तवायफों की कहानी 'Heeramandi' : कभी था मुग़लों का बसाया शाही मोहल्ला, अब बदनाम रेड लाइट एरिया में तब्दील
DESK : संजय लीला भंसाली अपनी आगामी नेटफ्लिक्स सीरीज 'हीरामंडी: द डायमंड बाजार' के साथ ओटीटी की दुनिया में कदम रखने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इस दफा भंसाली 'तवायफ़ों' की अनसुनी कहानियों को पर्दे पर उतारने में कामयाब रहे हैं। वहीं दर्शकों के बीच सीरीज को लेकर जबरदस्त उत्साह है और इसे और बढ़ाने के लिए निर्माताओं ने 'हीरामंडी' का फर्स्ट लुक जारी कर दिया है। फिल्म के पोस्टर ने ही इंटरनेट पर खलबली मचा दी है।
मेकर्स ने एक टीजर शेयर किया था जिसमें मनीषा कोइराला शाही गेटअप में बेहद खूबसूरत लग रही थीं, इसके बाद बाकी कलाकारों की भी ऐसी ही मुस्कुराती हुई झलक दिखाई दीं. जिसमें सोनाक्षी सिन्हा, अदिति राव हैदरी, ऋचा चड्ढा, शर्मिन सहगल और संजीदा शेख के किरदारों के शाही, सुंदर लुक को दिखाया गया। इस वेब सीरीज में भंसाली ने हीरामंडी नाम की जगह को दिखाया है, जो वैश्याओं का इलाका था और जहां सिर्फ उनका ही राज चला करता था। फिल्म के वीडियो में भव्य झलक के साथ तवायफों की शान-ओ-शौकत भी नजर आई।
क्या है इस हीरा मंडी का इतिहास, चलिए जानते हैं-
15वीं और 16वीं शताब्दी के दौरान पाकिस्तान के लाहौर स्थित हीरा मंडी मुगलकाल के अभिजात्य वर्ग के लिए संस्कृति का केंद्र था। कभी लाहौर की इन गलियों में दाखिल होने वाले हर शख्स को हवेलियों से घुंघरू की आवाज आती थी। लगता था मानों पूरा शहर ही ढोलक की थाप पर थिरक रहा हो। यहां नाच गाना पेश करने वाली इन लड़कियों को ही तवायफ कहा जाता था। हालांकि आज ये नाम कालिख ओढ़ चुका है लेकिन ऐसा हमेशा से नहीं था। उस दौर में शायरी, संगीत, नृत्य और गायन जैसी कलाओं में तवायफों को महारत हासिल होती थी और एक कलाकार के तौर पर उनको बेहद इज्ज़त मिलती थी। मुग़ल काल में तवायफों और शाही मोहल्ले की ये शान बरक़रार रही लेकिन फिर 18वीं सदी में ये शानो शौकत उजड़ गई।
अंग्रेजी हुकूमत में तवायफें बनीं प्रॉस्टिट्यूड
बताते हैं कि अहमद शाह अब्दाली के आक्रमण के दौरान हीरा मंडी का नाम पहली बार वेश्यावृत्ति (prostitution) से जुड़ा। सैनिकों ने उन महिलाओं के साथ वेश्यालय स्थापित किए जिन्हें उन्होंने आक्रमण के दौरान गुलाम बना दिया था। ब्रिटिश शासन काल में यह वेश्यावृत्ति का केंद्र बन गया। ब्रिटिश शासनकाल में हीरा मंडी धीरे-धीरे अपनी चमक खोने लगा। अंग्रेजों ने तवायफों को प्रॉस्टिट्यूड का नाम दिया। अंग्रेजों ने ही जबरदस्ती तवायफों को सेक्स वर्कर बनने पर मजबूर कर दिया। नतीजा, ये मोहल्ले बदनाम होते चले गए।