सरायकेला : खेलाई चंडी मेला की साफ-सफाई और तैयारी में जुटे लोग

Edited By:  |
Reported By:
People engaged in cleaning and preparation of Khelai Chandi Fair People engaged in cleaning and preparation of Khelai Chandi Fair

सरायकेला:- कोल्हान का प्रसिद्ध खेलाई चंडी मेला 16 जनवरी को माघ महीना के आखान यात्रा के दिन लगता है। जहा राज्य के साथ पश्चिम बंगाल उड़ीसा आदि जगह से श्रद्धालु पहुंचते है। इस मंदिर में प्रसाद के साथ कबूतर ,बकरे की वली चढ़ता है,सभी भक्तो की मां खेलाई चंडी से मांगे गए सभी मन्नत पूरा होता है। आस्था पर विश्वास रखने वाले लोगो पर मां का आश्रीवाद बना रहता है।


नीमडीह थाना क्षेत्र के सामानपुर पंचायत के अधीन बामनी दलमा पर्वत श्रृंखला से जुड़े छोटे बड़े पर्वत के तराई पर यह प्राचीन कालीन मेला लगता है। मां चंडी (दुर्गा) की पूजा शाल पेड़ के नीचे और शिलापट में पूजा अर्चना किया जाता है। झारखंड राज्य के साथ पश्चिम बंगाल उड़ीसा आदि राज्यों से श्रद्धालु भक्तो मां खेला चंडी की दरबार पहुंचते हैं। आज तक मंदिर नहीं बना। मां की पूजा वार्षिक एक बार ही होता हे।



नीमडीह थाना क्षेत्र के एन एच 32 टाटा पुरुलिया मुख्य राज्य मार्ग से 6/8 किलोमिटर दूरी रघुनाथपुर चौक से बोड़ाम और पटमदा जाने वाले सड़क बामनी स्थित मां खेलाई चंडी के नाम से प्रचलित प्राचीन कालीन मेला आस्था पर विश्वाश पर यह नाम प्रचलित है। जहां पर बर्ष में एक बार ही मेला लगता है। जहा सेकडों की तादात से श्रद्धालु पहुंचते है,ओर उसी दिन मनुष्य इस तलाब में नहाकर, भक्तो द्वारा डंडी देकर मां के पास मन्नत मांगते हैं।लोगो का विश्वास है कि मां उनकी मन्नत पूरा करती है।16 जनवरी माघ महीना के आखान्न यात्रा के दिन लगता है मेला,जहा श्रद्धालु मन्नत के अनुसार तलाव में नहाकर तीन बार मिट्टी अपने मस्तिष्क में उठाकर तालाब के आड़ में डालता है और देखते ही देखते यह गाड़ीनुमा आज तालाब में परिणत हो गया ।


2 सबसे बड़ी बात यह है की इस मंदिर में पुजारी पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिला के पहाड़ी गांव के पुरोहित द्वारा पूजा अर्चना करते आ रहे हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी, उसी पंडित द्वारा सभी भक्तों को मन्नत का प्रसाद लड्डू ,बतासा फल-फूल के साथ कबूतर, बकरा की पूजा कर देने के बाद बामनी गांव गांव के लाया द्वारा वली करते है। उस दिन इस मंदिर परिसर में सुबह से शाम तक भक्तो की लगी रहती है भीड़। मेले में सैकड़ों दुकानदार पहुंचते हैं। आज से साफ सफाई और दुकानदारों द्वारा आपने दुकान लगाने की जगह पर घेरा बना लिया गया है। इस मेला में दूरदराज से टुसू,प्रतिमा,टुसू चौड़ल पहुंचते जो 60/80 फिट ऊंचाई का होता है जिसको समिति द्वारा सम्मानित करते हैं।