शिक्षक दिवस पर दिव्यांग सविता को सलाम : जो खुद पैरों पर खड़ा नहीं हो सकती, वो दूसरे को पैरों पर कर रही खड़ा, पढ़िए पूरी खबर

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देवघर : किसी भी व्यक्ति के अंदर समाज के लिए अगर कुछ करने के लिए दिल में तमन्ना होती है तो राहें कितनी भी मुश्किल हो वे अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से कर लेती हैं. ऐसा ही सच कर दिखा रही है देवघर के भोजपुर गांव की रहने वाली सरिता कुमारी. जो जन्म से ही दिव्यांग होने के बाद भी इसके हौसले में कभी कमी नहीं आयी.


देवघर के भोजपुर गांव की सरिता कुमारी ने स्नातक तक पढ़ाई कर आज अपने आसपास के बच्चों के बीच शिक्षा का अलख जगा रही है.गांव की महिला और लड़कियों को हुनरमंद भी बना रही है.घर में ही निःशुल्क बच्चों और महिलाओं के बीच शिक्षा का अलख जगा रही है.


दिव्यांग्यता के बावजूद सरिता कुमारी मजबूत इरादे और बुलंद हौसले के सहारे स्नातक तक की पढ़ाई पूरी कर गांव के गरीब बच्चों को निःशुल्क पढ़ा रही है. जन्म से ही पैर से लाचार सरिता ने अपनी अपंगता को कभी भी अपने रास्ते की रुकावट नहीं बनने दी. कठिनाइयों के बाद भी सरिता ने पहले अपनी पढ़ाई पूरी की और अब न सिर्फ गांव के गरीब बच्चों को पढ़ा कर उनके बीच शिक्षा का अलख जगा रही है बल्कि गांव की महिला और लड़कियों को भी सिलाई,बुनाई और कढ़ाई का हुनर सिखा कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश कर रही है. ऊपर वाले ने उसे भले अपने पैरों के बल चलने लायक नहीं बनाया लेकिन सरिता आज गांव के दर्जनों बच्चों और लड़कियों को अपने पैर पर खड़े होने की हुनर सिखा रही है.

पढ़ाने के साथ बच्चों के अंदर देशहित में काम करने का जज्बा भी जगा रही है. दिव्यांग्यता की वजह से अपने सपने पूरे करने में असमर्थ रही सरिता गांव के नौनिहालों को सिर्फ पढ़ा ही नहीं रही है,उन्हें अपने जीवन में सफलता की ऊंचाई छूने का जज्वा भी जगा रही है. सरिता से पढ़ाई कर रहे बच्चे भी आगे चल कर डॉक्टर,इंजीनियर और पुलिस ऑफिसर बन कर देश की सेवा करना चाहते हैं. सरिता से सिलाई-कढ़ाई का हुनर सीख कर गांव की लड़कियां भी आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रही है.


आज भी हमारे समाज में लड़कियों को बराबरी का दर्जा नहीं मिल पाया है. दुर्भाग्यवश अगर लड़की दिव्यांग हो तो उसे बोझ ही समझ लिया जाता है. लेकिन देवघर की सरिता ने यह साबित कर दिया है कि अगर आपके अंदर कोई मुकाम पाने की इच्छाशक्ति और जज्बा हो तो मुश्किलें खुद-ब-खुद आसान होती चली जाती हैं. शिक्षक दिवस पर इस सविता को सलाम.