हाथी की सूचना पर वन विभाग अलर्ट : वन विभाग ने डीएफओ और रेंजर को सूचना देने को लेकर किया नंबर जारी, ग्रामीणों से सतर्क रहने की अपील
लोहरदगा : हाथियों का उत्पात कम होने का नाम नहीं ले रहा है. लातेहार जिला के चंदवा में गजराज ने एक ही परिवार के तीन लोगों की जान ले ली. गुरुवार की मध्यरात्रि दर्जन से अधिक संख्या में जंगली हाथियों के झुंड के माल्हन पंचायत स्थित ईंट भट्ठे में एक ही परिवार के तीन लोगों को कुचलकर मार डाला. इसको लेकर लोहरदगा वन विभाग अलर्ट मोड़ पर आ गया है.
पिछले दिनों लोहरदगा में भी किस्को और भंडरा प्रखंड में हाथियों के द्वारा पांच लोगों को पटककर मार डाला था. इसको लेकर वन विभाग की टीम ने कुडू थाना क्षेत्र के चंदवा से सटे सीमा पर रह रहे ग्रामीणों को सतर्क रहने की अपील कर बैठक कर रहे हैं. साथ ही किसी भी तरह की सूचना को लेकर वन विभाग के अधिकारी डीएफओ और रेंजर का नम्बर जारी किया गया है. साथ ही जिला आपदा प्रबंधन विभाग ने एडवाइजरी जारी किया है.
जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकार,लोहरदगा द्वारा हाथी से बचाव हेतु दिशा-निर्देश जनहित में जारी
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हाथी आने की सूचना तत्काल निकटवर्ती वन विभाग के कर्मचारियों को दें.
यदि हाथी से सामना हो जाय तो तुरन्त उसके लिए रास्ता छोड़ें. पहाड़ी स्थानों में सामना होने पर ढलान की ओर दौड़ें,ऊपर की ओर नहीं. सीधे न दौड़कर आड़े-तिरछे दौड़ें. कुछ दूर दौड़ने पर गमछा,पगड़ी,टोपी अथवा कोई वस्त्र फेंक दें,ताकि कुछ समय तक हाथी उसमें उलझा रहे और आपको सुरक्षित स्थान पर पहुँचने का मौका मिल जाय.
लाल मिर्च के पाउडर को जले हुए मोबिल अथवा ग्रीस में अच्छी तरह मिलाकर उसे मोटी रस्सी में लपेटें. रस्सी को भंडारित अनाज वाले घर के चारों ओर लपेट कर अथवा हाथी के गाँव में प्रवेश की दिशा में बाँधें. रस्सी के साथ श्वेत या लाल कपड़े की पट्टी भी बाँधकर लटका दें,क्योंकि हाथी इन रंगों को नापसंद करते हैं. इस प्रक्रिया के25से30दिनों के अन्दर पुनः दूसरा लेप चढ़ायें.
मिर्च लपेटी गई रस्सी के साथ-साथ घर एवं खलिहान के चारों ओर गोईठा,लकड़ी आदि का अलाव जलाकर उसमें लाल मिर्च जलायें. मिर्च की गंध से हाथी निकट नहीं आयेगा. गोबर में भी मिर्च पाउडर डालकर उसे अच्छी तरह मिलाकर सुखाकर रख लें. हाथी के आने की सूचना प्राप्त होने पर घर के आँगन या बाहर रात्रि में उसे जला देने से भी हाथी द्वारा नुकसान से बचा जा सकता है.
अगर हाथी गाँव में आ ही जाता है तो मशाल के साथ कम से कम आठ दस लोग मिलकर एक साथ ढोल या टीना पीटकर उसे भगाने का प्रयास करें. इस प्रक्रिया में भी हाथी के बहुत नजदीक न जायें. हाथी प्रभावित क्षेत्रों के गाँवों में रात्रि में दल बनाकर मशाल के साथ पहरा दें.
अगर मचान बनाकर खेत की रखवाली करनी हो,मचान ऊँचा बनाएं,विशेषकर उसे ऊँचे,मजबूत पेड़ के उपर बनायें और उसके नीचे जमीन पर लकड़ी से आग जलाये रखें.
हाथी जिस जंगल में दिखे उस क्षेत्र में चारा,जलावन एकत्र करने नहीं जायें. हाथी जिन क्षेत्रों में हो उसके आस-पास के गाँवों में संध्या में प्रातः काल तक आवागमन से बचें.
हाथी द्वारा कान खड़े कर,सूँढ़ ऊपर कर आवाज देना,इस बात का संकेत है कि वह आप पर हमला करने आ रहा है. अतः तत्काल सुरक्षित स्थान पर चले जाएं.
हाथियों की सूंघने की शक्ति अत्यधिक प्रबल होती है. अतः हाथी को भगाने के क्रम में हवा की दिशा का ध्यान रखें.
वैज्ञानिक प्रयोग के आधार पर पाया गया है कि मधुमक्खियों के गुनगुनाने की आवाज हाथियों को भगाने में सहायक साबित होती है.
हाथी की सूचना को लेकर दिये गये नम्बर पर संपर्क करेंः-
जिला वन प्रमण्डल पदाधिकारी,लोहरदगा (DFO) : 8294935789
रेंजर, लोहरदगा : 7909056609
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