डीजल वाली स्कूल बसों पर कल से रोक : प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन ने की CM से हस्तक्षेप की मांग, कहा : बच्चों के हित में रद्द करें फरमान

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 Mother of Private School and Children Welfare Association intervened with CM  Mother of Private School and Children Welfare Association intervened with CM

PATNA : बिहार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार के माध्यम से डीजल वाली स्कूल बसों पर 1 सितंबर से प्रतिबंध लगाने के मामले में मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।

डीजल वाली स्कूल बसों पर कल से रोक

शिक्षा मंत्री सुनील कुमार से उनके सरकारी कार्यालय में एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमायल अहमद ने मुलाकात कर सरकार के द्वारा 1 सितंबर से डीजल से चलने वाले स्कूल बसों के परिचालन पर प्रतिबंध लगाने संबंधी आदेश को अविलंब रोकने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस तरह के आदेश से पटना के स्कूल में पढ़ने वाले एक लाख से ज्यादा छात्र एवं छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित हो जाएगी।

राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद ने सरकार से सीधा सवाल किया है कि पटना में डीजल से चलने वाली हजारों सरकारी और निजी गाड़ियां रोड पर चलती हैं। क्या इससे प्रदूषण नहीं होता? उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के तुगलकी फरमान से मध्य एवं गरीब परिवार के बच्चों को शिक्षा से वंचित करने की कोशिश की जा रही है क्योंकि जब स्कूल बस ही नहीं चलेगी तो उन बच्चों के पास कोई अन्य साधन नहीं है, जिससे वह स्कूल जा सकें। अमीर घरों के बच्चे तो अपनी निजी वाहन से विद्यालय पहुंच जाएंगे लेकिन बाकी बच्चों का किया होगा ?

राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद ने शिक्षा मंत्री सुनील कुमार से आग्रह किया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की बात करें और आग्रह किया है कि बच्चों और अभिभावकों के हित में इस तरह के फरमान को रद्द करें ताकि मासूम छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो।

राष्ट्रीय अध्यक्ष शमायल ने कहा कि जहां तक प्रदूषण का मामला है तो ध्यान आकर्षित करना आवश्यक है कि विद्यालय के वाहन सुबह एक घंटा और दोपहर एक घंटा ही चलते हैं और केवल विद्यालय के वाहनों से ही प्रदूषण नहीं होता। बाकी सरकारी एवं निजी वाहन भी सड़क पर प्रदूषण के जिम्मेदार हैं, जो 24 घंटे सड़क पर चलते हैं। फिर भी सदैव की भांति इस बार भी एसोसिएशन सरकार के फैसले का सम्मान करती है लेकिन आग्रह है कि मुखमंत्री कम से कम 3 वर्षों का समय दें ताकि सभी विद्यालय बिना किसी परेशानी के डीजल बसों को सीएनजी में बदल सकें।