INSIDE STORY : अब उपेन्द्र कुशवाहा की राजनीति किस दिशा में जा रही है....RLSP के जिंदा होने के संकेत..


Patna:-बिहार की राजनीति में उपेन्द्र कुशवाहा फिर से एक बार चर्चा में हैं...लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद उपेन्द्र कुशवाहा ने अपना पार्टी रालोसपा का जेडीयू में विलय कर दिया था,जिसके बाद नीतीश कुमार ने जेडीयू में संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पोस्ट सृजित कर उन्हे सम्मानित किया था.उपेन्द्र कुशवाहा भी खुद को पार्टी मं नंबर दो नेता मानने लगे थे और नीतीश की विरासत को आगे ले जाने की बात करने लगे थे....
इस बीच बिहार में हुई राजनीतिक उथल-पुथल में नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़कर आरजेडी के साथ सरकार बना ली,जिससे उपेन्द्र कुशवाहा को करारा झटका लगा और फिर उनके बात करने का लहजा बदला-बदला सा नजर आने लगा..वो विभिन्न मसलों पर नीतीश कुमार को डिफेंड करते रहें,पर डिफेंड के दौरान ऐसी बयानबाजी की जिससे सहयोगी आरजेडी निशाने पर आने लगी जिससे बाद नीतीश के जेडीयू में उपेन्द्र कुशवाहा किनारा लगाए जाने लगे.डिप्टी सीएम के रूप में जब उपेन्द्र कुशवाहा के नाम की चर्चा हुई तो नीतीश कुमार ने इसे फालतू करार दिया..वहीं महाराणा प्रताप को लेकर आयोजित स्वाभिमान समारोह के पोस्टर में उपेन्द्र कुशवाहा को न तो फोटो लगाया गया और नहीं आमंत्रित किया गया,इससे उपेन्द्र कुशवाहा को दुख पहुंचा.एम्स में इलाज के दौरान उपेन्द्र कुशवाहा का बीजेपी नेताओं के साथ फोटो वायरल होने के बाद राजनीतिक बयानबाजी और तेज हो गई.
बीजेपी नेताओं से मुलाकात एवं बीजेपी में शामिल होने के सवाल पर उपेन्द्र कुशवाहा भड़क जा रहें हैं..पर ऐसी चर्चा है कि केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के 22 फरवरी के दौरे से पहले बिहार की राजनीति में फिर से उथल पुथल हो सकती है.अपनी अलग पहचान के साथ उपेन्द्र कुशवाहा नीतीश की महागठबंधन का साथ छोड़कर फिर से बीजेपी के एनडीए के साथ जा सकतें हैं..और इसके लिए वे अपनी पुरानी पार्टी रालोसपा को फिर से जिंदा कर सकते हैं,क्योंकि अरूण कुशवाहा की आपत्ति के बाद चुनाव आयोग से रालोसपा का जेडीयू में विलय को अंतिम मंजूरी नहीं दी गई है यानी ये पार्टी रालोसपा अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है और इसे फिर से पुराने नाम और सिंबल के साथ चलाया जा सकता है.2021 मे विलय के दौरान रालोसपा के कई नेताओं ने विरोध किया था और उपेन्द्र कुशवाहा पर व्यक्तिगत स्वार्थ की पूर्ति के लिए रालोसपा को खत्म करने का आरोप लगाया था.
ऐसा चर्चा है कि उपेन्द्र कुशवाहा का जेडीयू में अब भविष्य नहीं दिख रहा है क्योंकि नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव को महागठबंधन का अगला नेता घोषित कर दिया है.उनकी घोषणा से जेडीयू के कई बड़े नेता असहज हैं पर वे सार्वजनिक रूप से प्रकट नहीं कर रहें हैं.इसलिए उपेन्द्र कुशवाहा लव-कुश एकता यानी कोयरी कूर्मी जाति की एकता की बात करके आगे बढाना चाहते हैं ताकि आरजेडी की राजनीति से असहज लव-कुश के नेता उनके साथ आयें.उसके बाद वे 2014 के लोकसभा चुनाव की तरह ही 2024 के लोकसभा चुनाव में समझौता करें.2014 के चुनाव में बीजेपी ने लोजपा और रालोसपा के साथ चुनाव लड़ा था जिसमें रालोसपा सभी तीनों सीटें जीतने में कामयाब रही थी.उसके बाद उन्हें मोदी सरकार में मानव संसाधन राज्यमंत्री बनाया गया था,पर वे नीतीश कुमार का विकल्प बिहार में बनना चाहते थे.और बीजेपी नीतीश के साथ 2017 में आ गई थी.इसलिए उन्हौने बीजेपी से नाता तोड़कर महागठबंधन के साथ मिलकर नीतीश कुमार को टक्कर देने के लिए मंत्री पद छोड़ दिया...पर उन्हें सफलता नहीं मिली तो वे नीतीश कुमार के साथ फिर से आ गए..अब उन्हें नीतीश के साथ आरजेडी के आने से खुद की राजनीति धुंधली नजर आ रही थी..इसलिए अब वे फिर से कुछ नयी योजना बना रहें हैं.उनके मन में क्या चल रहा है..इसके बारें सीएम नीतीश भी टिप्पणी करने से मना कर रहें हैं..पर यह साफ नजर आ रहा है कि 2014 के लोकसभा चुनाव के बिसात के के बीच उपेन्द्र कुशवाहा की राजनीति का बिहार की राजनीति में निश्चित रूप से असर पड़ने वाला है.हलांकि उपेन्द्र कुशवाहा की राजनीति पर बात करें तो उन्हौने कई बार पार्टी एवं गठबंधन के बदला है...