अपनी प्रतिभा से मिला सम्मान : गढ़वा का युवक कोरोना काल में व्यंगात्मक कविता लिख कर विश्व पटल पर लहराया अपना परचम, लोगों ने खूब सराहा

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गढ़वा:खबर है गढ़वा जिले की जहां यहां के युवक ने विश्व स्तर पर अपनी लेखनी से पहचान बनाया है. जी हां हम चर्चा कर रहे हैं उस युवक की जो कोरोना काल में एक व्यंगात्मक कविता लिख कर विश्व पटल पर अपना परचम लहराया है. युवक राजीव भारद्वाज श्रीराम नगरी अयोध्या में व्यंग लेखन के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित सम्मान समारोह में व्यंग भूषण सम्मान से सम्मानित किए गए हैं.

गढ़वा जिला मुख्यालय के नवादा गांव निवासी राजीव भारद्वाज पौराणिक नगरी अयोध्या में व्यंग लेखन के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित सम्मान समारोह में व्यंग भूषण सम्मान से सम्मानित किए गए हैं. समारोह में वे अयोध्या के सांसद लल्लू सिंह व श्रीराम आश्रम अयोध्या के महंत सुधीर दास के हाथों सम्मान प्राप्त किये हैं.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी पहचान मिली है. सम्मान समारोह में146देशों के लोगों ने भाग लिया था. गढ़वा के युवक ने मगही भाषा में शादी के वो सात दिन ग्रामीण स्तर पर उसकी पटकथा लिखी थी जिसे खूब सराहा गया है.

विदित हो कि10अप्रैल को पार्श्व अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय धर्मार्थ न्यास की ओर से अयोध्या में श्रीराम अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव का आयोजन किया गया था जिसमें146देशों के लोगों ने500व्यंग लेखन प्रस्तुत की थी. राजीव भारद्वाज द्वारा मगही भाषा में लिखा गया 3 व्यंग को चयन किया गया था. इसमें विवाह के सात दिन,मेला बना झमेला और बस में यात्रा बस हो गया शामिल था. समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अयोध्या के सांसद लल्लू सिंह व श्रीराम आश्रम अयोध्या के महंत सुधीर दास उपस्थित थे. जिन्होंने प्रशस्ति पत्र देकर राजीव भारद्वाज को सम्मानित किया.

राजीव भारद्वाज ने अपनी व्यंग लेखन को दिव्य प्रेरक कहानियों के बेवसाइट पर अपलोड किया था. जिसे बेवसाइट की ओर से अपनी पोर्टल पर प्रकाशित भी किया गया था. सम्मानित होने के बाद राजीव भारद्वाज ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति में कोई ने कोई प्रतिभा अवश्य छुपी होती है. मगर लोग समझ नहीं पाते या भागम भाग और लक्ष्यविहीन होने के कारण छुपी हुई प्रतिभा को निखार नहीं पाते हैं.

हालांकि व्यक्ति को अपनी प्रतिभा को साबित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि वर्तमान परिवेश में खासकर युवा पीढ़ी शिक्षा ग्रहण करने के बाद नौकरी की तलाश में और परिवार के भरण-पोषण को लेकर चिंतित रहते हैं. वहीं अपनी प्रतिभा को दबा देते हैं जिससे उनकी प्रतिभा समाज के सामने नहीं आ पाती है. पिछले दो वर्षों में वैश्विक महामारी कोविड के दौरान भी युवा पीढ़ी काफी परेशान रही जबकि युवाओं को प्रोत्साहित करने उन्हें कुछ कर गुजरने के लिए प्रेरित करने के लिए लोगों को आगे आना चाहिए.