Jharkhand News झारखंड कैबिनेट की मंजूरी : 29 वर्षों बाद साकार हुआ राजीव गांधी और शिबू सोरेन का सपना- राजेश ठाकुर

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Rajiv Gandhi and Shibu Soren's dream has come true after 29 years - Rajesh Thakur

रांची: झारखंड कैबिनेट ने पेसा (PESA) कानून की नियमावली को मंजूरी देने के बाद ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडे सिंह से मिलकर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने बधाई दी. ठाकुर ने इसे 29 वर्षों के बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और दिशोम गुरु शिबू सोरेन के सपने का साकार होना बताया. यह फैसला अनुसूचित क्षेत्रों में जनजातीय स्वशासन को मजबूत करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है. झारखंड कैबिनेट ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम-1996 (PESA) की नियमावली को औपचारिक मंजूरी प्रदान की, जो राज्य के आदिवासी बहुल इलाकों में ग्राम सभाओं को वास्तविक शक्तियां देगा. व्यापक जन-विमर्श, विभागीय अध्ययन और लंबी प्रक्रिया के बाद लिया गया यह निर्णय सुनिश्चित करता है कि PESA कानून केवल कागजों पर न रहे, बल्कि ग्रामीण स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू हो.ग्राम सभाओं को भूमि अधिग्रहण, खनन लाइसेंस, शराब की बिक्री और स्थानीय संसाधनों के प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण मामलों में अंतिम निर्णय लेने का अधिकार मिलेगा

ग्राम सभाओं को मिलेगा उनका अधिकार: राजेश ठाकुर

वहीं पूर्व अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने मुलाकात के दौरान कहा कि यह फैसला अनुसूचित क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन को सशक्त बनाने और आदिवासी समाज के संवैधानिक अधिकारों को धरातल पर उतारने का ठोस कदम है. झारखंड के 25वें स्थापना वर्ष में यह निर्णय राज्य की लोकतांत्रिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित होगा. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी टीम की सराहना करते हुए इसे जनजातीय समुदायों के सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर करार दिया.

स्वर्गीय बंदी उरांव का योगदान अविस्मरणीय: राजेश ठाकुर

श्री ठाकुर ने PESA के निर्माण में स्वर्गीय बंदी उरांव के योगदान को याद किया. पूर्व IPS अधिकारी, पूर्व बिहार मंत्री और सिसई से कई बार विधायक रहे बंदी उरांव ने अपनी सेवा छोड़कर राजनीति में प्रवेश किया और PESA कानून को आकार देने में अथक परिश्रम व दूरदर्शिता का परिचय दिया. उनके प्रयासों के बिना यह कानून इतना व्यापक रूप नहीं ले पाता. श्री ठाकुर ने कहा कि बंदी उरांव का बलिदान और समर्पण आज भी प्रेरणा स्रोत है. PESA कोई विभाजनकारी कानून नहीं है, बल्कि ग्राम सभा को मजबूत करके सहभागी लोकतंत्र की स्थापना का माध्यम है. ग्राम सभा के सामूहिक निर्णयों का सम्मान हर सरकार को करना ही होगा. इससे न केवल आदिवासी संस्कृति और परंपराओं की रक्षा होगी, बल्कि स्थानीय विकास में पारदर्शिता और जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी. यह कदम झारखंड के ग्रामीण इलाकों में सतत विकास और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देगा. इस अवसर पर झारखंड राज्य आवास बोर्ड के अध्यक्ष संजय लाल पासवान और वरिष्ठ नेता शशि भूषण राय भी उपस्थित रहे. उन्होंने बधाई देते हुए कहा कि आज झारखंड के लिए बेहद महत्वपूर्ण दिन है. इसके लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह और समस्त कैबिनेट मंत्रियों को हार्दिक बधाई.

सहभागी लोकतंत्र को मजबूत करेगा PESA

उन्होंने उम्मीद जताई कि PESA नियमावली का शीघ्र प्रभावी कार्यान्वयन राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में नई क्रांति लाएगा. PESA कानून 1996 में पारित हुआ था, लेकिन नियमावली की कमी के कारण यह कई राज्यों में पूरी तरह लागू नहीं हो सका। झारखंड में अब यह पूर्ण रूप से सक्रिय होने से लगभग 10 जिलों के अनुसूचित क्षेत्र प्रभावित होंगे, जहां जनजातीय आबादी बहुसंख्यक है. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भूमि विवाद कम होंगे और स्थानीय संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव होगा.