झारखंड विधानसभा : आंदोलनकारियों के पेंशन और नौकरी पर विधानसभा में उठे सवाल, मंत्री ने दिया जवाब

RANCHI : झारखंड विधानसभा के 18वें दिन की कार्यवाही के दौरान टुंडी विधायक मथुरा महतो ने झारखंड आंदोलनकारियों के पेंशन और नौकरी के मुद्दे को लेकर ध्यान आकर्षण प्रस्ताव प्रस्तुत किया। मथुरा महतो ने सवाल किया कि क्या उत्तराखंड सरकार की तर्ज पर झारखंड में भी आंदोलनकारियों को जेल जाने पर ₹6000 और जेल न जाने पर ₹4500 की राशि दी जाती है ?
मंत्री योगेंद प्रसाद ने इस सवाल का जवाब देते हुए बताया कि झारखंड में 15 नवंबर 2000 को राज्य गठन के बाद अब तक आंदोलनकारियों को सम्मानजनक पेंशन और नौकरी में आरक्षण की सुविधा नहीं दी गई है। उन्होंने बताया कि जेल में तीन महीने रहने वाले आंदोलनकारियों को ₹3500, छह महीने से ज्यादा जेल में रहने वालों को ₹5000 और इससे अधिक समय तक जेल में रहने वालों को ₹7000 का लाभ दिया जाता है। इसके अलावा 2021 से अब तक 16,584 आंदोलनकारियों को चिन्हित किया गया है, जिनमें 20 को नौकरी मिली है। 3,014 को ₹3500, 49 को ₹5000 और 41 को ₹7000 की पेंशन दी गई है 13,000 से ज्यादा आंदोलनकारी जो जेल नहीं गए हैं उन्हें भी चिन्हित किया गया है।
विधायक मथुरा महतो ने फिर सवाल उठाया कि क्या जेल न जाने वाले आंदोलनकारियों को उत्तराखंड की तर्ज पर राशि दी जाएगी ? इस पर मंत्री योगेंद प्रसाद ने कहा कि इस पर समीक्षा के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। वहीं विधायक हेमलाल मुर्मु ने भी इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया, उन्होंने कहा कि झारखंड आंदोलनकारियों ने सबसे ज्यादा गोली और लाठी खाई हैं, और राज्य के थर्ड और फोर्थ ग्रेड कर्मचारियों के लिए क्षेत्रीय आरक्षण में सिर्फ 5% आरक्षण दिया जा रहा है। जबकि उत्तराखंड में यह 10% है, उन्होंने सरकार से उत्तराखंड की तर्ज पर झारखंड में भी आरक्षण लागू करने की अपील की ताकि अधिक से अधिक आंदोलनकारियों के परिवारों को लाभ मिल सके। मंत्री योगेंद प्रसाद ने कहा कि इस पर समीक्षा के बाद उचित कदम उठाए जाएंगे।
विधायक मथुरा महतो ने एक और सवाल उठाया कि अगर एक ही मुकदमे में दो लोग जेल गए और तीन लोग जेल नहीं गए तो उन्हें लाभ क्यों नहीं मिल रहा ? उन्होंने सुझाव दिया कि प्राथमिकता को आधार बनाकर लाभ दिया जाए। मंत्री योगेंद प्रसाद ने इस पर कहा कि सरकार इस मामले पर विचार करेगी। मंत्री रामदास सोरेन ने इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा कि आंदोलनकारियों के मामले में प्राथमिकता पर विचार किया जाएगा, क्योंकि कई मामलों में कुछ लोग जेल गए और कुछ नहीं गए लेकिन सभी को समान लाभ मिलना चाहिए।