बिहार पुलिस-IRTE के बीच एमओयू साइन : अब साइंटिफिक तरीके से होगी सड़कों की ऑडिट, ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर बनाने की पहल
पटना : अब बिहार में सड़कों की साइंटिफिक तरीके से ऑडिट की जाएगी। जिसे लेकर मंगलवार को यातायात पुलिस और आइआरटीई (इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन) ने एमओयू साइन किया गया। इस दौरान मौके पर मौजूद कॉलेज ऑफ ट्रैफिक मैनेजमेंट के डायरेक्टर रोहित बलूजा और यातायात पुलिस के डीजी सुधांशु कुमार ने एमओयू हस्ताक्षरित किया। दुर्घटना मृत्यु दर में बिहार देशभर में दूसरे स्थान पर है, ऐसे में इन घटनाओं में कमी लाने के लिए एमओयू बेहतर साबित हो सकता है।
रोहित बलुजा को वैज्ञानिक और प्रमाणिक रूप से सड़कों के बारे में अच्छी जानकारी है। यूएन में भी भारत को रिप्रेजेंट कर चुके हैं। समरी ऑडिट के लिए राज्य के अंदर सबसे अधिक दुर्घटनाग्रस्त जिलों को शामिल किया गया है। इसमें पटना, मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर, बिहारशरीफ शामिल है। समरी ऑडिट में इन जिलों के नेशनल हाइवे और स्टेट हाइवे के 500km की लंबाई को शामिल किया जाएगा।
वैज्ञानिक तरीके से ऑडिट
डीजी सुधांशु कुमार (यातायात पुलिस) ने बताया कि बिहार पुलिस और आईआरटीई के बीच वैज्ञानिक तरीके से ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए एमओयू साइन किया गया है। आज से इस कार्य के लिए रोहित बलुजा का मनोनयन किया गया है। ये लोग वैज्ञानिक तरीके से एविडेंस के आधार पर समरी ऑडिट करेंगे। प्राप्त प्राइमरी और सेकेंडरी डेटा के विश्लेषण के बाद मुख्य सचिव के साथ वर्कशॉप आयोजित करने की योजना है।
वहीं, रोहित बलुजा ने बताया कि बिहार पहला स्टेट है, जो साइंटिफिक तरीके से ट्रैफिक व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। विडियोज, सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर के जरिए, जानना चाहते हैं कि यहां समस्याएं क्या हैं। ऑडिट के दौरान इनके ऊपर हमारा काफी जोर रहेगा।
खामिया होगी दूर
ट्रेनिंग संस्थानों तक जाकर काम करने वाले लोगों की कमियों के बारे में जानकारी लेने की कोशिश होगी। उसके बाद उन कमियों को कैसे खत्म किया जा सकता है। उसके बारे में जानकारी जुटाएंगे। हमारे 6 से 7 इंजीनियर्स, कैमरा मैन, रोड सेफ्टी स्पेशलिस्ट, फॉरेंसिक एक्सपर्ट यहां रहेंगे। आपको बता दें सड़क दुर्घटना में पूरे देश में बिहार दूसरे स्थान पर है। दुर्घटना मृत्यु दर में भी सिक्किम के बाद बिहार का ही स्थान है। ऐसे में इन घटनाओं में कमी लाने के लिए एमओयू बेहतर साबित हो सकता है। यह ऑडिट प्रक्रिया लगभग दो महीने में पूरी हो जाएगी।