BIHAR NEWS : 5 साल में भी अधूरी असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली, बिहार की उच्च शिक्षा भगवान भरोसे

PATNA : बिहार में उच्च शिक्षा की दुर्दशा का आलम यह है कि सितंबर 2020 में निकली असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली प्रक्रिया आज तक पूरी नहीं हो सकी है, चार साल से ज्यादा वक्त यानी पूरे 57 महीने बीत जाने के बावजूद हजारों पद अब भी खाली हैं। सवाल यह है कि जब विश्वविद्यालयों में पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं हैं तो फिर हर साल हजारों छात्रों को डिग्रियां किस आधार पर दी जा रही हैं? बिहार के विश्वविद्यालयों में आज भी सैकड़ों विभाग ऐसे हैं जहां नहीं तो एचओडी हैं ना ही स्थायी प्रोफेसर। हालात इतने गंभीर हैं कि पटना यूनिवर्सिटी जिसे एक समय ईस्ट का ऑक्सफोर्ड कहा जाता था आज गेस्ट फैकल्टी के भरोसे चल रही है।
सितंबर 2020 में बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने 55 विषयों में 4600 असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों के लिए विज्ञापन निकाला था, आयोग के अनुसार अब तक 3500 पदों पर बहाली पूरी हो चुकी है लेकिन 1000 से अधिक पद अब भी खाली हैं। जिनमें मुख्य रूप से बॉटनी, पॉलिटिकल साइंस जैसे विषय शामिल हैं। अब बहाली को मई 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है, लेकिन बीते पांच सालों में कई प्रोफेसर रिटायर भी हो चुके हैं जिससे स्थिति पहले से भी बदतर हो गई है। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले एसएमडी कॉलेज, पुनपुन के प्रिंसिपल प्रो. राकेश कुमार की मानें तो कॉलेज तो हैं लेकिन प्रोफेसर नहीं, प्रोफेसर हैं तो लैब टेक्नीशियन नहीं यह स्थिति सिर्फ छोटे शहरों में ही नहीं बल्कि राजधानी पटना के कॉलेजों में भी देखने को मिल रही है।
बिहार सरकार का शिक्षा बजट 60,000 करोड़ रुपये से अधिक है, लेकिन इसके बावजूद विश्वविद्यालयों में तीन दशकों से फैकल्टी की भारी कमी बनी हुई है। नियमानुसार हर साल 31 दिसंबर तक सभी विश्वविद्यालयों को खाली पदों की सूचना शिक्षा विभाग को देनी होती है लेकिन इसे भी गंभीरता से नहीं लिया जा रहा।अब सवाल उठता है कि जिस राज्य में कुछ महीनों के अंदर दो लाख स्कूली शिक्षकों की नियुक्ति हो सकती है, वहीं असिस्टेंट प्रोफेसर जैसे अहम पदों की बहाली पांच साल से लटकी क्यों है?, क्या बिहार के युवाओं को सिर्फ कागज़ी डिग्रियों के सहारे भविष्य की लड़ाई लड़नी होगी? बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग के चेयरमैन प्रो. गिरीश कुमार चौधरी ने मई 2025 तक बहाली पूरी होने की उम्मीद जताई है लेकिन इस देरी की जवाबदेही कौन लेगा?