आज का दिन बैद्यनाथ धाम के लिए खास : बाबा बैद्यनाथ का है स्थापना दिवस, देर रात होगा हरिहर मिलन, पढ़िए क्या होगा आज रात

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aaj ka din vaidyanaath dham ke liye khas

देवघर : देश के 12 पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक देवघर स्थित रावणेश्वर बैद्यनाथ भी शामिल है. पुराणों में बैद्यनाथधाम की महिमा का विस्तार से उल्लेख किया गया है. यहाँ शिव और शक्ति दोनों विराजमान हैं.

शास्त्रों के अनुसार यहां माता सती के हृदय और भगवान शिव के आत्मलिंग दोनों का सम्मिश्रण है. यही कारण है कि यहां स्थित ज्योतिर्लिंग की महिमा का पुराणों में भी गुणगान किया गया है. फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन के बाद हरि यानी विष्णु ने सती का जहाँ हृदय गिरा था वहीं पर हर यानी शिव को स्थापित किया था. इसलिए इसी दिन बाबा बैद्यनाथ का स्थापना दिवस मनाया जाता है.

हरि को पालकी पर बैठा कर नगर भ्रमण कराया जाता है, फिर हर के साथ अद्भुत मिलन होगा. बैद्यनाथ धाम में होली के अवसर पर हरि और हर के मिलन की अति प्राचीन परंपरा काफी दिनों से चली आ रही है.

जानकारों के अनुसार आज ही के दिन हरि ने अपने हाथों पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी और इसी क्रम में हरि और हर का मिलन हुआ था. तब से बाबा मंदिर में होली के अवसर पर हरि-हर मिलन की परंपरा चली आ रही है. जानकारों की मानें तो आज ही के दिन हरि ने वेष बदल कर रावण के हाथ से पवित्र शिवलिंग लेकर अपने हाथों यहां स्थापित किया था और तभी हरि और हर का अद्भुत मिलन हुआ था. परंपरा के अनुसार एक खास मुर्हूत में हरि को पालकी पर बैठा कर शहर का भ्रमण कराते हुए मंदिर लाया जाता है और फिर पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग के समीप रख कर अबीर-गुलाल से दोनों को सराबोर किया जाता है. इस बार हरि-हर मिलन का मुर्हूत रात्रि 11 बज कर 30 मिनट पर निर्धारित है. हरि-हर मिलन के इस अद्भुत दृश्य को देखने श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है. हरि-हर मिलन की यह परंपरा बैद्यनाथ धाम के अलावा किसी अन्य द्वादश ज्योतिर्लिंग में प्रचलित नहीं है. देवघर में इस अवसर का इंतजार लोगों को बेसब्री से रहता है. परंपरा के अनुसार बैद्यनाथ धाम में हरि-हर मिलन के बाद होली मनायी जाती है.

होलिका दहन के बाद हरिहर मिलन होता है

शिवपुराण के शक्ति खंड में इस बात का उल्लेख है कि माता सती के शरीर के 52 खंडों की रक्षा के लिए खुद भगवान शिव ने सभी जगहों पर भैरव को बैठाया था. देवघर में माता का हृदय गिरा था,इसलिए इसे हृदय पीठ या शक्ति पीठ की भी मान्यता है. इस हृदय पीठ की रक्षा के लिए भगवान शिव द्वारा जिस भैरव को बैठाया गया था,वही बैद्यनाथ हैं. जिस दिन हरि ने हर की स्थापना की थी वह दिन फाल्गुन मास की पूर्णिमा था. इसलिए प्रत्येक वर्ष होलिका दहन के ठीक बाद हरिहर का मिलन होगा. आज रात्रि 10 बजकर 50 मिनट पर होलिका दहन की परंपरा निभाई जाएगी. हरिहर मिलन के बाद देवघर बाबाधाम में होली की शुरुआत हो जाएगी.

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