BIG NEWS : जमाबंदी कानून को लेकर पटना हाईकोर्ट के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट ने किया निरस्त
NEWS DESK : सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया है,जिसमें ये कहा गया था कि बगैर जमाबन्दी व होल्डिंग के जमीन की खरीद बिक्री नहीं हो सकती. साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार ने 10 अकटूबर,2019 को बिहार निबंधन नियमावली के नियम 19 में किये गये संशोधन नियम (vii)और (viii)को भी निरस्त कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने विधि आयोग से अनुरोध किया कि वह इस मुद्दे पर विस्तार से जांच करे और केंद्र,राज्यों और अन्य सभी हितधारकों के साथ-साथ सूचना और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र के विशेषज्ञों से परामर्श करे. कोर्ट की ओर से उजागर किए गए मुद्दे पर एक रिपोर्ट तैयार करे.
जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने समीउल्लाह की ओर से दायर एसएलपी(सिविल) पर सुनवाई के बाद अपना 34 पन्ने का फैसला दिया.
आवेदक की ओर से वरीय अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा और अधिवक्ता विश्वजीत कुमार मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने 10 अकटूबर 2019 को बिहार निबंधन नियमावली के नियम 19 में संशोधन कर एक नया नियम (vii)और (viii)जोड़ दिया है.
इसके तहत जमीन की खरीद बिक्री और दान तभी हो सकती है,जब जमीन बेचने वाले व दान देने वाले के नाम से जमाबन्दी/होल्डिंग कायम हो.
कानून में राज्य सरकार के संशोधन के बाद किसी भी जमीन को बेचने या दान करने के लिए डीड का निबंधन तभी हो सकेगा,जब तक कि जमीन बिक्री करने वाले या जमीन को दान करने वाले के नाम से जमीन का जमाबंदी व होल्डिंग कायम हो.
निबंधन नियमावली में किये गये संशोधन के बाद निबंधन पदाधिकारी अचल संपत्ति के बिक्री /दान के लिये पेश दस्तावेज का निबंधन कराने के पूर्व उन्हें यह सुनिश्चित करना था कि जमीन विक्री/दान करने वाले के नाम से जमीन का जमाबंदी/होल्डिंग कायम है. जमाबंदी/होल्डिंग के नहीं होने पर निबंधन से इंकार कर सकते थे.
9 अकटूबर को निबंधन नियमावली में किये गये संशोधन को चुनौती देने वाली रिट याचिका पर हाई कोर्ट की खंडपीठ ने सही करार देते हुए संशोधन को चुनौती देने वाली आधे दर्जन याचिकाओं को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने अपने 21 पन्ने के फैसले में राज्य सरकार के संशोधन को सही करार दिया था.
हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने संशोधन आदेश पर 13 मई, 2024 को रोक लगाते समय कहा था कि संशोधन की तिथि के बाद किये गए जमीन निबंधन इस केस के अंतिम फैसला पर निर्भर करेगा.





