तारापुर विधानसभा सीट पर महागठबंधन में घमासान : सम्राट चौधरी के खिलाफ दो उम्मीदवारों ने किया नामांकन

मुंगेर:- मुंगेर जिला अंतर्गत एक ही सीट164तारापुर विधानसभा के लिय महागठबंधन के दो घटक दल राजद और वीआईपी पार्टी के प्रत्याशी क्रमशः अरुण कुमार और सकलदेव बिंद ने नामांकन कर राजनीतिक गलियारे में हड़कंप ला दिया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि इन दोनों प्रत्याशी में से गठबंधन धर्म का पालन करते हुए कौन अपना नाम वापस लेता है या दोनों मैदान में एक दूसरे के विरुद्ध चुनाव लड़ेंगे। फैसला शीर्ष नेतृत्व पर भी अब निर्भर कर रहा है।
तारापुर विधानसभा इस बार कई उलटफेर को ले जाना जाएगा। जहां जदयू सीट को बदल वहां भाजपा सीट कर दिया गया तो महागठबंध के दो घटक दल राजद और वीआईपी पार्टी के प्रत्याशी क्रमशः अरुण कुमार और सकलदेव बिंद ने नामांकन करा एक अगल ही राजनीति बहस को जन्म देने का कार्य किया है । तारापुर एक अकेला सीट नहीं है जहां इस तरह के मामले है । उन जगहों पर भी महागठबंधन के घटक दलों ने एक दूसरे के विरुद्ध चुनावी मैदान में एक दूसरे के आमने सामने आ गए है । अब देखने वाली यह बात होगी क्या गठबंधन धर्म का पालन करते हुए कौन अपना नाम वापस लेता है या दोनों मैदान में एक दूसरे के विरुद्ध चुनाव लड़ेगे। इस मामले में जब राजद प्रत्याशी अरुण कुमार से पूछा गए तो उन्होंने उन्हें राजद के द्वारा उन्हें सिंबल मिला और वे आखिरी दिन नामांकन करवाया है।
वहीं इस मामले मेंVIP के सकलदेव बिंद ने अपना कड़ा रुख अख्तियार करते हुए मीडिया को दिए अपने बयान में कहा । तेजस्वी प्रसाद यादव और मुकेश सहनी के निर्देश पर उन्होंने14को नामांकन करवाया था नहीं तो वो17को करवाने वाले थे नामांकन। मेरा नेता अब न तो तेजस्वी प्रसाद यादव है और न ही मुकेश सहनी है मेरा नेता अब जनता है। हमारे नामांकन में जनता की अपार भीड़ थी चाहने वाले थे । जनता का जो निर्णय होगा स्वीकार होगा। अब हम निर्दलीय चुनाव के मैदान में है । ऐसी परिस्थिति में शीर्ष के नेताओं ने मुझे नामांकन कराने का क्यों निर्देश दिया। टिकट नहीं मिलता तो हम सोचते क्या करना है। इतना भारी बेइज्जती नहीं करते । हमारी राजनीतिक हत्या की गई है । अतिपिछड़ा के बेटा को दबाया गया है । हम चुनाव लड़ेगे ।
ऐसे मेंVIP पार्टी के सकलदेव बिंद को न तोVIP पार्टी और न ही राजद ने महागठबंधन ने उन्हें कोई सिंबल दिया है। बिना सिंबल लिए कैसे नामांकन कर दिया यहां उन्हें पता है । इस स्थिति में वह बिना सिंबल के या तो नाम वापस लगें या निर्दलीय चुनाव लड़ेगे। और ये शीर्ष नेतृत्व तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी के निर्णय पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है।