पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि : विधायक सरयू राय ने बारिडीह में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया श्रद्धा व्यक्त
जमशेदपुर : भाजमो जमशेदपुर महानगर के तत्वावधान में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि समारोह सह कार्यशाला का आयोजन बारिडीह विधानसभा कार्यालय में आयोजित किया गया. कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय उपस्थित हुए.
विधायक सरयू राय एवं पार्टी के नेताओं ने दीनदयाल उपाध्याय के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धा व्यक्त किया.
कार्यक्रम के शुभारंभ के प्रथम सत्र में विधायक सरयू राय ने अपने संबोधन में भाजमो कार्यकर्ताओं को दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी से रूबरू कराया. सरयू राय ने बताया कि आजादी के बाद राष्ट्रवादी विचारधारा के नेताओं ने मिलकर सन 1951 में जनसंघ का गठन किया. दीनदयाल उपाध्याय को जनसंघ का महामंत्री बनाया गया. धीरे धीरे जनसंघ एवं बड़ी पार्टी बन गई. दीनदयाल उपाध्याय एक सामान्य परिवार के साधारण व्यक्ति थे. उन्होंने सांगठानिक कार्यों में व्यक्तिगत व्यवहार में सुचिता बनाए रखने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि आप अपने निजी जीवन में जो भी व्यवाहार करते हैं लेकिन जब संगठन की बात आती है तब पार्टी के नीति-सिद्धांत को अपनाकर ही कार्य करें. उन्होंने "नीत नूतन चिर पुरातन" का मंत्र दिया था. नए संदर्भ में प्राचीन पद्धति को स्वरूप देंगे. लेकिन पुरानी परम्परा के मूल तत्वों को अक्षुण्ण रखना होगा.
उन्होंने कहा था कि भ्रष्टाचार में किसी भी रूप में समझौता नहीं करेंगे. दीनदयाल जी के ही सिद्धांतों पर जयप्रकाश नारायण ने जनता पार्टी का गठन किया. उन्होंने कहा था कि संगठन और व्यक्ति में समन्वय कैसे स्थापित हो इस पर विचार करना होगा. दीनदयाल जी के सिद्धांत आज भी पूर्ण रूप से प्रासंगिक प्रतीत होते हैं. उन्होंने सादगी और सुचिता पर विशेष ध्यान दिया था. सुचिता की परिधि भी तय की थी. कम समय में ऐसे विचार रखे की आज दीनदयाल जी के उपदेशों पर देश दुनियाभर में शोध हो रहा है. उनके विचार और दर्शन हमेशा से जीवन को मार्गदर्शन करते हैं और उन्होंने जो भी कार्य करने के तरीके बताए वे दर्शन और सिद्धांत पर आधारित होते हैं. उन्होंने कार्यकर्ताओं को हमेशा यही कहा कि व्यक्तिगत व्यवहार में सुचिता बनाए रखे.
सरयू राय ने कार्यशाला में संगठन को सशक्त बनाने के लिए कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन किया. बूथ समिति की रचना के गुण बताए. उन्होंने कहा कि संगठन का मूलमंत्र है कि हम क्या कर रहे हैं और हमें क्या करना चाहिए. जो भी साथी सक्रिय रूप से हमारे साथ काम कर रहे हैं उनके जीवन और उनकी स्थिति के बारे में जानना चाहिए. तभी संगठन सुदृढ होगा.