तसर की खेती से अच्छे आय की संभावना : केन्द्री य तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थारन, नगड़ी में एक दिवसीय तसर रेशम कृषि मेला आयोजित
रांची : केन्द्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, नगड़ी में निदेशक डॉ. के. सत्यनारायण की अध्यक्षता में एक-दिवसीय तसर रेशम कृषि मेला का आयोजन किया गया. इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य अतिथियों के द्वारा संस्थान के प्रयोगशालाओं का भ्रमण, तसर प्रदर्शनी का उद्घाटन एवं अवलोकन किया गया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. के. सत्यनारायण ने अपने सम्बोधन में तसर कृषि मेला में सभी का स्वागत करते हुए कहा कि इस कृषि मेला से कृषकों को संस्थान में विकसित नवीनतम प्रौद्योगिकियों की जानकारी मिलेगी जिससे वे अपने क्षेत्र में तसर की खेती बेहतर तरीके से करके अतिरिक्त आय प्राप्त कर अपने परिवारों का उज्ज्वल भविष्य बना सकेंगे. इसके साथ उन्होंने विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्रदान की तथा बताया कि संस्थान में तसर रेशम के उप-उत्पादों/अवशिष्टों के माध्यम से मूल्यवर्द्धन की दिशा में कार्य प्रगति पर है. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राजेश्वरी बी., भा.प्र.से., मनरेगा आयुक्त, झारखण्ड सरकार उपस्थित थीं. अपने सम्बोधन में उन्होंने इस कार्यक्रम में सिर्फ झारखण्ड के अलावा बल्कि अन्य राज्यों के कृषकों को भी आमंत्रित करने पर हर्ष जताया. उन्होंने कहा कि मनरेगा में तसर की काफी संभावनाएं हैं तथा बिरसा हरित ग्राम योजना के अंतर्गत भी तसर की खेती की जा सकती है. उन्होंने कहा कि जारी किए गए बुकलेट तसर लाभुकों के लिए उपयोगी होंगे . सामुदायिक स्तर पर इन तकनीकों के प्रचार-प्रसार करने की जरूरत है . साथ ही महिला सशक्तिकरण के तहत महिला कृषकों को बढ़ावा मिलेगा .
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. ओंकार नाथ सिंह, कुलपति, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, आकांक्षा रंजन, भा.प्र.से., निदेशक, हस्तकरघा रेशम एवं हस्तशिल्प, उद्योग विभाग, राँची तथा अनोमा बासु, प्रमुख, सस्टनेबुल डेवलपमेंट, हिंडाल्कों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए .
इस कार्यक्रम में विभिन्न तसर उत्पादक राज्यों के वैज्ञानिकों के साथ-साथ लगभग 400 कृषक भी उपस्थित थे . बेहतर प्रदर्शन करने वाले कृषकों एवं महिलाओं को पुरस्कार एवं इनपुट्स भी मंचासीन गणमान्य अतिथियों के कर-कमलों द्वारा दिया गया. कार्यक्रम का संचालन डॉ. जय प्रकाश पाण्डेय, वैज्ञानिक-डी तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विशाल मित्तल, वैज्ञानिक-डी एवं डॉ.जगतज्योति बिकंदाकट्टी, वैज्ञानिक-सी द्वारा किया गया.