BIHAR ELECTION 2025 : महागठबंधन में सीट बंटवारे से पहले CPI ने दिखाई सख्ती, मांगी 6 सीटें, कहा- सम्मानजनक हिस्सेदारी चाहिए

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पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण से पहले महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर बातचीत निर्णायक दौर में पहुंच चुकी है. इस बीच भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने गठबंधन के भीतर अपनी ताकत और जनाधार का हवाला देते हुए6विधानसभा सीटों की मांग की है. पार्टी के सूत्रों के अनुसार,भाकपा ने महागठबंधन की बैठक में साफ कहा है कि उसे“सम्मानजनक और संतुलित हिस्सेदारी”चाहिए.

भाकपा के पास वर्तमान में दो विधायक हैं,लेकिन संगठन का दावा है कि कई क्षेत्रों में उसका मजबूत जनाधार है. पार्टी के अनुसार,जिन सीटों पर जीत की संभावना और संगठन की पकड़ मजबूत है,उन्हीं सीटों की मांग की गई है.

पार्टी जिन सीटों पर दावा कर रही है,वे इस प्रकार हैं—

1.हरलाखी से राज्य सचिव रामनरेश पांडेय के पुत्र राकेश पांडेय,

2.झंझारपुर से वरिष्ठ नेता रामनारायण यादव,

3.तेघरा से रामरतन सिंह,

4.बछवारा से पूर्व लोकसभा प्रत्याशी अवधेश कुमार राय,

5.बखरी से वर्तमान विधायक सूर्यकांत पासवान,

6.बांका से युवा नेता संजय यादव.

सूत्रों के मुताबिक,भाकपा नेतृत्व ने बैठक में यह भी तर्क दिया कि पिछली बार पार्टी ने सीमित सीटों पर लड़ कर भी बेहतर प्रदर्शन किया था और गठबंधन के वोट ट्रांसफर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. पार्टी की राय है कि अगर इस बार उसे सम्मानजनक सीटें मिलें,तो गठबंधन के कई क्षेत्रों में मुकाबला एकतरफा हो सकता है.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाकपा की यह रणनीति न सिर्फ अपने जनाधार को मजबूत करने के लिए है,बल्कि राजद और कांग्रेस पर दबाव बनाने की कोशिश भी है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि महागठबंधन के प्रमुख घटक—राजद और कांग्रेस—भाकपा की इस मांग पर कितना समायोजन दिखाते हैं.

पार्टी सूत्रों का कहना है कि अगर मांगों को अनदेखा किया गया,तो भाकपा अपने स्तर पर विकल्पिक रणनीति पर भी विचार कर सकती है. हालांकि,पार्टी के राज्य सचिव रामनरेश पांडेय ने कहा है कि“हमारा लक्ष्य एनडीए को सत्ता से बाहर करना है,लेकिन इसके लिए सभी सहयोगी दलों को त्याग और समझदारी दिखानी होगी.

महागठबंधन की अंदरूनी खींचतान एक बार फिर सतह पर है. भाकपा जहां6सीटों पर अडिग दिख रही है,वहीं राजद और कांग्रेस को सीटों के संतुलन की चुनौती झेलनी पड़ रही है. आने वाले दिनों में यह तय होगा कि वाम दलों को महागठबंधन में कितना स्थान मिलता है—और यह फैसला गठबंधन की एकजुटता की असली परीक्षासाबितहोगा.

पटना से अंकिता की रिपोर्ट –