सुशासन का प्रतिफल : खूंटी का कुदलूम पंचायत सुशासन वाली पंचायत अवार्ड के लिए हुआ नॉमिनेट
खूंटी: पंचायती राज व्यवस्था का प्रतिफल है कि आज इस पंचायत के गांव से कोई पलायन नहीं करता और ना ही बेरोजगारी है. यहां के अधिकांश ग्रामीण आत्मनिर्भर बन जीवन यापन कर रहे हैं. यहां ग्राम सभा ही सर्वोपरी है. तभी तो खूंटी का यह पंचायत भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार के तहत बेहतर सुशासन वाली पंचायत अवार्ड के लिए नॉमिनेट हुआ है. हम बात कर रहे हैं खूंटी के कुदलूम पंचायत की. खूंटी के कर्रा प्रखंड में अवस्थित इस पंचायत में कुल 11 गांव एवं 13 वार्ड है. यहां की कुल जनसंख्या 6337 है. यह एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है,जहां अनुसूचित जनजाति की संख्या 90%,अनुसूचित जाति 2% एवं अन्य 8% हैं. पंचायत अन्तर्गत शिक्षा संस्थान में एक उच्च विद्यालय,चार मध्य विद्यालय एवं 5 प्राथमिक विद्यालय है. 13 आँगनबाड़ी केंद्र, एक स्वास्थ्य उप केन्द्र एवं तीन प्रज्ञा केन्द्र संचालित है.
बेहतर सुशासन के लिए नामित
कुदलूम पंचायत अन्तर्गत सुशासन की व्यवस्था स्पष्ट परिलक्षित होती है. यहां पर प्रत्येक गांव में साप्ताहिक बैठक का आयोजन ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में होती है. जिसमें गांव के प्रत्येक परिवार के सदस्यों की सहभागिता होती है. ग्राम सभा द्वारा ही सर्वसहमति से सभी समस्याओं का निष्पादन किया जाता है. पंचायत अन्तर्गत सर्वाधिक आबादी वाला गांव सोनमेर है. यहां 1000 से अधिक की जनसंख्या है लेकिन यहाँ की ग्राम सभा इतनी सुशासित है कि यह अपने आप में एक मिशाल है. इस ग्राम सभा की सबसे बड़ी देन है सोनमेर मन्दिर.
सभी का पूजा स्थल एक ही परिसर में
सोनमेर गांव में सभी जाति, धर्म, समुदाय के लोग रहते हैं. यहां एक ही परिसर में मन्दिर, सरना स्थल एवं गिरजाघर अवस्थित है. यह अनेकता में एकता का एक उदाहरण है. सोनमेर मन्दिर के निर्माण में सभी समुदाय के लोगों का बराबर सहयोग रहा. ग्राम सभा द्वारा ही श्रमदान देकर मन्दिर का निर्माण कार्य किया गया है. प्रतिदिन 15-20 ग्रामीण मन्दिर को विधि व्यवस्था संचालन के लिए लगे रहते हैं. इसकी दिनचर्या ग्राम सभा द्वारा तय किया जाता है. मन्दिर निर्माण के कारण आज गांव में बेरोजगारी पूर्णतः दूर हो गई है. मन्दिर परिसर में पूजन सामग्री की दुकान, चाय नास्ते एवं खिलौने की दुकान यह सब सोनमेर ग्राम वासियों का ही है. यहां के व्यवसाय में बाहरी लोगों का प्रवेश पूर्णतः वर्जित है. मन्दिर में पूजा कराने के लिए गाँव के पाहान की नियुक्ति ग्राम सभा द्वारा किया जाता है एवं उन्हें प्रतिदिन 350 रुपए के हिसाब से मानदेय दिया जाता है. आज यहां ग्राम सभा ही सर्वोपरी है. सुशासन की उपर्युक्त व्यवस्था के कारण आज न तो यहाँ से किसी का पलायन होता है और न ही कोई बेरोजगार है. अधिकांश लोग आत्मनिर्भर हैं.
सरकार की योजनाओं का लेते हैं लाभ
इस पंचायत को राज्य के अन्य पंचायतों की तरह की केंद्र और राज्य सरकार द्वारा सहायता दी जाती है. 15 वें वित्त आयोग के तहत उपलब्ध राशि का उपयोग ग्राम सभा के माध्यम से उचित कार्य के लिए किया जाता है. राज्य सरकार द्वारा संचालित प्रायः सभी योजनाओं का लाभ पंचायत को प्राप्त होता है. जैसे कृषि-ऋण माफी योजना, मुख्यमंत्री पशु विकास विकास योजना, मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना, वीर शहीद पोटो हो खेल विकास योजना इत्यादि जैसी योजनाओं का सहयोग ग्राम पंचायत को प्राप्त होता है और ग्रामीण योजनाओं का लाभ लेते हैं.
"पंचायतों को सशक्त कर ही स्थानीय समस्याओं का स्थानीय लोगों की भागीदारी के साथ बेहतर ढंग से हल निकाला जा सकता है, कुद्लुम की ग्राम पंचायत ने योजनाओं के सहभागी, ससमय और पारदर्शी क्रियान्वयन एवं सेवा उपलब्ध कराने में किये गये सराहनीय कार्य को राज्य के अन्य पंचायतों में क्रियान्वित करने का प्रयास किया जायेगा."