बाबा नगरी में चूड़ियों के व्यापारी भुखमरी की कगार पर

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देवघर :- बाबा नगरी मैं चूड़ियों का लाखों का कारोबार होता है इसके पीछे एक धार्मिक महत्व भी छुपा हुआ है ऐसा माना जाता है कि देवघर बाबा मंदिर पूजा और दर्शन के लिए जो भी भक्त आते हैं वह चूड़ी को प्रसाद स्वरूप जरूर ले जाते हैं ऐसी मान्यता है कि देवघर के बाबा मंदिर स्थित मां पार्वती और शिव मंदिर के बीच गठबंधन कराया जाता है या अमर सुहाग का प्रतीक है और इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं यह 1 शक्तिपीठ भी है लिहाजा माता को यहां चूड़ियां चढ़ती भी है देश के कोने कोने से यहां पर चूड़ियां मंगाई जाती है लेकिन लाखों का कारोबार करने वाले चूड़ी व्यवसाई आज भुखमरी के कगार पर हैं पिछले 14 महीनों से व्यापार ठप है जिन लोगों ने स्टॉक मंगाया था वह गोदाम में पड़े पड़े खराब हो रहे हैं हालात यह है कि इनके दुकानों के हजारों में बिजली बिल कई महीनों से बकाया है दूसरी तरफ महाजन का कर्ज भी इनके ऊपर चढ़ता जा रहा है इतना ही नहीं स्कूल मैं फीस देने के लिए भी इनके पास पैसे नहीं हैं घर चलाना मुश्किल हो रहा है फिरोजाबाद से लेकर देश के विभिन्न कोणों से यहां पर चूड़ियां मनाई जाती थी दूसरी तरफ है सैकड़ों ऐसे परिवार देवघर जिले में थे जो लाख की चूड़ियां बनाकर इन बाजारों में बेचा करते थे लेकिन सब कुछ बंद पड़ा है चूड़ी व्यवसाई कहते हैं कि पिछले साल सावन का महीना मैं काफी घाटा हुआ और इस बार श्रावणी मेला का आयोजन नहीं होने से इन पर दोहरी मार पड़ी है महाजन का कर्ज स्कूल का कर्ज दुकान का कर्ज और बिजली बिल का कर्ज इन सबों के बीच चूड़ियों की रंगत जैसे किसी का कर्जदार हो गई हो कुछ दुकानें खुली हैं कुछ ने तो अपना शटर गिरा दिया है जिला प्रशासन से इन लोगों ने मांग की है कि भले ही बाबा मंदिर बंद हो लेकिन बिहार झारखंड बॉर्डर को सील नहीं किया जाना चाहिए ताकि वैसे श्रद्धालु जो यहां घूमने आते हैं उनसे थोड़ी बहुत तेज बिकवाली हो जाए

रिपोर्ट:- अमरनाथ पाठक