नीतीश सरकार से मांगा जवाब : प्रमोशन के खिलाफ दायर याचिका पर पटना हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस

Patna:- बिहार सरकरा द्वारा हाल ही में अस्थायी तौर पर कर्मियों को प्रोन्नति दिये जाने का मामला कोर्ट पहुंच गया है और इस मामले में पटना हाईकोर्ट सरकार से जवाब मांगा है.बगैर रोस्टर अनुमति के प्रोन्नति वाले पदों को वर्ष 2023 के नियम में की गई अस्थाई व्यवस्था के अनुसार भरने संबंधी निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए हुए राज्य सरकार को जवाब देने का आदेश दिया गया है।चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले में 1 अप्रेल, 2023 को की गई गणना के अनुसार पदों को भरने हेतु लिए गए निर्णय के मामले में यह आदेश दिया है।
यह भी निर्णय लिया गया था कि अनुसूचित जाति के लिए 16 फीसदी और अनुसूचित जनजाति के लिए 1 फीसदी आरक्षण रहेगा।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार का कहना था कि यहाँ तक कि संविदा के आधार पर बहाली में रोस्टर का पालन किया जाता है।इसलिए याचिका दायर की गयी है.अधिवक्ता की मानें तो बिहार रिज़र्वेशन एक्ट, 1991 की धारा 6 के अनुसार यह अनिवार्य है। उनका कहना था कि इस तरह से एससी व एसटी कर्मियों को तदर्थ प्रोन्नति जारी करके राज्य सरकार ने भेदभाव किया है।राज्य सरकार के महाधिवक्ता पी के शाही का कहना था कि तदर्थ प्रोन्नति में आरक्षण का पालन किया जा रहा है। महाधिवक्ता के जवाब के बावजूद इस मामले में आगे सरकार से जवाब मांगा गया है.अब अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी।