नक्सलियो का 3 दिवसीय बंद : पोस्टर बाजी कर दी थी सूचना, पुलिस अलर्ट

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नक्सलियो का 3 दिवसीय बंद के ऐलान के बाद आज झारखण्ड पुलिस के प्रवक्ता अमूल होमकर ने प्रेस वार्ता कर बताया की राज्य में कहीं से भी नक्सलियो के बंद को लेकर कोई भी अप्रिय घटना की सूचना नहीं आयी है। प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है।

भाकपा माओवादियों ने अपने केंद्रीय कमेटी के सदस्य प्रशांत बोस उनकी पत्नी गिरफ्तारी के विरोध में 4 राज्यो में तीन दिवसीय बंद का एलान कर दिया है। बिहार , झारखंड ,उत्तरी छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में भाकपा माओवादियों ने 23 नवंबर से लेकर 25 नवंबर तक बंद का ऐलान किया है इस संबंध में माओवादियों के द्वारा पोस्टरबाजी कर सूचना दी गई है। इससे पहले इसी 20 नवंबर को माओवादियों ने भारत बंद का ऐलान किया था बंद के दौरान झारखंड में कई जगह रेलवे को निशाना बनाया गया था।

क्या है माओवादियो के पत्र में -

भाकपा माओवादियों के बिहार झारखंड उत्तरी छत्तीसगढ़ उत्तर प्रदेश सीमांत रीजनल कमेटी के द्वारा अलग-अलग इलाकों में पोस्टर बाजी कर चार राज्यों में तीन दिवसीय बंद का ऐलान किया गया है।पोस्टर जारी कर यह बताया है कि 12 नवंबर की सुबह संगठन के वरिष्ठ और बुजुर्ग केंद्रीय कमेटी और पोलित ब्यूरो के मेंबर किशन दा और उनकी पत्नी केंद्रीय कमेटी तथा पूर्वी रीजनल ब्यूरो सदस्य शिला मरांडी को झारखंड पुलिस के द्वारा गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने दोनों को उस समय गिरफ्तार किया जब वह अपना इलाज करवाने के लिए जा रहे थे।

माओवादियों ने यह आरोप लगाया है कि दोनों के ऊपर पुलिस जुल्म कर रही है। दोनों को इलाज की जरूरत है लेकिन इसके बावजूद उन्हें जेल भेज दिया गया।अनुसार 75 वर्षीय किशन दा और 61 वर्षीय शीला दोनों ही बेहद वृद्ध हैं और अस्वस्थ चल रहे हैं ,लेकिन ऐसे में भी पुलिस हिरासत में रखकर पूछताछ के दौरान उन्हें घोर शारीरिक और मानसिक यातनाएं देने का काम किया गया है। वहीं महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में मुठभेड़ 26 नक्सलियों के मारे जाने को लेकर भी दोषियों को सजा देने का ऐलान माओवादियों ने किया है। माओवादियों ने ऐलान किया है कि 26 साथियों मुठभेड़ करार देकर मारने वाले पुलिसकर्मियों को संगठन सजा देगा।

प्रशांत बोस को सुरक्षा के मद्देनजर रांची जेल किया गया शिफ्ट अलर्ट पर पुलिस -

दूसरी तरफ रिमांड अवधि खत्म होने के बाद प्रशांत बोस और शीला मरांडी को कड़ी सुरक्षा के बीच सरायकेला जेल से रांची जेल शिफ्ट कर दिया गया सुरक्षा के मद्देनजर प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के बाद झारखंड पुलिस भी पूरी तरह से अलर्ट मोड पर , वहीं नक्सलियों के बंद को देखते हुए भी नक्सल प्रभावित जिलों को अलर्ट कर दिया गया है। सुरक्षाबलों को अभियान में पूरी सतर्कता बरतने का निर्देश जारी किया गया है।

गढ़चिरौली मुठभेड़ के विरोध में महाराष्ट्र ,मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ ,उड़ीसा ,तेलंगाना और आंध्र प्रदेश बंद का भी ऐलान

वही प्रशांत बोस की गिरफ्तारी और महाराष्ट्र में गढ़चिरौली में पुलिस के साथ हुए मुठभेड़ में 26 नक्सलियों के मारे जाने के विरोध में भी 27 नवंबर को छह राज्यों में नक्सलियों ने बंद का ऐलान किया है। केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय ने रिलीज जारी कर या जानकारी दी है।

20 सालों में सबसे बड़ा झटका, इस रैंक में न कोई पकड़ा गया न मारा गया -

देशभर में 20 सालों में माओवादियों के लिए प्रशांत बोस व शीला मरांडी की गिरफ्तारी सबसे बड़ी गिरफ्तारी है। प्रशांत बोस के रैंक का कोई माओवादी न पहले देशभर में कहीं पकड़ा गया था न ही मारा ही गया था। साल 2004 के बाद से लगातार ईआरबी के सचिव रहे प्रशांत बोस 80 से अधिक उम्र के होने के बाद भी पुलिस की पकड़ से दूर थे। साल 2016 के बाद से प्रशांत बोस की तबीयत लगातार खराब रहती थी। इसलिए जंगल में प्रशांत बोस के लिए अलग से प्रोटेक्शन दस्ता बनाया गया था। छतीसगढ़ के तेजतर्रार माओवादियों का प्रोटेक्शन दस्ता की सुरक्षा में प्रशांत बोस को सारंडा में रखा जाता था। जिसका प्रभार करमचंद उर्फ लंबू को दिया गया था। तबीयत खराब होने की वजह से जंगल में मूवमेंट के लिए प्रशांत बोस के लिए पालकी बनायी गई थी।

5 दसक से था सक्रिय -

भाकपा माओवादियों के पोलित ब्यूरो मेंबर प्रशांत बोस पांच दशकों तक झारखंड, बिहार में माओवादियों का सबसे बड़ा चेहरा रहा। संयुक्त बिहार में महाजनी आंदोलन के दौरान पश्चिम बंगाल से 70 के दशक में प्रशांत बोस गिरिडीह आया था। इसके बाद से एमसीसीआई के प्रमुख बनने से लेकर कई राजनीतिक हत्याओं तक में प्रशांत बोस मास्टरमाइंड की भूमिका में रहा। यही वजह थी कि झारखंड, बिहार, छतीसगढ़, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों की पुलिस को ही नहीं बल्कि केंद्रीय एजेंसी सीबीआई और एनआईए तक को प्रशांत बोस की तलाश थी।


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