बाबाधाम की अलग है पहचान : देवघर बाबा मंदिर प्रांगण में सावन में लगती है बेलपत्र प्रदर्शनी

Edited By:  |
Reported By:
babadham ki alag hai pahchan

देवघर : भगवान शिव को बेलपत्र अतिप्रिय है और ये भोलेदानी हैं. इन्हें जो भी अर्पित कर दीजिए उसी से प्रसन्न हो जाते हैं. अमीरी गरीबी से इन्हें कोई मतलब नहीं है. इनके दरबार में सब एक जैसे हैं. यही कारण है कि भगवान शिव सिर्फ जल और बेलपत्र से ही सभी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं.

देवघर के बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को कामना लिंग के रुप में भी जाना जाता है जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु सावन के पवित्र माह में बाबा का जलाभिषेक करने यहां आते हैं.

ऐसी मान्यता है कि श्रावण में गंगाजल से बाबा का जलाभिषेक से सभी मनोकामना पूरी होती है. लेकिन गंगाजल के साथ बेलपत्र भी बाबा को अतिप्रिय है. बेलपत्र की इसी महत्व के कारण यहां के पुरोहित दूर-दराज के जंगलों से कई दुर्लभ प्रजाति के बेलपत्र चुन कर लाते हैं और बाबा को अर्पित करते हैं. इनके द्वारा एक बेलपत्र की प्रदर्शनी भी लगाई जाती है जो किसी अन्य ज्योतिर्लिंग में नहीं देखा जाता है.

विश्व प्रसिद्ध बैद्यनाथ धाम की अपनी कुछ अलग पहचान है जो कि इस धाम में बखूबी देखने को मिलता है. इसी में से एक है बेलपत्र प्रदर्शनी का जो कि इस ज्योतिर्लिंग को अन्य ज्योतिर्लिंग से अलग बनाता है. श्रावणी मास के प्रत्येक सोमवार को मंदिर परिसर में अलग-अलग पुरोहितों द्वारा यहां आये श्रद्धालुओं के लिए एक आकर्षण का केंद्र बेल पत्र की प्रदर्शनी लगा कर किया जाता है. यह दुर्लभ बेलपत्र यहां के पुरोहित सैकड़ों किलोमीटर की दूरी स्थित जंगलों से लाते हैं. बमबम बाबा द्वारा शुरू की गई सदियों पुरानी यह परंपरा आज तक चली आ रही है. बेलपत्र को चांदी की थाली में आकर्षक ढ़ंग से सजाया जाता है. प्रदर्शनी के बाद इसे बाबा बैद्यनाथ को अर्पित कर दिया जाता है.