झारखंड विधानसभा बजट सत्र : विधायक जयराम महतो ने की पत्रकारों की सुरक्षा की मांग, सदन में कहा- राज्य में लागू हो प्रेस प्रोटेक्शन एक्ट

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रांची: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में शून्य काल की कार्यवाही के दौरान डुमरी विधायक जयराम महतो ने छत्तीसगढ़ में हुई पत्रकार की निर्मम हत्या का जिक्र करते हुए सदन में पत्रकारों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए प्रेस प्रोटेक्शन एक्ट झारखंड में लागू करने की मांग की है.

विधायक जयराम ने छत्तीसगढ़ के तर्ज पर झारखंड में भी पत्रकारों के सुरक्षा देने के लिए प्रेस प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग की है साथ ही मजीठिया कमेटी की रिपोर्ट राज्य में लागू करने की मांग विधानसभा के पटल पर रखी है.

क्या है मजीठिया बोर्ड

केंद्र सरकार ने 2007 में छठे वेतन बोर्ड के रुप में न्यायाधीश कुरुप की अध्यक्षता में दो वेतन बोर्डों (मजीठिया) का गठन‎किया. एक श्रमजीवी पत्रकार तथा दूसरा गैर-पत्रकार समाचार पत्र कर्मचारियों के‎लिए. लेकिन कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस के. नारायण कुरुप ने 31 जुलाई 2008 को इस्तीफा दे दिया. इसके बाद 4 मार्च 2009 को जस्टिस जी. आर. मजीठिया कमेटी के अध्यक्ष बने. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 31‎दिसंबर 2010 को सरकार को सौंपी. इस कमेटी ने पत्रकारों के वेतन को लेकर मापदंड निर्धारित किए. तत्कालीन मनमोहन सिंह की सरकार ने साल 2011 में कमेटी की सिफारिशों को मानते हुए इसे लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी. इसके खिलाफ अखबार मालिकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया,लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी. कोर्ट ने फरवरी 2014 में कमेटी की सिफारिशों को लागू करने का आदेश दिया.

आदेश के बावजूद संस्थानों ने इसे लागू नहीं किया,जिसके खिलाफ विभिन्न अखबारों और समाचार एजेंसियों में काम करने वाले कर्मचारियों ने कर्मचारी अवमानना की याचिका दायर की. कुल 83 याचिकाएं आईं,जिनमें करीब 10 हजार कर्मचारी शामिल थे.

हालांकि जून 2017 में कोर्ट ने अखबार संस्थानों को अवमानना का दोषी नहीं माना. कोर्ट ने सभी प्रिंट मीडिया समूहों को मजीठिया वेतन बोर्ड की सभी सिफारिशें लागू करने का निर्देश दिया. जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि मीडिया समूह,वेतन बोर्ड की सिफारिशें लागू करते हुए नियमित और संविदा कर्मियों के बीच कोई अंतर नहीं करेंगे.

रांची से संवाददाता राहुल कुमार की रिपोर्ट--