'सम्राट' के बहाने एनडीए में संग्राम : सम्राट अशोक की औरंगजेब से तुलना पर छिड़ा संग्राम, बीजेपी-जेडीयू में छिड़ा घमासान

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‘’जब मैं सम्राट अशोक पर नाटक लिख रहा था तो रिसर्च के बाद बहुत ही आश्चर्य हुआ कि सम्राट अशोक और मुगल बादशाह औरंगजेब के चरित्र में बहुत समानता थी। दोनो ने जीवन के शुरुआती दिनों में पाप किए और उसे छिपाने के लिए अतिधार्मिकता का सहारा लिया। दोनों ने अपने भाईयों की हत्या की और अपने पिता को कारावास में डाला। अशोक का चरित्र बहुत ही रोचक है, उसने अपनी पत्नी को जला दिया क्योंकि उसने एक बौद्ध भिक्षु का अपमान किया था। ‘’ - दया प्रकाश सिन्हा, लेखक और नाटककार

लेखक दया प्रकाश सिन्हा ने सम्राट अशोक की तुलना औरंगजेब से की

साल 2020 में पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित लेखक और नाटककार दया प्रकाश सिन्हा का यही वो बयान है, जिस पर बिहार में सियासी संग्राम छिड़ गया। एक अखबार को दिए इंटरव्यू में दया प्रकाश सिन्हा ने सम्राट अशोक की तुलना औरंगजेब से की थी। इसी बयान के बहाने बिहार में सियासी घमासान छिड़ गया और ये घमासान बिहार में साथ मिलकर सरकार चला रहे जेडीयू और बीजेपी के शीर्ष नेताओं के बीच ही छिड़ा है। जिसकी बानगी है जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा का ये लेटेस्ट ट्वीट।

इस ट्वीट में उपेंद्र कुशवाहा सीधे-सीधे बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल को निशाने पर ले रहे हैं और उनकी ओर से लेखक दया प्रकाश सिन्हा पर दर्ज कराए मुकदमे को आईवॉश और दिखावटी बताया। इस ट्वीट से अंदाजा लगा सकते हैं कि सम्राट अशोक के बहाने बीजेपी और जेडीयू के बीच तल्खी कितनी बढ़ चुकी है।

दरअसल सम्राट अशोक की औरंगजेब से तुलना करने वाले लेखक दया प्रकाश सिन्हा को जेडीयू बीजेपी का नेता बता रहा है। दया प्रकाश सिन्हा को 2020 के पद्दश्री अवॉर्ड से भी नवाज़ा गया। वहीं विवादित नाटक सम्राट अशोक के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा गया। इसी की आड़ में जेडीयू के दो बड़े नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। ललन सिंह ने दया प्रकाश सिन्हा से पद्मश्री अवॉर्ड वापस लेने की मांग की, तो उपेंद्र कुशवाहा ने दया प्रकाश सिन्हा को बीजेपी से निकालने की मांग कर दी।

जेडीयू को जवाब देने के लिए बीजेपी की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल, पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी और मंत्री सम्राट चौधरी ने मोर्चा संभाला। सुशील मोदी ने एक के बाद एक ट्वीट कर दया प्रकाश सिन्हा के बीजेपी के साथ रिश्ते से ना सिर्फ इंकार किया, बल्कि सम्राट अशोक का महिमामंडन करते हुए बताया कि बीजेपी ने ही 2015 में उनकी जयंती मनाने की शुरुआत की, जिसके बाद बिहार सरकार ने जयंती पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की।

वहीं मंत्री सम्राट चौधरी ने भी बयान देकर डैमैज कंट्रोल की कोशिश की। लेकिन इसके बाद भी जेडीयू की ओर से बीजेपी पर वार जारी रहा।

उपेंद्र कुशवाहा ने ट्वीट कर लिखा, ‘’अच्छा लगा, श्री संजय जायसवाल जी ने सम्राट अशोक की औरंगजेब से की गई तुलना को नकारात्मक प्रचार से मेवा प्राप्त करने वाला पेड़ बताया। मगर ऐसे कुकर्म के बदले पुरस्कार से नवाजा जाना आखिर क्या साबित करता है ? देर से ही सही, भुल-सुधार के लिए पुरस्कार वापसी की मांग पर आपका समर्थन है ?’’

इसके बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने दया प्रकाश सिन्हा पर पटना कोतवाली थाने में मुकदमा दर्ज कराने की अपील की।

संजय जायसवाल ने लेखक डीपी सिन्हा पर FIR दर्ज करने के लिए आवेदन दिया

लेकिन जेडीयू मानो सम्राट अशोक के बहाने बीजेपी से पूरी तरह से भिड़ने के मूड में है। संजय जायसवाल की ओर से दर्ज कराए मुकदमे को उपेंद्र कुशवाहा ने दिखावटी बता दिया।

उपेंद्र कुशवाहा ने ट्वीट कर लिखा- ‘’आई वाश मत कीजिए, संजय जी। जले पर नमक मत छिड़किए। सीधे- सीधे एवार्ड वापसी की मांग का समर्थन कीजिए। वरना ऐसे दिखावटी मुकदमा का अर्थ लोग खूब समझते हैं।‘’

वहीं रही सही कसर हम पार्टी अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने सम्राट अशोक को पिछड़ों की सियासत से जोड़कर पूरी कर दी।

मांझी ने ट्वीट कर कहा कि ‘’कुछ लोग सम्राट अशोक का अपमान सिर्फ इसलिए कर रहें है कि वह पिछडी जाति से थें। ऐसे सामंती लोग नहीं चाहतें हैं कि कोई दलित/आदिवासी/पिछडा का बच्चा सत्ता के शिर्ष पर बैठे। मा.राष्ट्रपति से आग्रह है कि हमारे शौर्य के प्रतिक सम्राट अशोक पर टिप्पणी करने वालों का पद्म सम्मान वापिस लें।‘’

यानी साफ है सम्राट अशोक के बहाने ना सिर्फ पिछड़ों की सियासत को साधने की कोशिश है, बल्कि जेडीयू के तेवर बता रहे हैं कि वो इस मुद्दे के बहाने बीजेपी को बैकफुट पर लाने के मूड में है। देखना होगा सम्राट के बहाने जेडीयू-बीजेपी का संग्राम कहां तक जाएगा।



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