Chhath Puja 2025 : मुंगेर में शुरु हुआ था छठ, माता सीता ने किया था यह महापर्व
मुंगेर : छठ महापर्व की शुरुआत मुंगेर से हुई थी. माता सीता ने पहली बार मुंगेर में उत्तर वाहिनी गंगा के तट पर एक छोटे पर्वत पर छठ पूजन किया था. इसके प्रमाण स्वरूप यहां आज भी माता सीता के आस्थाचलगामी और उदयमान सूर्य को अर्घ्य देते चरण चिह्न मौजूद हैं. अब यहां पर मंदिर बना दिया गया है जो सीता चरण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. तब से बिहार सहित पूरे देश में छठ व्रत मनाए जाने लगा है.
दरअसल लोक आस्था के महापर्व छठ का मुंगेर में विशेष महत्व है. क्योंकि सीता माता ने यहां छठ व्रत कर इस पर्व की शुरुआत की थी. आनंद रामायण के अनुसार मुंगेर जिले के बलुआ गंगा घाट से दो किलोमीटर दूर गंगा के बीच में स्थित पर्वत पर ऋषि मुदगल के आश्रम में मां सीता ने छठ महापर्व किया था. माता सीता ने जहां पर छठ किया था, वह स्थान वर्तमान में सीता चरण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. तब से अंग व मिथिला सहित पूरे देश में छठ व्रत मनाया जाने लगा है. वहीं छठ पर्व को लेकर धार्मिक एवं पौराणिक मान्यता है कि रामायण काल में मुंगेर के गंगा नदी के तट पर माता सीता ने पहली बार छठ व्रत किया था. इसके बाद से छठ व्रत मनाया जाने लगा.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां सीता ने सबसे पहले मुंगेर में उत्तर वाहिनी गंगा घाट पर छठ व्रत किया था. जिस स्थान पर मां सीता ने छठ पूजा की थी बबुआ गंगा घाट के पश्चिमी तट पर दियारा इलाके में स्थित मंदिर में माता का चरण पदचिह्न और सूप का निशान एक विशाल पत्थर पर अभी भी अंकित है. यह पत्थर 250 मीटर लंबा 30 मीटर चौड़ा है. यहां पर एक छोटा सा मंदिर भी बना हुआ है. जिसे अभी लोग सीता चरण मंदिर के नाम से जानते हैं.
वहीं धर्म के जानकार पंडित का कहना है कि ऐतिहासिक नगरी मुंगेर के सीता चरण में कभी मां सीता ने 6 दिनों तक रहकर छठ पूजा की थी. जब भगवान राम 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या वापस लौटे थे तो उन पर ब्राह्मण हत्या का पाप लग गया था. क्योंकि रावण ब्राह्मण कुल से आते थे. और इस पाप से मुक्ति पाने के लिए ऋषि मुनियों के आदेश पर राजा राम ने राजसूय यज्ञ कराने का फैसला किया. इसके बाद मुदगल ऋषि को आमंत्रित किया गया था लेकिन मुदगल ऋषि ने अयोध्या आने से पूर्व भगवान राम और सीता को अपने आश्रम बुलाया और भगवान राम को मुंगेर में ही ब्रह्म हत्या मुक्ति यज्ञ करवाया और माता सीता को अपने आश्रम में ही रहने का आदेश दिया. चूंकि महिलाएं यज्ञ में भाग नहीं ले सकती थी. इसलिए माता सीता को मुद्गलऋषि के आश्रम में ही रहने का निर्देश दिया और उन्हें सूर्य की उपासना करने की सलाह दी. वहीं मां सीता के मुंगेर में छठ व्रत करने का उल्लेख आनंद रामायण के पृष्ठ संख्या 33 से 36 में भी है. जहां मां सीता ने व्रत किया वहां माता सीता के दोनों चरणों के निशान मौजूद हैं. इसके अलावा शीलापठ सूप,डाला और लोटा के निशान हैं. वहीं बता दें कि मंदिर का गर्भगृह साल में 6 महीने तक गंगा के गर्भ में समाया रहता है. इस मंदिर को सीता चरण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह मंदिर 1974 में बनकर तैयार हुआ था जहां दूर-दूर से लोग छठ व्रत करने के लिए आते हैं. मान्यता है कि छठ व्रत करने से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.
मुंगेर से अमृतेश सिन्हा की रिपोर्ट –