हफीजुल हसन का बड़ा बयान : 'बाबा साहब का संविधान नहीं होता, तो आज मैं इस कुर्सी पर नहीं होता

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MADHUPUR : झारखंड सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन ने अपने विरोधियों के झूठे आरोपों का कड़ा जवाब दिया और अपने दिल की बात व्यक्त की। उन्होंने कहा मैं न किसी का विरोधी हूं, न ही किसी को नुकसान पहुँचाना चाहता हूं..जो मैं हूं और जो मुझे यह पहचान मिली है वह सिर्फ और सिर्फ बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के बनाए गए संविधान की देन है। हफीजुल हसन ने यह भी कहा की अगर इस देश में बाबा साहब का संविधान नहीं लिखा गया होता तो क्या मैं आज मंत्री बन पाता? क्या मेरी आवाज़ सुनी जाती? उनके शब्दों में उस संघर्ष का अनुभव झलकता है जो उन्होंने एक आम इंसान से जन प्रतिनिधि बनने तक की यात्रा में सहा है। उन्होंने संविधान के प्रति अपनी गहरी आस्था व्यक्त करते हुए कहा मेरे लिए संविधान केवल एक दस्तावेज़ नहीं है वह मेरी आत्मा की आवाज़ है और मेरा सबसे बड़ा धर्म है।

मधुपुर विधानसभा क्षेत्र में किए गए अपने कार्यों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा मैंने दलित, आदिवासी, पिछड़े, मुस्लिम, और फॉरवर्ड वर्ग के लिए काम किया है, मैंने कभी किसी को छोटा नहीं समझा। यह वही शिक्षा है जो मेरे वालिद साहब ने मुझे दी थी और यही मेरी सोच और नीयत है। हफीजुल हसन ने यह भी साझा किया कि उनका सपना है कि हर बच्चा बाबा साहब की तरह शिक्षा प्राप्त करे, आगे बढ़े, और उसके रास्ते में जाति या धर्म की कोई दीवार नहीं हो। मैंने हर प्रखंड में अंबेडकर पुस्तकालय खोलने का निर्णय लिया है ताकि आने वाली पीढ़ी यह जान सके कि इस देश का निर्माण किस विचारधारा पर हुआ है। संविधान से हम सभी एक हैं और यही मेरी नीयत है, यही मेरा मार्ग है। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा विकास की राजनीति कुछ लोगों को ठीक नहीं लग रही और यही कारण है कि मुझे बदनाम करने की साजिशें की जा रही हैं। लेकिन मैं विश्वास दिलाता हूं कि मेरी नीयत में कभी भेदभाव नहीं रहा, मैं सभी का सेवक हूं और हमेशा रहूंगा।