Jharkhand Election 2024 : रांची के रण में उतरे नामचीन चिकित्सक डॉ. बीपी कश्यप, चुनावी अखाड़े में विरोधियों को पटखनी देने के लिए हैं तैयार, महारथियों से है सीधा मुक़ाबला

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Famous doctor Dr BP Kashyap entered the battle of Ranchi assembly election Famous doctor Dr BP Kashyap entered the battle of Ranchi assembly election

RANCHI :डॉ. बीपी कश्यप ने पिछले 40 वर्षों से झारखंड और रांची की जनता के दृष्टि सुरक्षा की दिशा में उल्लेखनीय काम किया है और झारखंड की जनता की दृष्टि सुरक्षा में अपना जीवन समर्पित किया है। उन्होंने झारखंड में NABH की क्वालिटी की सर्वोच्च मान्यता प्राप्त आंखों के सुपर स्पेशलिटी 'आई हॉस्पिटल' की स्थापना की है।

इस अस्पताल में नई दिल्ली एम्स से प्रशिक्षित आंखों की सभी सुपर स्पेशलिटी के चिकित्सक काम करते हैं। खास करके आंखों के कॉर्निया रेटिना और आंखों के ट्यूमर कैंसर, ग्लूकोमा इन सभी स्पेशलिटी के नेत्र चिकित्सक इस अस्पताल में काम करते हैं और जिनकी वजह से झारखंड के मरीजों को काफी मदद पहुंचती है और गंभीर आंख की बीमारियों के ऐसे मरीजों को झारखंड से बाहर नहीं जाना पड़ता है।

साल 2005 में आंखों के अस्पताल की स्थापना

डॉ. बीपी कश्यप और उनकी धर्मपत्नी डॉ. भारती कश्यप द्वारा 2005 में उतरी-पूर्वी और पश्चिमी भारत का पहला NABH की क्वालिटी की सर्वोच्च मान्यता प्राप्त आंखों के अस्पताल की स्थापना की गई है। कश्यप मेमोरियल आई हॉस्पिटल नेत्र चिकित्सा के लिए डीएनबी और फैलोशिप की उच्चतम पढ़ाई का भी केंद्र है, जिससे झारखंड के डॉक्टर को और देश के दूसरे भाग के डॉक्टर को भी नेत्र चिकित्सा सीखने का अवसर मिलता है।

डॉ. बीपी कश्यप ने रांची को बनाया कर्मक्षेत्र

डॉ. बीपी कश्यप का पूरा परिवार, जो डॉक्टर और इंजीनियरों की गहन पढ़ाई किए हुए लोगों का परिवार है। यह पूरा परिवार उनकी माता जी के साथ उनके पिताजी के निधन के बाद अमेरिका में बसे डॉ. बीपी कश्यप ने रांची को अपनी मातृभूमि मानकर रांची में ही रांची और झारखंड के लोगों की सेवा करने का निर्णय किया और उनकी सेवा में जुट गए और लगातार 40 वर्षों से वह इस सेवा में लगातार लगे हुए हैं।

अथक प्रयास के बाद संभव हो पाया नेत्र प्रत्यारोपण

वर्ष 1996 की जनवरी में डॉ. बीपी कश्यप और डॉक्टर भारती कश्यप द्वारा वर्षों से चलाए गए अथक नेत्रदान जागरुकता अभियान के स्वरूप पहले मृत्यु उपरांत नेत्रदान और नेत्र प्रत्यारोपण संभव हो पाया। इसके बाद दोनों ने मिलकर कश्यप मेमोरियल आई बैंक, जो एक चैरिटेबल संस्था है, इसकी स्थापना की और इस संस्था द्वारा प्रतिवर्ष आई बैंक एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया द्वारा दिए गए ईयरली 150 नेत्र प्रत्यारोपण के लक्ष्य का दो-तिहाई यानी 100 के करीब यानी 100 से ज्यादा नेत्र प्रत्यारोपण प्रतिवर्ष किया जाता है।

20 लाख से अधिक सरकारी स्कूल के बच्चों की हुई जांच

वर्ष 2002 में स्थापित इस चैरिटेबल संस्था द्वारा 20 लाख से अधिक सरकारी स्कूल के गरीब बच्चों की जांच की गई है। हजारों बच्चों को मुफ्त चश्मा दिया गया है और सैकड़ों बच्चों का मोतियाबिंद ऑपरेशन कर उनको स्कूल भेजा गया है। इस संस्था को डॉक्टर बीपी कश्यप की धर्मपत्नी डॉक्टर भारती कश्यप चलाती हैं, जिसका आर्थिक सहयोग डॉ. बीपी कश्यप खुद की वित्तीय सहायता से करते हैं। संस्था को बाहर से फंड नहीं मिलता है।

