क्या धनबाद की राह पर बेरमो ? : क्या बेरमो को भी धनबाद बनाने पर तूले हैं अपराधी ?
बेरमो : अपराध का कोई चेहरा, मजहब और ईमान नहीं होता. इसका मजमून यही हैं कि बस इसका काम दहशत का राज क़ायम करना होता हैं.मेरी याद से कोयलाँचल बेरमो पिछले एक दशक से बेहद शांत और तहजीब समेटे हुए शहर रहा हैं. छोटी -मोटी वारदातें होते रही हैं. लेकिन, माफियाराज और संगठित अपराध का नामोनिशान तो नहीं रहा हैं. लेकिन हाल के दिनों में इस शहर को भी लगता हैं नजर लग गई हैं. बुधवार की सुबह अपराधियों ने ज्ञान ज्वेलर्स पर गोली चलाकर फरार हो गए. इससे पहले ऐसी ही वारदातें मोती अलंकार ज्वेलर्स के साथ भी घटी. जब अपराधियों ने दिनदहाड़े गोली चलकर चलते बने. पुलिस इस दरमियान भी चौकस और चौकन्नी नहीं हुई. मतलब साफ है की इन संगठित अपराधियों को तनिक भी डर-भय नहीं हैं, जो वर्दी से होनी चाहिए.
इन घटनाक्रम से एक बात ये भी साफ हैं कि, इनके निशाने पर ज्वेलर्स शॉप के मालिक ही हैं, जो दहशत, डर और ख़ौफ़ के जरिये अपना वर्चस्व और वज़ूद बनाकर पैसे की उगाही करना चाहते हैं. नजदीक में देश की कोयला राजधानी धनबाद भी मौज़ूद हैं, वहां संगठित अपराधियों ने किस कदर कोहराम और आतंक मचा के रखा हैं. ये शायद ही बताने और जताने की जरुरत हैं. आलम वहां ख़ौफ़ का ये पसरा हैं कि कारोबारी कारोबार समेट कर जा रहें हैं. गोविन्दपुर जीटी रोड का मशहूर खालसा होटल को ले लीजिए . इस मशहूर होटल के मालिक ने इन अपराधियों के चलते ही यहां से रुख़सत हो गए. सोचिये क्या हालत बन गई है. धनबाद में इन गुंडों -बदमाशों का आलम तो ये है कि इन्हें कोई डर नहीं है. वहां की पुलिस का ग़ाफ़िल और लापरवाही भरा रवैया ही इसके लिए जिम्मेदार है. इससे इंकार नहीं किया जा सकता.सवाल है कि कौन है वो लोग जो बेरमो को अशांत करना चाहते है?. आखिर, एकाएक इनकी नजर इस छोटे से शहर पर क्यों पड़ी? और आखिर इनका मकसद इस शहर से क्या है?. ये तमाम सवाल है, जो इस फायरिंग के बाद उठ रहें है.
इन हरकतों से लगता है कि बेरमो को भी ये अपराधी अपना नया ठिकाना बनाना चाहते है. हालांकि अभी भी वक़्त है, पुलिस -प्रशासन इनके नाक में दम कर सकता है और नकेल कस सकता है. लेकिन, यहां सवाल तो सबसे बड़ा यही है कि कुछ दिन पहले की वारदात से महज कुछ दूरी पर ही सरे राह और सरे भीड़ भरे बाजार में ये वारदात कर अमन के दुश्मन चलते बने. अमन चैन बनाए रखने के लिए वर्दी की भूमिका होनी चाहिए थी . इन अपराधियों को पकड़ा जा सकता था. लेकिन, अभी तक बेरमो पुलिस हाथ ही मल रही है.इस शहर को इन नापाक इरादों से बचाने के लिए पुलिस के साथ आम लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा. अगर अभी कोताही बरती गई और नरम पड़ गए, तो फिर ये बेरमो शहर भी इन अपराधियों की शरणस्थली बन जाएगी और फिर इस छोटे से शहर का नींद और चैन छीन जाएगा.
बेरमो से पंकज कुमार की रिपोर्ट