पथरीली राह पर चला देश का पहला दलित CM : झोपड़ी में गुजारा आखिरी वक़्त, पेश की ईमानदारी की नई मिसाल

DESK : देश का पहला दलित CM जिसने बिहार जैसे बड़े राज्य की बागडोर एक बार नहीं बल्कि तीन बार संभाली। उनकी सादगी भी ऐसी कि सियासत में आज भी उनकी मिसाल दी जाती है। वे अक्सर कई महत्वपूर्ण मीटिंग्स भी बिना किसी तामझाम के महज एक पेड़ के नीचे कर लिया करते थे। उनकी ईमानदारी ऐसी थी कि निधन के बाद उनके बैंक खाते में इतने भी पैसे नहीं थे कि ठीक से श्राद्धकर्म तक किया जा सके।
देश की राजनीति के जानकार कहते हैं कि बिहार की भूमि ही देश की राजनीति की दिशा-दशा तय करती है। यह बात कई बार साबित भी हुई है। बिहार के कई ऐसे राजनेता सादगी और ईमानदारी की मिसाल रहे हैं जिनका नाम हमेशा ही सम्मान से लिया जाता है। ऐसा ही एक नाम है स्वर्गीय भोला पासवान शास्त्री (Bhola Paswan Shastri) का। जिन्हें कांग्रेस पार्टी ने 3 बार अपना नेता चुना और वह 3 बार सम्पूर्ण बिहार के मुख्यमंत्री बने।
पूर्व CM भोला पासवान का जन्म बिहार के पूर्णिया जिले के कृत्यानंद नगर प्रखंड के अन्तर्गत बैरगाछी में 21 सितम्बर,1914 को एक अति निर्धन दलित (पासी ) परिवार में हुआ। उनके पिता धूसर पासवान दरभंगा महाराज के ‘काझा-कोठी’ कचहरी में एक मजदूर सिपाही के रूप में कार्यरत थे। इस समाज के लोग पारंपरिक रूप से ताड़ के पेड़ों से ताड़ी निकालकर जीवनयापन करने के लिए जाने जाते हैं। लेकिन आगे चलकर दलित परिवार के इस चिराग ने सम्पूर्ण बिहार की बागडोर अपने हाथ संभाल कर सियासी इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित कर दिया।
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भोला पासवान शास्त्री का कार्यकाल भले ही छोटा रहा हो लेकिन एक दलित नेता के तौर पर उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए जिस तरह से अपने कार्यों का निर्वाहन किया है उससे आज पूरे देश में केवल दलित समाज ही नहीं बल्कि हर इंसान को ऐसे मुख्यमंत्री पर गर्व महसूस होता है। उन्होंने देशभर में ईमानदारी की ऐसी मिसाल पेश कर दी कि आज भी लोग अपने बच्चों को नसीहत देते हुए कहते हैं कि अगर जीवन में कुछ बनना है तो भोला पासवान की तरह बनो।
आज के दौर में एक मुख्यमंत्री का ओहदा क्या होता है इसका अंदाजा आप टीवी चैनलों पर देख कर लगा सकते हैं। लेकिन इन सब से बेहद अलग थे.वे मुख्यमंत्री बनने के बाद जब अपने गांव पहुंचे तो किसी शाही सवारी पर नहीं बल्कि बैलगाड़ी पर चढ़कर। इसके पीछे वजह यह थी कि उनके गांव तक सड़क नहीं थी।