मधुपुर में दो दिवसीय ‘झारखंड जतरा’ शुरु : मंत्री हफीजुल हसन ने कहा, संताल परगना में अखाड़ा और ग्राम सभा को किया जाएगा मजबूत
मधुपुर: स्थानीय बावनबीघा मंगलम परिसर में मंगलवार को संवाद द्वारा दो दिवसीय झारखंड जतरा के तहत अखड़ा का ‘सांस्कृतिक समागम’ पारंपरिक रिति-रिवाज से किया गया. मुख्य अतिथि झारखंड के मंत्री हफीजुल हसन ने दीप प्रज्वलित कर ‘झारखंड जतरा’ का शुभारंभ किया. इस अवसर पर मंत्री हफीजुल हसन के साथसमाजकर्मी घनश्याम,अलाउद्दीन पंकज पीयूष,पूर्ण उपाध्यक्ष फैयाज कैशर,ऐनी टुडू,ललिता,सालगे मार्डी,लुकमान,मुखिया सुकुरमनी हेंब्रम,साईलेंस किस्कू एवंसुरेंद्र बिरोली मौजूद रहे.
इस मौके पर मुख्य अतिथि सूबे के कैबिनेट मंत्री हफीजुल हसन ने कहा कि कला और संस्कृति विभाग का दायित्व हमारे ही पास है. उन्होंने कहा कि झारखंड में ग्राम सभा,जतरा और अखाड़ा की संस्कृति को बचाना है. देश के बिचौलिया झारखंड में हावी है. झारखंड प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न है. सीधे-साधे लोगों के अधिकार पर बिचौलिया हावी है. झारखंड के लोगों को हमेशा संघर्ष के बाद ही अधिकार मिला है. जल जंगल जमीन की रक्षा शिक्षा और खेती-बाड़ी से हमें आगे बढ़ाना है. अब खनिजों की रॉयल्टी राज्य सरकार को सीधे मिलेगी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गरीब परिवारों की समस्या को देखते हुए मंईयां योजना से 21 से 50 वर्ष की बेटी और महिलाओं को प्रत्येक माह एक हजार देकर प्रोत्साहित कर रही है. संताल परगना में अखड़ा को मजबूत किया जाएगा. इसके लिए सरकार हर संभव सहयोग करेगी.
सामूहिक अभिव्यक्ति का नाम है झारखंड जतरा : घनश्याम
वरिष्ठ समाजसेवी घनश्याम ने कहा कि सामूहिक अभिव्यक्ति का नाम झारखंड जतरा है. हर आदिवासी गांव में अखड़ा है जहां सांस्कृतिक कार्यक्रम,पर्व-त्योहार,ग्रामीण समस्याओं के विमर्श के लिए ग्रामीण जुटते हैं. सभी अखड़ा को मिला कर जतरा या जतरा मेला का आयोजन किया जाता है. अखड़ा और जतरा दोनों खतरे में है. संवाद द्वारा 700 गांव में ग्राम सभा और 450 गांव में ग्रामसभा सचिवालय की स्थापना कर पांच स्टैंडिंग कमेटी का निर्माण किया गया है. इसमें पचास फीसदी आधी आबादी और युवाओं की भागीदारी है. 500 अखड़ा को मजबूत किया गया है. नृत्य,गीत हमारे ऊर्जा को बढ़ाता है. मानवीय रिश्ते को मजबूत बनाता है. प्रकृति से जोड़ता है. समग्र प्रक्रिया के अंदर ग्राम सभा को मजबूत कर स्वशासन,स्वावलंबन और अपनी संस्कृति को मजबूत करना है. संस्कृति,रिति,रिवाज खान,पान को बचाने की जरूरत है. शिक्षाविद पंकज पीयूष ने ग्राम सभा और अखड़ा संस्कृति को बचाने पर जोर दिया. समाजकर्मी अलाउद्दीन ने कहा ग्राम सभा,अखड़ा और जतरा में समन्वय स्थापित कर नया समाज बनाना है. जिसमें महिलाओं की महत्वपूर्ण भागीदारी हो.
ऐनी टुडू ने कहा कि झारखंड जतरा नाच-गान के लिए नहीं हमें अपनी संस्कृति को खुद बचाना होगा. ग्राम सभा को मजबूत करके ही अखड़ा और जतरा को मजबूत किया जा सकेगा. कुमार चंद्र मार्डी ने कहा कि अपसंस्कृति के खिलाफ यह सांस्कृतिक पहल है. अखड़ा और जतरा नाच-गान के साथ जल, जंगल, जमीन और प्रकृति से जुड़ी है. कार्यक्रम का संचालन अबरार ताबिंदा ने किया. इस मौके पर अबरार ताबिन्दा, दिनेश्वर किस्कू, साकिर अंसारी,सैफ, कुन्दन भगत, महानंद, मनोनित, सुनिता, विजय, अताउल, जाकिर, सीमा, सीमान्त, जावेद, पंकज समेत पाकुड़, दुमका, सिंहभूम, इटकी, बेड़ों, रांची, मधुपुर आदि अखड़ा टीम के कलाकार झारखंड जतरा में शामिल है.