मां जैसा कोई कहां... : मां की लबों पर कभी बद्दुआ नहीं होती...

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HAPPY MOTHER'S DAY HAPPY MOTHER'S DAY

तेरे आंचल में पता नहीं क्या जादू है मां...

कि उसमें छुपकर सारे दुख छू-मंतर हो जाते हैं !

और आज एक दिन क्या पूरे साल लिखूं तो भी कम है...

इस एक शब्द के बारे में...मां...

शब्द छोटा...लेकिन पूरी दुनिया इसमें सिमट जाती है...मां जब अपने सीने से लगाती है...

गुस्सा भी होती है तो प्यार छलकता है...वो प्यार करने का ही तो एक अंदाज होता है...

फिक्र ऐसी कि गुस्से में चप्पल वाली पिटाई भी कर दे...

फिर आकर मलहम लगाए और पूछे ज्यादा लगी तो नहीं...

दो रोटी खानी है कहो तो चार रोटियों को दो में सिमट दे...

खुद भूखी रहे लेकिन बच्चे की थाली में हर स्वाद भर दे...

मां...मुस्कुराए तो मन भर जाता है...परेशानियों में मां का नाम मानो सब कुछ बदल देता है...

ममता वाली घने पेड़ की छांव हो तुम...

हर उलझन में सुलझन का बस एक नाम हो तुम...मां...

मेरी ख्वाहिश है मैं फिर से फरिश्ता हो जाउं...

मां से इस तरह लिपट जाउं कि बच्चा हो जाउं....

.....सभी मां को समर्पित...