पानी के लिए भटक रही है महिलाएं : लातेहार में चुआरी के पानी से बुझ रही है लोगों की प्यास

लातेहार:- झारखण्ड का लातेहार जिला यू तो नक्सल प्रभावित है लोग विकास को लेकर हमेशा आशान्वित रहते है सरकार भी कई कार्यक्रमों के ज़रिये विकास की रौशनी इस सुदूर इलाके तक पहुँचने की कोशिश कर रही है.लेकिन लातेहार की एक ऐसी समस्या है जो कही न कही विकास के दावों पर सवालिया निशान खड़ा करती है। दरअसल जिला मुख्यालय से महज दस किलोमीटर दूर कोने समेत कई गांव में पीने के पानी का घोर आभाव है.यहां के लोग पानी पीने के लिए चुआरी पर आश्रित रहते हैं.
दरअसल चुआरी एक स्थानीय शब्द है इसका मतलब होता है किसी जगह मिट्टी खोद कर गड्ढा करना और उससे जो पानी ज़मीन से निकले उसे इस्तेमाल में लाना। शुद्ध पेयजल हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना महत्वपूर्ण होता है हम सब जानते है.अब ये चुआरी से निकला गया पानी कितना शुद्ध होगा ये अंदाज़ा लगन मुश्किल नहीं है।
झारखण्ड सरकार इन दिनों आपके अधिकार आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम चला रही है जिसमे सरकार खुद जनता के द्वार पहुँचती है कोने गांव में भी29नवंबर को आपकी सर्कार आपके द्वार कार्यक्रम आयोजित किया गया था लेकिन फिरभी यहां पानी की समस्या जस की तस है ऊपर से प्रशासन का मौन रवैया सरकार की योजनाओ को सही तरीके से लोगों तक पहुँचाने में आड़े आ रहा है।
ग्रामीण महिलाओं में देवकली देवी , रेनू देवी, सरिता देवी, सुनीता देवी ,रामकली देवी ,देवंती देवी, सूर्या देवी, सहित दर्जनों महिलाएं पानी की समस्या से हरेक दिन दो चार हो रही हैं।इनकी समस्या तब और विकट हो जाती है जब बरसात या जाड़े में रात को पानी ख़त्म हो जाता है उस दौरान ये लोग दूसरे के घरों में पानी तलाशते है और फिर अपनी प्यास बुझाते है. इन्ही समस्याओं को लेकर रेणु देवी अपनी पीड़ा बताते हुए कहती हैं कि इस हालात से तो हमारी पीढ़ी निपट ली है। लेकिन आने वाली पीढ़ी के लिए ये कठिन है,जिसपर सरकार ध्यान दें।
मनोज के साथ अमित सिंह की रिपोर्ट
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