिश्रा का स्मारक भी बना हुआ है. महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन का बिगुल फूंक दिया था जिसमें श्रीनिवास मिश्रा भारत छोड़ो आंदोलन का हिस्सा बन अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लोगों को एकजुट करना नारेबाजी करना तथा सभी मोर्चे पर सक्रिय रहते थे. इनका निधन डाल्टनगंज के सदर अस्पताल में वर्ष 1984 में इलाज के क्रम में हुआ था. यह अपने पीछे अपना भरा पूरा परिवार छोड़कर स्वर्ग सिधार गए. आज इनका पूरा परिवार पांकी के छोटे से गांव छापर में ही रहकर किसी तरह अपना जीविकोपार्जन कर रहा है. पांकी प्रखंड सह अंचल कार्यालय के भवन के समीप वर्षो पूर्व स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर स्मारक बनाया गया है जिसमे पांकी निवासी दो स्वतंत्रता सेनानियों का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित भी है. लेकिन रखरखाव के अभाव में स्मारक आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त भी हुआ है. आज जरूरत है शहीदों के इस स्मारक को संरक्षित करने की ताकि आने वाली पीढ़ियां इन वीर स्वतंत्रता सेनानियों को याद कर प्रेरणा ले सकें।

पलामू से नितेश तिवारी की रिपोर्ट