Modi 3.0 : दूसरे दलों से बीजेपी में आए इन नेताओं की लगी लॉटरी, मोदी मंत्रिमंडल में शामिल, भाजपा में आते ही चमक गयी किस्मत

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 Lottery started for these leaders who came to BJP from other parties

NEWS DESK : मोदी सरकार के थर्ड टर्म में जंबो कैबिनेट देखने को मिल रहा है, जिसे लेकर अब सियासी गलियारे में तरह-तरह की बातें की जाने लगी है। हालांकि, इस बीच इस बात को लेकर काफी चर्चा हो रही है कि दूसरे दलों से बीजेपी में शामिल हुए नेताओं की लॉटरी लग गयी है।

जी हां, मोदी मंत्रिमंडल में बर्थ के प्रबल दावेदार माने जा रहे कुछ नेता मंत्रिमंडल से बाहर हैं तो कुछ बीजेपी में शामिल होते ही बाजी मार ले गये। दूसरे दलों से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए इन नेताओं को तरजीह मिली है। आइए, यहां देखते हैं कि दूसरी पार्टी से बीजेपी में शामिल हुए किन नेताओं की किस्मत चमकी है और वे बल्ले-बल्ले कर रहे हैं।

राजभूषण चौधरी

सबसे पहले बात करेंगे बीजेपी सांसद राजभूषण चौधरी की, जो बिहार की मुजफ्फरपुर सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे है। मोदी 3.0 कैबिनेट में मुजफ्फरपुर सांसद राजभूषण चौधरी भी जगह बनाने में कामयाब रहे हैं। आपको बता दें कि राजभूषण चौधरी पेशे से डॉक्टर हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में वे मुकेश सहनी की पार्टी VIP से प्रत्याशी थे, तब उन्हें बीजेपी के अजय निषाद से मात दी थी लेकिन अब पाला बदलने के बाद उनकी किस्मत चमकी है। इस बार उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी अजय निषाद को हराया है। इसतरह से मोदी मंत्रिमंडल में एक मल्लाह की एंट्री हो गयी है।

रवनीत सिंह बिट्टू

अब बात रवनीत सिंह बिट्टू की, जो पंजाब की लुधियाना सीट से दो बार कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने हैं। एक बार वह आनंदपुर साहिब सीट से भी सांसद रहे हैं। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले रवनीत सिंह बिट्टू ने हाथ का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था।

बिट्टू बीजेपी के टिकट पर लुधियाना सीट से ही चुनाव मैदान में उतरे थे लेकिन जीत का चौका नहीं लगा सके। आपको बता दें कि रवनीत सिंह बिट्टू के दादा बेअंत सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री रहे हैं। मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए ही बेअंत सिंह की हत्या कर दी गई थी। बड़ी बात ये है कि रवनीत सिंह बिट्टू राहुल गांधी से मुलाकात के बाद ही राजनीति में पदार्पण किए थे।

जितिन प्रसाद

कांग्रेस पार्टी से अपने सियासी करियर की शुरुआत करने वाले जितिन प्रसाद अब बीजेपी का हिस्सा है। ये साल 2001 में कांग्रेस की यूथ विंग में राष्ट्रीय महासचिव थे। जितिन प्रसाद 2004 में शाहजहांपुर सीट से हाथ के सिंबल पर पहली बार संसद पहुंचे थे। जितिन 2009 में लखीमपुर खीरी की धौरहरा सीट से संसद पहुंचे। वह डॉ. मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार में मंत्री भी रहे।

2014 चुनाव में उन्हें मात मिली थी। 2022 के यूपी चुनाव से ठीक पहले जितिन ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी की सदस्यता ले ली थी। जितिन केंद्रीय राजनीति में मंत्री पद के साथ वापसी तक यूपी सरकार में मंत्री रहे। लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने वरुण गांधी का टिकट काट पीलीभीत से जितिन को उम्मीदवार बनाया था। जितिन पीलीभीत से सांसद निर्वाचित हुए हैं।

ज्योतिरादित्य सिंधिया

अब बात ज्योतिरादित्य सिंधिया की, जो ग्वालियर राजघराने से ताल्लुक रखते हैं। इन्होंने भी अपने सियासी करियर की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी। ये पिछली दफे भी मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हुए थे और मोदी 3.0 सरकार में भी शामिल हैं। ये कांग्रेस पार्टी से बीजेपी में आए हैं।

ज्योतिरादित्य सिंधिया यूपीए की दोनों सरकारों में मंत्री रहे हैं। अपने पिता माधवराव सिंधिया का हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन होने के बाद 2002 में गुना सीट से उपचुनाव लड़कर सियासी सफर का आगाज किए थे। सिंधिया यूपीए 1.0 और 2.0 सरकार में मंत्री थे। हालांकि, बाद में वे बीजेपी में शामिल हो गये।

राव इंद्रजीत सिंह

अहीरवाल क्षेत्र के राजा राव तुला राम के वंशज और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह के पुत्र राव इंद्रजीत सिंह 6 बार सांसद और 6 बार के विधायक रहे हैं। राव इंद्रजीत यूपीए सरकार में भी मंत्री रहे हैं। वह 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे। वह पीएम मोदी की अगुवाई वाली दोनों सरकारों में भी मंत्री रहे हैं और इस बार तीसरी सरकार में भी उन्हें मंत्री बनाया गया है। राव इंद्रजीत सिंह गुरुग्राम सीट से संसद पहुंचे हैं।

एसपी सिंह बघेल

मोदी सरकार के नए मंत्रियों में एसपी सिंह बघेल भी हैं। आगरा से सांसद निर्वाचित हुए बघेल पीएम मोदी की अगुवाई वाली पिछली सरकार में भी मंत्री थे। एसपी सिंह बघेल की गिनती कभी मुलायम सिंह यादव के करीबियों में होती थी। बघेल 1989 में सियासत में आए थे। वह सपा से सांसद भी रहे और बाद में बसपा ज्वाइन कर ली थी। बीजेपी ने 2014 चुनाव में बघेल को फिरोजाबाद सीट से उम्मीदवार बनाया था लेकिन वह हार गए थे। 2019 में वह आगरा सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे।

कीर्तिवर्धन सिंह

गोंडा के सांसद कीर्तिवर्धन सिंह ने अपने सियासी सफर का आगाज साल 1998 में सपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़कर किया था। कीर्तिवर्धन ने तब बीजेपी उम्मीदवार बृजभूषण शरण सिंह को हराया था। कीर्तिवर्धन के पिता आनंद सिंह गोंडा से चार बार सांसद रहे।

आनंद को बीजेपी के टिकट पर बृजभूषण ने 1991 में हरा दिया था. 1996 में आनंद सपा के टिकट पर मैदान में उतरे लेकिन तब भी सफलता नहीं मिल सकी.लगातार दो हार के बाद आनंद ने चुनावी राजनीति से दूरी बना ली। आनंद की सीट से कीर्तिवर्धन सिंह सपा के टिकट पर उतरे और जीते। 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कीर्तिवर्धन बीजेपी में शामिल हो गए थे। 2014 और 2019 के बाद 2024 में भी कीर्तिवर्धन गोंडा सीट से संसद पहुंचे हैं।