दूरदराज के इलाकों में लगता है कैंप

नेत्र प्रत्यारोपण के क्षेत्र में अद्भुत काम करने के अलावा संस्था कोल्हान, संथाल परगना, सारंडा के दूरदराज के क्षेत्र पलामू-लातेहार के दूरदराज के क्षेत्र, रांची के दूरदराज के क्षेत्र में, खूंटी के दूरदराज के क्षेत्र में नेत्र सुरक्षा का कैंप लगाता है और बड़े लोगों के मोतियाबिंद ऑपरेशन के अलावा छोटे बच्चों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन संस्था द्वारा बहुत अच्छे तरीके से किया जाता है। ऐसे बच्चे जिन्हें इस कैंप में मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए नहीं लिया है, ऐसे बच्चों का मोतियाबिंद ऑपरेशन कर उनके भविष्य को और राज्य के आर्थिक भविष्य को संवारा जाता है।

दृष्टि सुरक्षा में लगा है पूरा परिवार

डॉ. बीपी कश्यप के पिता स्वर्गीय भारत प्रसाद कश्यप के साथ-साथ उनकी पत्नी डॉक्टर भारती कश्यप, उनके पुत्र डॉक्टर विभूति कश्यप और उनकी पुत्रवधू डॉक्टर निधि काटकर कश्यप भी लगातार झारखंड और रांची के मरीजों की दृष्टि सुरक्षा में लगे रहते हैं।

1979 में हुआ पहला नेत्र प्रत्यारोपण

उनके पिता ने 1979 में पहला नेत्र प्रत्यारोपण श्रीलंका से लायी गयी आंखों को रिम्स में किया था, जिसे ऑस्ट्रेलिया के डॉक्टर पीटर एंडरसन की मदद से लाया गया था और रिम्स में सभी छह नेत्र प्रत्यारोपण किए गए थे। इसके बाद नेत्र प्रत्यारोपण का काम रुक गया क्योंकि स्थानीय लोगों द्वारा मृत्यु उपरांत नेत्रदान नहीं हुए और रेगुलर बेसिस पर श्रीलंका से आखिर मंगवाना बहुत कठिन था।

सामाजिक सरोकार से भी है गहरा नाता

डॉ. बीपी कश्यप और उनके परिवार ने झारखंड और रांची को नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र के अलावा समाज सेवा के क्षेत्र में भी योगदान दिया है। वर्ष 1996 में 17 वर्षों के बाद स्थानीय मृत्यु उपरांत नेत्रदान पहले हुआ और इससे झारखंड-बिहार में नेत्रदान और नेत्र प्रत्यारोपण शुरू हुआ, जिसका श्रेय डॉक्टर बीपी कश्यप और डॉक्टर भारती कश्यप को जाता है।

ऑल इंडिया नेत्र सोसायटी को झारखंड से सबसे ज्यादा डायबिटिक रेटिनोपैथी का रिसर्च डाटा भेजा गया। 2019 में दो विभूति कश्यप के द्वारा जो नई दिल्ली एम्स प्रशिक्षित विट्रियोल रेटिना विशेषज्ञ हैं और अस्पताल में एम्स नई दिल्ली से प्रशिक्षित आई सर्जन की एक बड़ी टीम के साथ झारखंड के मरीजों की, रांची के मरीजों की सेवा के लिए दिन-रात लगे हुए हैं।

झारखंड राज्य को डॉ. विभूति कश्यप के डायबिटिक रेटिनोपैथी के मरीजों के रिसर्च डाटा में सबसे ज्यादा योगदान देने के लिए ऑल इंडिया नेत्र समिति द्वारा सम्मानित भी किया गया था, जो डॉक्टर बीपी कश्यप के सुपुत्र हैं।

डॉ कश्यप के परिवार को मिल चुके हैं कई सम्मान

डॉ. बीपी कश्यप को गोल्ड मेडल और फाइको की मानद उपाधि से सम्मानित किया जा चुका है। इसी साल 3 अगस्त को नेत्र रोग के इलाज के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने के लिए उनको नई दिल्ली में ISCKRS Excellence Award से सम्मानित किया गया। उनके बेटे डॉ. विभूति कश्यप, जो एम्स नई दिल्ली से विट्रियो रेटिना स्पेशलिस्ट हैं, ने वर्ष 2019 में ऑल इंडिया आई सोसाइटी को झारखंड से सबसे ज्यादा डायबिटिक रेटिनोपैथी का रिसर्च डेटा भेजा। इसके लिए उन्हें सोसाइटी की ओर से सम्मानित किया गया। डॉ. भारती कश्यप ‘नारी शक्ति पुरस्कार 2017’ समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकीं हैं।