JHARKHAND NEWS : दुर्गा मुंडा की शिकायत पर आयोग ने डीसी-एसपी को समन जारी करने की दी चेतावनी

HAZARIBAGH : NTPC के चट्टी बरियातू कोल परियोजना के लिए नियुक्त माइन डेवलपर और ऑपरेटर (MDO) Rithwik- AMR Consortium के माध्यम से पगार गांव के बिरहोर बस्ती के पास किए जा रहे खनन कार्य के दुष्प्रभाव से अनुसूचित जनजाति समुदाय की नाबालिक किरणी बिरहोर और बहादुर उर्फ दुर्गा बिरहोर की मौत के मामले में झारखंड के पीआईएल मैन दुर्गा मुंडा की शिकायत पर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने हज़ारीबाग़ के डीसी और एसपी को नोटिस जारी किया है। आयोग ने दोनों अधिकारियों से पंद्रह दिनों के अंदर जवाब मांगा है और यदि जवाब नहीं मिलता तो समन जारी करने की चेतावनी दी है।
दुर्गा मुंडा ने भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय को शिकायत में कहा है की NTPC और उसके MDO Rithwik- AMR Consortium की भूमिका संदिग्ध है साथ ही स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने जिला खनन पदाधिकारी, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के हजारीबाग क्षेत्रीय पदाधिकारी, केरेडारी अंचलाधिकारी और थाना प्रभारी पर कार्रवाई की मांग की है।
जांच समिति की अनुशंसा और जिला प्रशासन पर गंभीर सवाल
आदिम जनजाति समुदाय के बिरहोर टोला निवासी नाबालिग किरणी बिरहोर और बहादुर उर्फ दुर्गा बिरहोर की मौत के मामले में अनुमंडल पदाधिकारी की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि NTPC द्वारा खनन कार्य बिरहोर टोला, पगार से सटा हुआ क्षेत्र में किया जा रहा है जिससे क्षेत्र में अत्यधिक धूलकण और प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो रही है। इस प्रदूषण का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और माइनिंग के दौरान विस्फोट के कारण बड़ी दुर्घटनाएं हो सकती हैं।
इसके अलावा जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि जब तक बिरहोर परिवारों को पगार बिरहोर टोला से अन्यत्र स्थानांतरित नहीं किया जाता तब तक इस क्षेत्र में खनन कार्य नहीं किया जाना चाहिए। इसके बावजूद अब तक खनन कार्य जारी है, जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पोस्टमार्टम न किए जाने से मौत के कारणों को छुपाने और दोषियों को बचाने का प्रयास किया गया है जो कि CRPC के तहत कानून का उल्लंघन है।
खनन सुरक्षा और पर्यावरण मानकों का उल्लंघन
दुर्गा मुंडा ने आरोप लगाया है कि चट्टी बरियातू कोल परियोजना के पास पगार बिरहोर बस्ती के आदिम जनजाति बिरहोर टोला के लोगों ने खनन कार्य शुरू होने से पहले 22 अप्रैल 2022 को स्थानीय जिला प्रशासन और झारखंड सरकार से उनकी पुनर्वास की मांग की थी लेकिन इस पर कोई सुनवाई नहीं की गई। उन्होंने सवाल उठाया कि क्यों आदिम जनजाति समुदाय की मांग को अनसुना किया गया और उनकी सामूहिक जान को खतरे में डालकर खनन कार्य शुरू किया गया।इसके अलावा दुर्गा मुंडा ने यह भी पूछा कि खान सुरक्षा अधिनियम, पर्यावरण सुरक्षा मानकों और विस्फोट के मानकों का उल्लंघन करते हुए खनन कार्य क्यों शुरू किया गया जबकि इससे लुप्तप्राय आदिम जनजाति समुदाय की जान को खतरा था।