सासाराम के ताराचंडी मंदिर में उमड़ा जनसैलाब : महानवमी पर श्रद्धालुओं ने की पूजा अर्चना, भक्तों में उत्साह

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रोहतास : खबर है रोहतास से जहां सासाराम के प्रसिद्ध ताराचंडी देवी स्थान में मंगलवार को महानवमी पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का ताँता लगा हैं। हजारों भक्त कतारबद्ध होकर मइया के दर्शन कर रहे हैं। पूरा मंदिर परिसर जय माता दी के जयकारों से गुंजायमान हो रहा है। वैसे तो यहां सालो भर भक्तों का आना लगा रहता है, लेकिन नवरात्र मे यहां पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है।

सासाराम से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर कैमूर पहाड़ी की गुफा में मां ताराचंडी का भव्य मंदिर है। इस मंदिर के आस-पास पहाड़, झरने एवं अन्य जल स्रोत हैं। यह मंदिर भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। यहां मनोकामनाएं पूरी होने की लालसा में भक्त दूर-दूर से आते हैं और मइया के दर्शन करते हैं। बता दे की महाअष्टमी एवं महानवमी को लाखों श्रद्धालु देवी का दर्शन करते हैं। देवी की दिव्य दर्शन से श्रद्धालुओं का हृदय प्रसन्न हो जा रहा है।

मान्यता है कि यहां आने वालों की हर मनोकामना माता रानी पूरी करती हैं इसलिए लोग इसे मनोकामना सिद्धी देवी भी कहते हैं। जानकारों ने बताया कि इस शक्ति स्थल पर माता सती की दाहिनी आंख गिरी थी। पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान शंकर जब अपनी पत्नी सती के मृत शरीर को लेकर तीनों लोकों में घूम रहे थे तब संपूर्ण सृष्टि भयाकूल हो गयी थीं तभी देवताओं के अनुरोध पर भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को खंडित किया था।

जहां-जहां सती के शरीर का खंड गिरा उसे शक्तिपीठ माना गया। सासाराम का ताराचंडी मंदिर भी उन्हीं शक्तिपीठों में से एक है। मंदिर की प्राचीनता के बारे में कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध नहीं है लेकिन मंदिर के शिलालेख से स्पष्ट होता है कि 11वीं सदी में भी यह देश के विख्यात शक्ति स्थलों में से एक था।

रंजन सिंह की रिपोर्ट


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