Bihar News : बिहार में दंगे कम करने में शराबबंदी कानून और डायल-112 काफी प्रभावी

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पटना : बिहार राज्य में सांप्रदायिक दंगों की वारदातें लगातार कम होती जा रही है. पिछले 20 वर्षों में इसमें तीन गुणा की कमी दर्ज की गई है. 2004 में राज्यभर में 9 हजार,199 दंगे हुए थे,जिनकी संख्या 2024 में घटकर 3 हजार,186 रह गई.

इसके दो प्रमुख कारण हैं,पहला वर्ष 2016 में लागू हुई पूर्ण शराबबंदी कानून और दूसरा,2021 में शुरू हुई डायल-112 प्रणाली. पुलिस मुख्यालय से प्राप्त दंगा से संबंधित आंकड़ों के मुताबिक,2001 में 8 हजार,520 दंगे हुए थे. 2004 में इनकी संख्या बढ़कर 9 हजार,199 हो गई. इसके बाद 2015 में इन घटनाओं की संख्या में थोड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 13 हजार 311 हो गई. परंतु 2016 में शराबबंदी कानून के लागू होने के बाद इसमें तेजी से कमी आई. यह संख्या घटकर 11 हजार 617 तक पहुंच गई.

इसके बाद 2021 में पुलिस महकमा ने आपातकालीन सेवा के लिए डॉयल-112 की शुरुआत की. इसके शुरू होने के बाद इन घटनाओं में तेजी से कमी दर्ज की गई और यह 2021 में घटकर 6 हजार 298 तक पहुंच गई. 2024 में यह घटकर आधी के करीब पहुंच गई और यह 3 हजार 186 तक आ गई. इस तरह पिछले 20 वर्षों में दंगों के वारदातों की संख्या में तीन गुणा की कमी आई है. 2025 में तो महज 205 मामले ही दर्ज किए गए हैं.

इस तरह डॉयल-112 का पड़ा सकारात्मक असर

किसी आपात स्थिति या घटना में डॉयल-112 पर कॉल करने के 15 से 20 मिनट के अंदर पुलिस घटना स्थल पर पहुंच जाती है. दंगा से जुड़ी घटनाओं या किसी झड़प के दौरान डॉयल-112 पर फोन आते ही पुलिस सक्रियता दिखाते हुए संबंधित स्थल पर पहुंच कर इसे नियंत्रित कर लेती है. कुछ एक मामलों में किसी स्थान पर पुलिस की संख्या उपद्रिवयों की तुलना में कम होने की स्थिति में झड़प की स्थिति पैदा हो जाती है. परंतु ऐसी स्थिति में भी झड़प को नियंत्रित करते हुए लोगों को घायल होने से बचाने में कामयाब रहती है. इसी वजह से 2020 में दंगा की 9 हजार,419 घटनाएं हुई थी,जो 2021 में घटकर 6 हजार,298 हो गई. एक वर्ष में ही 3 हजार से अधिक की कमी दर्ज की गई.

कोट में................ .

शराबबंदी कानून और डॉयल-112 दंगा की घटनाओं को कम करने में बेहद कारगर साबित हुए हैं. दंगा की घटनाओं में लगातार कमी दर्ज की जा रही है. ऐसी किसी घटना की सख्त मॉनीटरिंग की जाती है. सभी दोषियों की तुरंत गिरफ्तारी करके सजा दिलाने की प्रक्रिया त्वरित गति से की जाती है. इन घटनाओं पर कारगर कार्रवाई करने के लिए मुख्यालय के स्तर से सतत मॉनीटरिंग की जाती है.

विनय कुमार (डीजीपी, बिहार पुलिस)