सुपौल में पुलिस की बड़ी लापरवाही उजागर : सहरसा से लापता मूक-बधिर किशोर को ग्रामीणों ने थाने में सौंपा, SHO ने 100 रुपये देकर नेपाल बॉर्डर पर छोड़ दिया

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The villagers handed over the deaf and mute teenager missing from Saharsa to the police station, the SHO gave him Rs 100 and left him at the Nepal bor

सुपौल:-सुपौल जिले के कुनौली थाना क्षेत्र से पुलिस की घोर लापरवाही का मामला सामने आया है। सहरसा जिले के बसंत कुमार सदा का15वर्षीय पुत्र संजय कुमार, जो मूक और बधिर है, बीते दिनों घर से भटककर कुनौली बाजार पहुंच गया था। स्थानीय लोगों ने मानवता दिखाते हुए किशोर को भोजन कराया और सुरक्षित रूप से कुनौली थाना पुलिस के हवाले कर दिया।


परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने न तो उसकी पहचान पता करने की कोशिश की, न ही किसी अन्य थाने से संपर्क साधा। उल्टे थाना प्रभारी ने मूक-बधिर किशोर को पूछताछ के नाम पर थाने में नाश्ता करवाया और बाद में उसे नेपाल बॉर्डर की दिशा में भेज दिया। बताया गया कि थानाध्यक्ष ने उसे100रुपये देकर “घर जाने” को कह दिया। यह घटना पांच दिन पहले की बताई जा रही है।


मामले पर जब मीडिया ने सवाल किया तो कुनौली थानाध्यक्ष रोशन कुमार ने सफाई देते हुए कहा, “किशोर बॉर्डर की तरफ इशारा कर रहा था, इसलिए हमने उसे100रुपये देकर जाने दिया। हमें लगा वह उसी दिशा का रहने वाला है।”


वहीं, परिजनों ने थानाध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यदि पुलिस सही तरीके से जांच करती तो बच्चे को सुरक्षित परिजनों को सौंपा जा सकता था। अब परिवार अपने लापता बेटे की तलाश में दर-दर भटक रहा है।

स्थानीय ग्रामीणों ने भी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाया है। लोगों का कहना है कि थाने में मानवता और जिम्मेदारी दोनों का अभाव दिखा। एक विकलांग बच्चे को इस तरह लापरवाही से बॉर्डर पर छोड़ देना पुलिस प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर करता है।

इस घटना ने न केवल पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न खड़ा किया है,बल्कि एक मां को अपने मूक-बधिर पुत्र से अलग कर देने की पीड़ा भी बढ़ा दी है।