5 साल, 9 बार समीक्षा, ज़हरीली शराब से 150 मौत : बिहार में ज़हरीली शराब से मौत लगातार है, दुल्हन के कमरे में बोतल ढूंढने वाली पुलिस लाचार है !

Edited By:  |
Reported By:
5 years-9-times-Review-meeting-death-by-poisoned-liquor-in-bihar 5 years-9-times-Review-meeting-death-by-poisoned-liquor-in-bihar

महज दो महीने पहले नवंबर महीने में जब बिहार के अलग-अलग ज़िलों में ज़हरीली शराब से 40 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी, तो 16 नवंबर को सीएम नीतीश ने समीक्षा बैठक बुलाकर शराबबंदी पर सख्ती बरतने के निर्देश दिए। सख्ती का असर भी हुआ और पुलिस बिना महिला पुलिसकर्मी के शराब की बोतल ढूंढने दुल्हन के कमरे में घुसने लगी। सवाल उठे तो सीएम खुद आगे आए पुलिस का बचाव करने। लेकि सीएम साहब को क्या पता था, दुल्हन के कमरे में बोतल ढूंढने वाली जिस पुलिस का वो बचाव कर रहे हैं, वो पुलिस उनके गृहजिले नालंदा में ही शराब माफियाओं के आगे लाचार बनकर बैठी है।

छोटी पहाड़ी मोहल्ले से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर जिला मुख्यालय है

इतनी लाचार कि ज़िला मुख्यालय, जहां डीएम, एसपी बैठते हैं वहां से महज 2 किलोमीटर दूर छोटी पहाड़ी में ज़हरीली शराब का धंधा फलफूल रहा था और उसी ज़हरीली शराब के पीने से 13 से ज्यादा की मौत हो गई और चौतरफा चीखपुकार मची है। यानी डीएम-एसपी की नाक के नीचे ज़हरीली शराब का धंधा चल रहा था, लेकिन किसी को भनक नहीं लगी और अब 13 लोगों की मौत होने के बाद थानेदार को सस्पेंड कर खानापूर्ति कर ली गई और डीएम साहब कार्रवाई का हिसाब किताब पेश कर रहे हैं। वहीं जहरीली शराब से 13 की मौत के तीसरे दिन मद्य निषेध विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक नालंदा पहुंचे और बिहार शरीफ में पुलिस पदाधिकारियों के साथ बैठक की और घटना के संबंध में पूरी जानकारी लेने के बाद दिशा निर्देश दिया।

सवाल है कि सीएम की समीक्षा के 2 महीने के अंदर ही ज़हरीली शराब से मौत कैसे हुई? सीएम के निर्देश के बावजूद कैसे इंटेलिजेंस फेल्योर हो गया? डीएम ऑफिस से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर ज़हरीली शराब का धंधा कैसे चल रहा था? दुल्हन के कमरे में बोतल ढूंढने वाली पुलिस शराब माफिया के आगे क्यों लाचार बन जाती है? क्या थानेदार पर कार्रवाई सिर्फ खानापूर्ति नहीं है?

5 साल, 9 बार समीक्षा, 150 मौत

सवाल ये भी कि क्या सीएम की समीक्षा के बावजूद सिस्टम सुधरने को तैयार नहीं है। ये सवाल इसीलिए क्योंकि अप्रैल 2016 से जब बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू हुई, तब से अब तक सीएम 9 बार समीक्षा बैठक कर चुके हैं। लेकिन अप्रैल 2016 से अब तक करीब 150 लोगों की जहरीली शराब से मौत हो गई है। साल 2021 में ही सिर्फ जहरीली शराब से 70 लोगों की मौत हुई। अगस्त 2016 में गोपालगंज में जहरीली शराब पीने से 19 की मौत, 6 लोगों की आंखों की रौशनी गई। 29 जुलाई 2017 को मुंगेर में जहरीली शराब से 8 लोगों की मौत हुई। 6 फरवरी 2021 को कैमूर में संदिग्ध जहरीली शराब पीने से दो व्यक्तियों की मौत हो गई थी। 19 फरवरी 2021 को गोपालगंज में जहरीली शराब पीने से दो मजदूरों की मौत हो गई। 20 फरवरी 2021 को मुजफ्फरपुर जिले के कटरा में जहरीली शराब पीने से 5 लोगों की मौत हुई। 23 मार्च 2021 को मुजफ्फरपुर में एक अधेड़ की जहरीली शराब से मौत हुई। 30 मार्च से 2 अप्रैल 2021 के बीच नवादा में शराब पीने से अलग-अलग जगहों पर 15 लोगों की मौत हुई। जुलाई 2021 में पश्चिम चम्पारण में जहरीली शराब के सेवन से 16 लोगों की मौत हो गई। 3 अगस्त 2021 को वैशाली के राघोपुर में जहरीली शराब पीने से 5 लोगों की जान गई। अक्टूबर- नवंबर 2021 के बीच 15 दिनों में बेतिया, वैशाली, मुजफ्फरपुर,गोपालगंज, समस्तीपुर में ज़हरीली शराब पीने से 40 लोगों की मौत हो गई। यानी 5 सालों में सीएम ने 9 बार समीक्षा बैठक की, फिर भी जहरीली शराब से मौत लगातार होती रही।

वहीं सच्चाई ये भी है कि बिहार में शराबबंदी के बावजूद लोग धड़ल्ले से शराब पीते हैं यानी शराब की बिक्री जारी है। इसकी तस्दीक नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट करती है। ड्राइ स्टेट होने के बावजूद बिहार में लोग महाराष्ट्र के मुकाबले ज्यादा शराब पीते हैं।NFHS 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 15.5 प्रतिशत पुरुष शराब का सेवन करते है, जबकि महाराष्ट्र में शराब प्रतिबंधित नहीं है लेकिन शराब पीने वाले पुरुषों की तादाद 13.9 फीसदी ही है। साफ है सीएम की समीक्षा और निर्देशों का ज़मीन पर असर नहीं होता है और आईवॉश के लिए पुलिस कुछ दिनों तक होटल और दुल्हन के कमरे में छापेमारी कर बोतल ढूंढकर दिखाती है कि वो मुस्तैद है।


Copy