साइकिल से सुपरस्टार तक की उड़ान : जानिए पवन सिंह के गायक से एक्टर बनने तक का सफर, अब सियासी पिच पर गर्दा उड़ाने को हैं बेताब
Pawan Singh Special :बिहार में लोकसभा चुनाव की सरगर्मी में भोजपुरी फ़िल्म के अभिनेता पवन सिंह के चुनाव लड़ने की चर्चा जोरों पर है. सोशल मीडिया से लेकर अख़बार और आम लोगों की चुनावी चर्चा में पवन सिंह का नाम सबसे ऊपर है. चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद पवन सिंह ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे थे. पवन सिंह कैसे बने इतने बड़े सुपरस्टार, कैसा था पवन सिंह का स्ट्रगल, कौन गाना हुआ था पहले हिट इन सभी जानकारी को कशिश न्यूज आज आप से साझा कर रहा है.
साइकिल से सुपरस्टार तक की उड़ान
पवन सिंह के फैन या हर कोई जानता है कि भोजपुर जिला के जोकहरी गांव के है. पवन सिंह और उनके गाने की शुरुआत या सिंगिंग लाइन के स्ट्रगल की शुरुआत उनके गांव से नहीं बल्कि आरा प्रखंड के भेदया गांव से शुरू हुई थी. ये बहुत कम लोग जानते है. पवन सिंह की बुआ का ससुराल है भदेया गांव. यहीं से पवन सिंह के सिंगिंग करियर की शुरुआत हुई थी. यहां के कई ऐसे लोग जिन्होंने कशिश न्यूज़ को बताया कि पवन सिंह का बचपन यहां गुजरा और यहीं रहकर वो छोटे-छोटे प्रोग्राम में अपनी सुरों का जादू बिखेरते थे.
चाचा साइकिल से ले जाते थे संगीत की शिक्षा दिलाने
इस गांव के समाजसेवी है मार्कण्डेय सिंह, जिन्होंने कशिश न्यूज से बात करते हुए बताया कि भदेया गांव में एक मशहूर संगीतकार रहते थे देव शरण मलिक, उनके पास ही चाचा अजित सिंह पवन सिंह को साइकिल से लेकर गाना सिखाने आते थे और वो यहीं बुआ के घर रुक जाते थे. बचपन से ही पवन सिंह की आवाज बेहद ही मधुर है. शादी-विवाह, जन्मदिन या किसी भी प्रोग्राम में गाने का अवसर मिलता था तो वो छोड़ते नहीं थे और बिना किसी लोभ लालच के वो स्टेज पर चढ़कर माइक पकड़ गाना गाने लगते थे.
इस कार्यक्रम से मिली पहचान
पहली बार जो उनका गाना कैसेट के माध्यम से आया था, वो 'ओढनिया वाली नाम' से आया था लेकिन कैसेट ज्यादा चला नहीं. उसके बाद झारखंड तब का बिहार के गढ़वा में पुलिस लाइन केंद्र में एसपी के ट्रांसफर का कार्यक्रम हुआ, जहां पर मार्कण्डेय सिंह उनको लेकर गए और ओढनिया वाली गाना को फिर से वहां गाया. इस गाने को वीडियोग्राफी वाले ने अपने कैमरे में कैद कर लिया और उसके द्वारा जो कैसेट बनाया गया, उसे खूब सराहना मिली और ओढनिया वाली गाना हिट कर गया.
मार्कण्डेय सिंह ने बताया कि पवन सिंह जब शुरुआती समय मे स्ट्रगल के दौर से गुजर रहे थे, तब पैसे के चक्कर में बिल्कुल नहीं रहते थे. उनके दिमाग सिर्फ यही रहता था कि ज्यादा से ज्यादा उनके गाने को लोग पसंद करें और कार्यक्रम के बाद कोई अपनी मर्जी से पैसे दे देता था, वही उनकी कमाई होती थी.
राजनीतिक सफर पर पुराने दिन के सहयोगी मार्कण्डेय सिंह ने बताया कि बचपन में कभी ऐसा नहीं महसूस हुआ था कि पवन सिंह इतना बड़ा नाम बन जाएगा लेकिन उनके जुबां पर सरस्वती विराजमान रही. उनकी बदौलत आज वो गायिकी के क्षेत्र में दिग्गज नाम और जहां तक राजनीति की बात रही तो उसमें भी वो सफल हो सकते हैं क्योंकि पवन सिंह में घमंड नाम की चीज नहीं है. आज भी मेरे जैसे पुराने लोग उनके सामने आते है तो पैर छूने में कोई कोताही नहीं करते है इसलिए वो राजनीति में भी आगे बढ़ सकते हैं. लोकसभा का चुनाव भी जीत सकते हैं. युवाओं के बीच क्रेज बहुत ज्यादा है. फैन ही वोटर में तब्दील होकर पवन सिंह को सांसद बना सकते है.
(आरा से विवेक कुमार का रिपोर्ट)