सरकारी सिस्टम पर सवालिया निशान : 3 साल से रखा रखा बर्बाद हो गया ड्रेस और बैग, लेकिन बच्चों के बीच क्यों नहीं बांटे प्रधानाध्यापक ?

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देवघर : खबर है देवघर की जहां राज्य में सरकार स्कूली शिक्षा में सुधार को लेकर लाखों रुपये खर्च करने का दावा करते हैं. लेकिन हकीकत कुछ और देखने को मिल रहा है. आज झारखंड के अधिकांश सरकारी विद्यालयों में नि:शुल्क मिलने वाली ड्रेस,जूता, बैग और स्वेटर बच्चों को नहीं मिल रहा है.


देवघर के शंकरपुर उत्क्रमित मध्य विद्यालय में ऐसा ही कुछ देखा गया है. स्कूल के प्रधानाध्यापक नंदकिशोर राय की मनमानी कहें, लापरवाही कहें या उदासीनता से पिछले तीन वर्षों से किसी भी स्कूली बच्चों को न तो ड्रेस मिला है और न ही जूता,बैग और न स्वेटर मिला. हेडमास्टर साहब ने घोर लापरवाही बरतते हुए सभी वस्तुओं को बर्बाद करवा दिया लेकिन बच्चों के बीच इसका वितरण नहीं किया.


मुखिया के पहल पर खुलासा हुआ

स्थानीय जीतजोरी पंचायत के मुखिया सुभाष यादव ने देखा कि बिना स्कूल ड्रेस के बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं तो इसकी शिकायत प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी से किया. बार बार शिकायत करने के बाद पदाधिकारी दल बल के साथ स्कूल निरीक्षण के लिए पहुंचे तो मामले का खुलासा हुआ.

पदाधिकारी भी रह गए दंग

स्कूल निरीक्षण के लिए पहुंचे देवीपुर के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी अरुण कुमार भी दंग रह गए. जब उन्होंने देखा कि स्कूल में एक भी छात्र और छात्राओं ने स्कूल ड्रेस नहीं पहना है. इतना ही नहीं बच्चे पॉलीथिन या झोला में पाठ्य सामग्री लाए हुए हैं. न तो इनके पास बैग था और न ही इनके पैरों में जूता. पदाधिकारी ने जब स्कूल के प्रधानाचार्य से पूछा तो इन्होंने सारा राज खोल दिया. प्रधानाचार्य के बताये कमरे का निरीक्षण करने पर स्कूल बैग,जूता,स्वेटर और ड्रेस वहीं मिला. बरामद सामान बर्बाद हो गए हैं. कटे फटे जूते,बैग और चूहों के शिकार बने ड्रेस स्वेटर सब बर्बाद हो गया. कुछ ऐसा भी ड्रेस मिला है जिसको सरकार ने पिछले2वर्ष पूर्व ही प्रतिबंध लगा दिया था. प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी ने इस मामले को गंभीर विषय मानते हुए स्कूल के प्रधानाचार्य के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए उच्चाधिकारी के समक्ष रखेंगे.

इस स्कूल में बनता है प्लास्टिक और लकड़ी पर मध्याह्न भोजन

सबको शिक्षा मिले बिना भेदभाव के इसी उद्देश्य से सरकार ने निःशुल्क पढ़ाई के साथ-साथ पाठ्य सामग्री,ड्रेस,जूता,मध्याह्न भोजन इत्यादि का प्रबंध करती है. गुणात्मक शिक्षा के लिए सरकार इस पर पानी की तरह पैसा भी बहाती है. लेकिन स्थानीय बाबुओं और शिक्षकों की लापरवाही से यह सिर्फ लूट का अड्डा बन गया है. देवघर के देवीपुर स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय शंकरपुर का भी यही हाल है. यहां165छात्र-छात्राएं नामांकित है जिसमें में60से70फ़ीसदी बच्चे प्रतिदिन उपस्थित रहते हैं. इनके लिए मध्याह्न भोजन भी बनाया जाता है. वातावरण शुद्ध और धुआं रहित एमडीएम बनाने के लिए गैस चूल्हा का उपयोग करने का निर्देश है. लेकिन इस स्कूल में बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खेलवाड़ भी हो रहा है. स्कूली बच्चों के लिए बनने वाला मध्याह्न भोजन प्लास्टिक और लकड़ी के जरिये पकाया जाता है. इस स्कूल में मेनू के नियमानुसार भोजन भी नहीं बनाया जाता है. इससे प्रतीत होता है कि यहाँ प्रधानाचार्य और विद्यालय प्रबंधन समिति की मिली भगत से सिर्फ सरकारी राशि की लूट हो रही है. इतना ही नहीं इस स्कूल की बच्चियां ही स्कूल में लगाती है झाड़ू जो नियम के विरुद्ध है.


जिम्मेवार कौन है इस स्कूल के संचालन के लिए

आमतौर पर सरकार स्कूल ड्रेस इत्यादि खरीदने के लिए राशि बच्चों के खाता में भेज देती है या फिर स्कूल के प्रधानाचार्य को देती है. सरकारी राशि का दुरूपयोग न हो इसकी मॉनिटरिंग स्थानीय पदाधिकारी से लेकर जिला के विभागीय अधिकारियों द्वारा की जाती है. फिर भी इस स्कूल की मॉनिटरिंग करने में चूक किससे हुई. यह जांच का विषय है. अब इस स्कूल के लिए गलती चाहे जिसकी हो इसका सीधा खामियाजा इन नौनिहालों को उठाना पड़ रहा है.