BREAKING NEWS : झारखंड हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: सहमति से संबंध में बलात्कार का नहीं बनता मामला , FIR खारिज..

रांची:झारखंड हाईकोर्ट में राजधानी रांची के बुढ़मू थाना क्षेत्र में लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रही महिला ने साथी पर बलात्कार का केस दर्ज कराई. दर्ज कांड संख्या 42/2025 में धारा 376 (बलात्कार) और 406 (आपराधिक न्यासभंग) भारतीय दंड संहिता के तहत आरोप लगाए गए जिस पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मतीयास सांगा को आरोपी मानते हुए गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. जिसके बाद मतीयास सांगा ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और क्रिमिनल रिट याचिका दायर की जिस पर बीते दिन जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की कोर्ट ने फैसला सुनते हुए, मतीयास सांगा के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने का आदेश दिया है.हाईकोर्ट में अधिवक्ता सूरज किशोर प्रसाद ने अभियुक्त का पक्ष रखा.
इस मामले में हाईकोर्ट ने क्या दिया आदेश
झारखंड हाईकोर्ट ने मतीयास सांगा बनाम राज्य झारखंड क्रिमिनल रिट याचिका संख्या 2191/2025 में दायर प्राथमिकी एवं उससे उत्पन्न समस्त आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने का आदेश दिया है. दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी होने के बाद जस्टिस अनिल कुमार चौधरी ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्त और सूचक लगभग दस वर्षों (2014 से 2023) तक पति-पत्नी की तरह साथ रहे. इस दौरान सहमति से संबंध बने, जिसे बलात्कार नहीं कहा जा सकता. अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय महेश्वर टिग्गा बनाम राज्य झारखंड तथा सो्नु उर्फ सुभाष कुमार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के केस का हवाला देते हुए कहा कि दीर्घकालीन शारीरिक संबंध में सहमति स्वतः सिद्ध होती है. झारखंड हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह की आपराधिक कार्रवाई का जारी रहना न्याय की प्रक्रिया का दुरुपयोग है. इसलिए पूरी प्राथमिकी और उससे जुड़ी कार्यवाही को रद्द करने का आदेश दिया जाता है.
रांची से राहुल की रिपोर्ट