नौकरी मांगोगे तो लाठी खाओगे ! : परीक्षा लेने में बीते 4 साल, फिर भी छात्रों का बुरा हाल

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चुनाव के समय लाखों नौकरियों की रेवड़ियां बांटने वाले नेताओं को वोट देने वाले लाखों छात्र आज सड़क पर लाठियां खा रहे हैं और लाखों नौकरियां देने का वादा देने वाले नेता नदारद हैं। पटना से आरा तक, बक्सर से छपरा तक। फतुहा से नवादा तक। पूरे बिहार भर में लाखों छात्र कुछ यूं अपनी आवाज़ बुलंद करने रेलवे ट्रैक पर उतरे। जिसके बाद छात्रों को हटाने के लिए जमकर लाठियां भांजी गई।

इस तस्वीर को देखकर आप यही कहेंगे कि छात्रों पर पुलिस की लाठियां बरस रही हैं। लेकिन इसे लाठीचार्ज मत कहिए, ये तो लाठी की परीक्षा है, जो सरकारी नौकरियां हासिल करने के लिए देना अनिवार्य है। खास तौर पर नौकरी अगर रेलवे की हो तब तो एक नौकरी के लिए लाठी की इस परीक्षा से एक बार नहीं बार-बार गुजरना पड़ेगा। चाहे आप लाख किताबों को पढ़कर परीक्षा दी हो, जब तक शरीर पर लाठियां नहीं बरसती है, तब तक रेलवे में नौकरी के योग्य नहीं माने जाएंगे। सिर्फ पढ़ाई देकर परीक्षा देने से आप योग्य नहीं माने जाएंगे, जब तक आपको परीक्षा आयोजित करवाने, रिजल्ट निकलवाने और फिर रिजल्ट में धांधली के सवाल पर प्रदर्शन करने और लाठियां खाने का हुनर नहीं आता हो। बस यूं समझ लीजिए कि छात्रों के लिए ये रेलवे बोर्ड का हिडेन टर्म्स एंड कंडीशन है।

अब सवाल है कि आखिर इन छात्रों का गुस्सा इस कदर कैसे भड़क जाता है, तो इसके पीछे वजह है बेरोजगार युवाओं के साथ नौकरियों के नाम पर रेलवे का मजाक। मजाक की शुरुआत हुई 2018 में। ज़रा ये ट्वीट देखिए। तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल का ये ट्वीट 16 फरवरी 2018 का है। जिसमें पीयूष गोयल ने रेलवे में 90 हजार नौकरियों की सुनामी आने की बात कही थी। ये नौकरियां ग्रुप सी और ग्रुप डी की थी। लेकिन 2022 आ गया, 90 हजार नौकरियों की सुनामी अभी तक नहीं आई, लेकिन नौकरियों के नाम पर छात्रों के गुस्से की सुनामी जरूर आ गई। क्रोनोलॉजी समझिए।

2019 लोकसभा चुनाव से पहले फरवरी 2018 में तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ऐलान किया था। ग्रुप सी और ग्रुप डी में 90 हजार नौकरियों के महाअभियान की बात कही। 2018 बीत गए, नौकरियों का महाअभियान नहीं शुरु हुआ। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 2019 में अलग-अलग लेवल के 35,281 पदों के लिए नोटिस निकालकर आवेदन मंगाए गए। जिसमें ग्रेजुएट छात्र सभी पदों के लिए योग्य थे। जबकि इंटर पास 10,603 पदों के लिए योग्य थे। वहीं ग्रेजुएट छात्र इंटर कैटेगरी के पदों के लिए भी योग्य थे। हालांकि नोटिस निकालकर फिर रेलवे बोर्ड भूल गया। 2020 में परीक्षा आयोजित करवाने के लिए छात्रों ने प्रदर्शन किया। जिसके बादRRB NTPC कीसीबीटी1परीक्षा,28दिसंबर, 2020से31जुलाई, 2021तक आयोजित की गई। 70 लाख से ज्यादा छात्रों ने परीक्षा दी।परीक्षा हुई, तो रिजल्ट जारी करने को लेकर छात्रों को सड़क पर उतरना पड़ा। जिसके बाद 15 जनवरी 2022 कोRRB NTPC कीसीबीटी1परीक्षा का रिजल्ट जारी किया गया। लेकिन रिजल्ट जारी होते ही रेलवे बोर्ड की कई खामियां उजागर हुई। जिसे लेकर छात्र अब सड़क पर हैं।

जान लीजिए परीक्षा में धांधली को लेकर छात्रों के आरोप क्या हैं। हर लेवल पर वैकेंसी का 20 गुना रिजल्ट देना था। लेकिन असलियत में 10-11 गुना ही रिजल्ट दिया गया। एक ही छात्र को 4-5 पदों के लिए क्वालीफाई बताकर 20 गुना रिजल्ट बताया जा रहा है। जिससे 3-4 लाख कैंडिडेट सीधे परीक्षा की दौड़ से बाहर हो गए। सबसे ज्यादा नुकसान इंटर परीक्षार्थियों को हुआ। क्योंकि ग्रेजुएट छात्र के लिए करीब 80 कट ऑफ था, तो इंटर पास के लिए 93। वहीं ग्रुप डी पदों के लिए एक के बजाए दो परीक्षा ली जा रही है। जो सरासर छात्रों के साथ मजाक है। हालांकि रेलवे बोर्ड ने सफाई देते हुए कहा कि परीक्षा और रिजल्ट नोटिफिकेशन के मुताबिक ही है।

मतलब नौकरी मिले ना मिले, नौकरी के नाम पर छात्रों को मानसिक यातना, प्रताड़ना मिलने की पूरी गारंटी है और उसमें भी कुछ कसर रह जाए तो आवाज़ उठाने पर लाठी और आंसू गैस के गोले तो हैं ही। क्योंकि नौकरियां दे दी, तो फिर नौकरियों का सपना बेचकर चुनाव में वोट कैसे लेंगे।



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