धनबाद में IIT-ISM का दीक्षांत समारोह : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छात्रों को मेडल और डिग्रियां प्रदान की, कहा-यह आपकी मेहनत, संघर्ष और उपलब्धियों का है सम्मान

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धनबाद : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शुक्रवार को धनबाद स्थित आईआईटी-आईएसएम के 45 वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुई और 37 गोल्ड मेडलिस्ट छात्र-छात्राओं को मेडल और डिग्रियां प्रदान की. उन्होंने संस्थान के एक सौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में डाक टिकट भी जारी किया है. कार्यक्रम में झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार,केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आईआईटी-आईएसएम धनबाद के दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि यह अवसर उनके जीवन की मेहनत, संघर्ष और उपलब्धियों का सम्मान है. उन्होंने सभी उपाधि और पदक प्राप्त करने वाले छात्रों को बधाई दी और कहा कि दीक्षांत समारोह जीवन के नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है. राष्ट्रपति ने छात्रों से आह्वान किया कि वे अपनी शिक्षा और कौशल का उपयोग समाज, देश और विश्व की समस्याओं के समाधान के लिए करें.

दीक्षांत समारोह: नई यात्रा की शुरुआत

राष्ट्रपति ने कहा, "आज का दिन आईआईटी-आईएसएम के छात्रों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. आप एक विश्वस्तरीय संस्थान से शिक्षा प्राप्त कर दुनिया में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए तैयार हैं. यह यात्रा नौकरी,उच्च शिक्षा,नवाचार या उद्यमिता की दिशा में हो सकती है." उन्होंने छात्रों,उनके माता-पिता,शिक्षकों और मार्गदर्शकों को भी बधाई दी,जिन्होंने उनके सफर में साथ दिया.

आईआईटी-आईएसएम की गौरवशाली विरासत

राष्ट्रपति ने आईआईटी-आईएसएम की100वर्षों की गौरवशाली विरासत की सराहना की. उन्होंने कहा, "यह संस्थान खनन और भूविज्ञान के क्षेत्र में विशेषज्ञ तैयार करने के उद्देश्य से स्थापित हुआ था. समय के साथ इसने अपने शैक्षिक दायरे को विस्तृत कर उच्च शिक्षा और अनुसंधान का अग्रणी केंद्र बन गया है." उन्होंने संस्थान द्वारा तकनीकी विकास और नवाचार में योगदान को भी रेखांकित किया.

जनजातीय सशक्तीकरण और महिला उत्थान के प्रयास

राष्ट्रपति ने आईआईटी-आईएसएम में जनजातीय समाज के विकास के लिए कार्यरत सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की प्रशंसा की. यह केंद्र एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल,डिजिटल साक्षरता,कौशल विकास और रोजगार-केंद्रित प्रशिक्षण के माध्यम से झारखंड के जनजातीय युवाओं को सशक्त बना रहा है. उन्होंने संस्थान के फाउंडेशन कौशल विकास कार्यक्रम की भी सराहना की,जो वंचित वर्ग की महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार के लिए काम कर रहा है.

विकसित भारत2047का लक्ष्य

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत2047तक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है. उन्होंने छात्रों से इस विकास यात्रा के अग्रदूत बनने का आह्वान किया. उन्होंने जोर दिया, "विकसित भारत का अर्थ है एक ऐसा राष्ट्र जहां प्रत्येक व्यक्ति को समान अवसर,गरिमा और बेहतर जीवन स्तर प्राप्त हो. आपकी शिक्षा केवल तकनीकी उत्कृष्टता तक सीमित नहीं होनी चाहिए,बल्कि राष्ट्र निर्माण से जुड़ी होनी चाहिए."

समावेशी विकास में आईआईटी-आईएसएम की भूमिका

राष्ट्रपति ने कहा कि किसी राष्ट्र का विकास उसके सभी वर्गों के उत्थान में निहित है. उन्होंने आईआईटी-आईएसएम से उत्कृष्ट इंजीनियर और शोधकर्ताओं के साथ-साथ करुणामय,संवेदनशील और उद्देश्यपूर्ण पेशेवर तैयार करने की अपेक्षा जताई. उन्होंने कहा, "अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देकर आप देश के भविष्य को आकार दे सकते हैं."

जलवायु परिवर्तन और तकनीकी चुनौतियों का समाधान

राष्ट्रपति ने जलवायु परिवर्तन,संसाधनों की कमी और डिजिटल असमानता जैसी वैश्विक चुनौतियों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि आईआईटी-आईएसएम जैसे संस्थान स्थायी समाधानों में अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं. उन्होंने भारत की तकनीकी प्रगति और आईआईटी संस्थानों के योगदान की सराहना की,जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा,अनुसंधान और स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं.

युवा शक्ति और तकनीकी शिक्षा

राष्ट्रपति ने भारत की युवा जनसंख्या को देश की सबसे बड़ी शक्ति बताया. उन्होंने कहा कि तकनीकी शिक्षा और डिजिटल कौशल का प्रसार भारत को तकनीकी महाशक्ति बनाने की दिशा में अग्रसर कर रहा है. उन्होंने शिक्षा को अधिक व्यावहारिक,नवाचार-केंद्रित और उद्योग-अनुकूल बनाने पर जोर दिया. साथ ही,इंटर-डिसिप्लिनरी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता बताई,ताकि छात्र जटिल समस्याओं के रचनात्मक समाधान खोज सकें.

छात्रों को प्रेरणा: करुणा से प्रेरित नवाचार

राष्ट्रपति ने छात्रों से कहा, "अपने ज्ञान को व्यक्तिगत उन्नति तक सीमित न रखें,बल्कि इसे जनहित और राष्ट्र निर्माण के लिए उपयोग करें. ग्रीन इंडिया के निर्माण में योगदान दें,जहां विकास प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर हो." उन्होंने जोर दिया कि नवाचार केवल बुद्धिमत्ता से नहीं,बल्कि सहानुभूति और नैतिकता से प्रेरित होना चाहिए.

भारत के ऐतिहासिक परिवर्तन के निर्माता

राष्ट्रपति ने छात्रों को भारत के ऐतिहासिक परिवर्तन का सारथी और निर्माता बताया. उन्होंने कहा, "आपके विचारों को विस्तार दें,उन्हें उन्नत बनाएं और मानवता की सेवा के लिए सशक्त करें." अंत में,उन्होंने सभी छात्रों को उज्ज्वल और सार्थक भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं.

धनबाद से कुंदन कुमार की रिपोर्ट--