JHARKHAND NEWS : लोहरदगा में फसलों में झुलसा रोग का बढ़ा खतरा, किसान चिंतित
लोहरदगा : कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार लोहरदगा जिला में लगभग 5500 हेक्टेयर भूमि में सब्जियों की खेती की जाती है. रबी मौसम में जिले में सबसे अधिक आलू की खेती होती है,वहीं धनिया पत्ता,फूलगोभी,पत्ता गोभी,प्याज,लहसुन,टमाटर सहित अन्य सब्जियों की खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है. लोहरदगा को एक कृषि प्रधान जिला माना जाता है.यहां की सब्जियां न सिर्फ झारखंड के विभिन्न जिलों में खपत होती हैबल्कि छत्तीसगढ़,मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल तक भेजी जाती है. सब्जी खेती के जरिए जिले के किसान काफी हद तक आत्मनिर्भर बने हुए हैं.
हाल के दिनों में मौसम में आए अचानक बदलाव ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. खासकर सब्जियों में झुलसा रोग और पाला मारने का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. खेतों में लगे सब्जियों के पौधे झुलस कर मुरझाने लगे हैं,जिससे इस कड़ाके की ठंड में भी किसानों के चेहरे पर पसीने की बूंदें साफ देखी जा सकती है.
किसानों का कहना है कि पहले ही अत्यधिक और असमय बारिश के कारण सब्जियों को भारी नुकसान झेलना पड़ा था,और अब पाले के खतरे ने चिंता को और बढ़ा दिया है.
नवंबर का महीना समाप्त होते ही दिसंबर की शुरुआत के साथ ही ठंड में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. सुबह और रात के समय कड़ी ठंड पड़ रही है,जिससे सब्जियों की फसल पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. झुलसा रोग की चपेट में आने से पौधों की पत्तियां सूखने लगी हैं और उत्पादन घटने की आशंका बढ़ गई है. इससे किसानों को सीधे तौर पर आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.
इधर,कृषि विभाग की ओर से किसानों को पाला व झुलसा रोग से फसलों को बचाने के लिए लगातार सलाह और सुझाव दिए जा रहे हैं. कृषि विशेषज्ञों द्वारा समय पर सिंचाई करने,फसल पर धुआं करने,उचित दवाओं के छिड़काव और वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाने की सलाह दी जा रही है. इसके बावजूद किसानों का कहना है कि बदलते मौसम के आगे उनकी मेहनत कब तक टिक पाएगी,यह कहना मुश्किल है.
कुल मिलाकर, मौसम की मार और रोगों के बढ़ते खतरे के बीच लोहरदगा के किसान असमंजस और चिंता में हैं. यदि मौसम की स्थिति जल्द अनुकूल नहीं हुई और राहत के ठोस इंतजाम नहीं किए गए, तो रबी मौसम में सब्जी उत्पादन पर गंभीर असर पड़ सकता है.