महिलाओं में काफी खुशी : जिला प्रशासन ने आदिम जनजाति परिवारों के बीच पोषण स्तर को बढ़ाने के लिए बांटे 300 लोहे की कड़ाही

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चतरा : जहां एक ओर केंद्र और राज्य सरकार तेजी से विलुप्त हो रहे आदिम जनजाति के बिरहोर व बैगा परिवारों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चला रही है. वहीं दूसरी ओर जिला प्रशासन भी उनके जीवनशैली की उत्थान को लेकर काफी गंभीर है.

जिले के घोर नक्सल प्रभावित प्रतापपुर प्रखंड में जिला प्रशासन के सौजन्य से आदिम जनजाति के करीब 300 बिरहोर व बैगा परिवारों के बीच लोहे की कड़ाही का वितरण किया गया,ताकि ये अच्छी तरह से भोजन बना कर अपने पोषण स्तर को बढ़ा सकें.

दरअसल इस कार्यक्रम के तहत प्रखंड विकास पदाधिकारी मुरली यादव तथा अंचल अधिकारी जुल्फिकार अंसारी के द्वारा आदिम जनजाति के 300 परिवारों के बीच कड़ाही का वितरण किया गया. वहीं दूसरी ओर इस मौके पर प्रखंड विकास पदाधिकारी मुरली यादव ने बताया कि कल्याण विभाग की ओर से आदिमजाति परिवार के बीच वितरण करने के लिए 300 कड़ाही उपलब्ध कराया गया था. जिसके तहत प्रत्येक परिवारों को दो-दो कड़ाही का वितरण किया गया. उन्होंने बताया की लोहे की कढ़ाई के वितरण करने का मुख्य उद्देश्य उनके जीवन स्तर को ऊंचा करने तथा उनका पोषण स्तर को बढ़ाना है. वहीं उन्होंने बताया कि लोहे की कढ़ाई में भोजन पका कर खाना स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभदायक है. उन्होंने आगे कहा कि इनके कल्याण के लिए इनके बीच राशन,पेंशन तथा बिरसा आवास आदि भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं.

इधर कड़ाही मिलने के बाद इन बिरहोर परिवार की महिलाएं काफी खुश नजर आई और लोहे की कढ़ाई पाने के बाद उनके चेहरे पर मुस्कान की एक झलक भी साफ तौर पर देखी गई. योजना का लाभ पाने वाले लोगों में मुख्य रूप से सुकन बैगा,सानू बैगा,श्रवण बैगा,जागेश्वर बैगा,गुड़ी बैगिन,कबूतरी देवी,कैली देवी,ललिता बैगिन,मंजू देवी सहित अन्य लोग के नाम शामिल है.

हालांकि केंद्र व राज्य सरकार तथा जिला प्रशासन के प्रयास से समाज की विलुप्त प्राय इन बिरहोर व बैगा जनजाति परिवारों को कई कल्याणकारी योजनाओं से आच्छादित किया जा रहा है. किंतु जिला प्रशासन द्वारा आयरन की कढ़ाई उपलब्ध करा कर उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाने के साथ-साथ उनके शारीरिक स्वास्थ्य को भी बेहतर करने का यह एक नायाब तरीका है.


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