पर्यटन स्थल लावापानी की गजब खूबसूरती : मनमोहक वातावरण पर्यटकों को अपनी ओर कर रही आकर्षित

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लोहरदगा : झारखंड में बहुत सारे पर्यटन स्थल हैं जहां लोग नये साल में पिकनिक मना कर आनंद लेते हैं. आज हम आपको राज्य के उस नायाब नगीना के बारे में बताने जा रहा हूं, जो लावा की फौव्वारा की तरह गिरता है. पर शीतल है. सीढ़ियों की तरह उतरती है और बिहड़ों में शांत हो जाती है. यह लावापानी है.


जिले के पर्यटन स्थलों में लावापानी झरना का महत्वपूर्ण स्थान है. यह झरना पेशरार प्रखंड के मवनपुर में स्थित है. यह जिला के अन्य पिकनिक स्थलों में से एक है. यहां पानी पहाड़ के 7 चरणों में कल कल करते प्रवाहित होती है. लावापानी जलप्रपात जिला मुख्यालय से 52 किमी दूरी पर स्थित है. पेशरार प्रखंड जाने के क्रम में केकरांग लवासा रोड के माध्यम से जाया जा सकता है.


बिहड़ जंगलों के बीच हसीन वादियों,मनमोहक वातावरण नैसर्गिक खुबसूरतियां इस स्थान की सुंदरता है. तभी तो पर्यटकों को यह अपनी ओर आकर्षित और मोहित कर रहा है. यह स्थान मानो जन्नत सा है. यहां सात स्टेप में हजार फीट के ऊंचाई से पानी की जलधारा लावा की तरह गिरता है,पर शीतल है. लोहरदगा जिले के पेशरार प्रखंड में लावापानी अवस्थित है. लावापानी झरना गाला नदी पर है. यह केकरांग पेशरार पथ पर स्थित है. यह स्थान पूरी तरह से घने जंगलों में स्थित होने की वजह से प्रदूषण मुक्त है. इस क्षेत्र में आदिवासियों की बहुलता है. यहां विभिन्न पौधों व पुष्पों की संगंधयुक्त,मधुमय और आदिम जनजातीय सभ्यता की सभ्यता से रू बरू होने का आपको मौका मिलेगा. यह मानो प्राकृतिक संरचनाओं का केन्द्र है और दुलर्भ चीजें हैं. जिसे आप देख व महसूस कर सकते हैं. यहां पर लाल मिट्टी पाई जाती है. इतना ही नहीं यह क्षेत्र बॉक्साइट खनिज के लिए काफी प्रसिद्ध है. इस स्थान पर पर्यटकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अब पर्यटन विभाग के द्वारा विशेष ध्यान दिया जा रहा है.


सालो भर आते हैं लोग

यहां लोग सालभर जाते हैं पर अक्टूबर से जून माह यहां आने के लिए सबसे उत्तम समय है. साथ ही यदि आप फैमिली के साथ आ रहे हैं तो बच्चों का विशेष ध्यान रखें क्योंकि यहां की चट्टाने काफी फिसलन है.

मॉनसून में खिल उठती है लावापानी की चमक:-

पहाड़ों से आकर गाला नदी में मानसून की पानी गिरने की वजह से जब यह लावापानी के पास आकर गिरता है तो इसकी खुबसूरती देखने लायक होती है. स्थानी लोगों का जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने कहा कि इसकी आवाज यहां35किलोमीटर दूर तक सुनाई देती है. गला नदी की कुल लम्बाई लगभग30किलोमीटर है. यह बोनरोबार से उद्गमित होकर उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर प्रवाहित होती हुई अपनी सहायक नदी खिखिर से मिल कर लातेहार रेलवे स्टेशन के पास तुपुखुर्द स्थान पर औरंगा नदी में समाहित हो जाती है.

नक्सलियों के ख़ौफ़ के कारण नहीं जाते थे लोग

एक समय था जब नक्सली संगठन माओवादी का गढ़ माना जाता था लावापानी,ये स्थान नक्सलियों के लिए सेफ जोन माना जाता था. लेकिन अब इस स्थान पर चप्पे चप्पे पर पुलिस बल तैनात कर दी गई हैं. आने जाने वाले पर्यटकों को नक्सलियों का डर अब नही हैं.


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